सीट का इतिहास : राजधानी लखनऊ और रायबरेली जिले की सीमा से सटा पुरवा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने पांच चुनाव जीतकर 25 साल अपना कब्जा बनाए रखा। कुछ चुनावों में निर्दलीय और जनतादल ने कब्जा किया जबकि भाजपा और बसपा अपनी एक जीत दर्ज कराने के लिए तरस गईं। यह दोनों पार्टियां कई बार रनर रहीं लेकिन जीत का आंकड़ा नहीं छू पाई। 1993 में सपा ने जीत का सिलसिला शुरू किया तो लगातार पांच चुनावों में जीत की हैट्रिक लगा दी। पुरवा सीट सपा के लिए सबसे मजबूत सीटों में शुमार होती रही है। पुरवा विधानसभा क्षेत्र के लउवासिंहखेड़ा ग्राम पंचायत ने इस विधानसभा को आठ बार विधायक दिया। ह्रदय नारायण दीक्षित और उदयराज यादव चार बार विधायक चुने गए। वर्ष 2017 के चुनाव में अनिल सिंह बसपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़े और सपा को हराया। हालांकि वह बाद में भाजपा के खेमे में शामिल होकर सत्ता के साथ हो लिए।
कुल मतदाता : 401545
पुरुष : 219023
महिला :182484
| जाति | मतदाता |
| लोधी | 82 हजार |
| यादव | 69 हजार |
| ब्राहम्ण | 47 हजार |
| रावत | 38 हजार |
| मुस्लिम | 34 हजार |
| क्षत्रिय | 22 हजार |
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। सड़कें भी बदहाल हैं।
क्षेत्र का पहला बालिका महाविद्यालय, बासमती चावल के लिए मशहूर पुरवा मंडी, छोटी काशी के नाम से मशहूर पडऱी कला गांव, रग्घूखेड़ा गांव की आल्हा गायिका नैना गौतम, प्रख्यात भंवरेश्वर महादेव मंदिर।
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