सीट का इतिहास
सीट अनारक्षित है। इस सीट पर सपा, बसपा, भाजपा समेत सभी दलों का प्रभाव रहा है। ब्राह्मण और ओबीसी बाहुल्य सीट से दस्यु सरगना घमड़ी प्रसाद विधायक रह चुके हैं। प्रारंभ में कांग्रेस के प्रभुत्व वाली इस सीट पर 1969 के बाद जनसंघ और फिर भाजपा का पलड़ा भारी हो गया। भाजपा के सूबेदार प्रसाद ने 1969 से 77 और तीरथ राज 1989 से 93 तक लगातार तीन-तीन बार जीत दर्ज की है। 2017 के चुनाव में भाजपा के भूपेश चौबे जीते।
| जाति | मतदाता |
| ब्राह्मण | 46 हजार |
| दलित | 39 हजार |
| वैश्य | 28 हजार |
| मुस्लिम | 20 हजार |
| यादव | 14 हजार |
| कुर्मी | 18 हजार |
| धांगर | 14 हजार |
| क्षत्रिय | 13 हजार |
| कनौजिया | 13 हजार |
| चेरो | छह हजार |
| अन्य | 40 हजार |
अधूरी पेयजल परियोजनाएं, नगर पालिका का सीमा विस्तार, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बिजली और संचार सेवा, सड़क, रोजगार, औद्योगिक विकास, पर्यटन।
देवकीनंदन खत्री के प्रमुख चंद्रकांता की पृष्ठभूमि इसी विधानसभा क्षेत्र के विजयगढ़ की है। राजा नल की राजधानी सेमरिया नगवां ब्लॉक में, ऋषि मार्कंडेय की तपोस्थली मारकुंडी, पंचमुखी महादेव का मंदिर, ओम पर्वत, बाबा मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली मच्छरमारा, सोनभद्र इको प्वाइंट, चुर्क सीमेंट फैक्ट्री, धंधरौल और नगवां बांध।
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