सीट का इतिहास
इस सीट पर भाजपा का परचम लहराता रहा है। शुरुआती दौर में सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा। इसके बाद सपा और बसपा को भी यहां जीत मिली। 2012 में जब पूरे जिले में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था, तब रुदौली ने भाजपा की लाज बचाई थी। सपा को यहां दाे बार, बसपा को एक, भाजपा को दो बार जीत मिली है। 2017 में भाजपा के रामचंद्र यादव ने सपा के अब्बास अली को हराया।
| जाति | मतदाता |
| मुस्लिम | 60 हजार |
| यादव | 48 हजार |
| पासी | 48 हजार |
| लोधी | 26 हजार |
| दलित | 22 हजार |
| ब्राह्मण | 21 हजार |
| ठाकुर | 17 हजार |
| वैश्य | 16 हजार |
| कुर्मी | 10 हजार |
| निषाद | आठ हजार |
| कोरी | पांच हजार |
| मौर्य | पांच हजार |
| चौरसिया | चार हजार |
| पाल | चार हजार |
| अन्य | 24 हजार |
बेरोजगारी, उद्योग की कमी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
मां कामाख्या धाम और रौजागांव चीनी मिल।
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