सीट का इतिहास: सरकार में शामिल होने के बाद भी सफीपुर में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में अपेक्षा के अनुरूप सुधार नहीं हुआ। 1969 में अनवार अहमद फिर 2015 में यहां से विधायक सुधीर रावत स्वास्थ्य मंत्री बने। क्षेत्र के मतदाताओं ने कांग्रेस, लोकदल, जनता पार्टी, भाजपा और सपा को मौका दिया लेकिन विकास, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं अपेक्षा के अनुसार पूरी नहीं हो पाईं। 1951 से 9162 तक कांग्रेस का कब्जा रहा। गोपीनाथ दीक्षित विधायक बने। मतदाताओं ने 1969 और 1974 में बीकेडी पर भरोसा जताया और विधायक चुना। 1989 और 1991 में जनतादल के सुंदरलाल विधायक बने। वहीं 1993 और 1996 में जनता ने भाजपा पर भरोसा जताया। वहीं 2002 में शुरू हुआ सपा की जीत का सिलसिला 2012 के चुनाव में भी कायम रहा। 2017 में भाजपा की जीत हुई और बंबालाल दिवाकर विधायक चुने गए।
कुल मतदाता : 334743
पुरुष :185645
महिला :149093
| जाति | मतदाता |
| रावत | 73 हजार |
| रैदास | 67 हजार |
| ब्रह्मण | 36 हजार |
| लोधी | 32 हजार |
| मुस्लिम | 31 हजार |
| क्षत्रिय | 22 हजार |
| यादव | 20 हजार |
| वैश्य | 16 हजार |
यहां महिलाओं के लिए अलग अस्पताल की सुविधा नहीं मिल पाई। अभी तक डिग्री कॉलेज भी नहीं खुल सका।
नवाब आशफुद्दौला द्वारा निर्मित कराया गया इमामबाड़ा, देश-विदेश में विख्यात मखदूम शाह सफवी की मजार, कस्बा स्थित मोटेश्वर महादेव मंदिर, साहित्यकार भगवती चरण वर्मा, दशहरी, चौसा और सफेदा आम।
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