सीट का इतिहास : सिरसागंज विधानसभा सीट पर अभी 2 चुनाव हुए है जिसमे जनता ने हरिओम यादव को विधानसभा में भेजा है। दोनों वार वह सपा से जीते हैं। इस विधानसभा में यादव, सवर्ण, मुस्लिम मतदाताओं के अलावा पिछड़ी जातियों में कुर्मी, पाल, नाई जाटव मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सन 2008 से पूर्व सिरसागंज नगर घिरोर विधानसभा का हिस्सा था लेकिन 2008 में जब सिरसागंज विधानसभा का गठन हुआ तो उसमें नगर सिरसागंज के साथ शिकोहाबाद, करहल और घिरोर का आंशिक भाग को शामिल किया है। 2009 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनाव जीतकर सीट को छोड़ा तो उसके बाद जनता ने सिने अभिनेता राजबब्बर उसके बाद अक्षय यादव और उसके बाद भाजपा के डॉ चंद्रसेन जदौन के लिए सिरसागंज विधानसभा की जनता ने वोट किया। सिरसगंज विधानसभा मे 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव हुआ जिसमें दोनों बार समाजवादी पार्टी से हरिओम यादव को भारी मतों से जीत हांसिल हुई।
| जाति | मतदाता |
| यादव | 1,20000 लाख |
| ठाकुर | 55,000 हजार |
| लोधी | 29,000 हजार |
| जाटव | 27,000 हजार |
| बघेल | 25,000 हजार |
आलू उत्पादन का मुख्य केंद्र माने जाने वाले सिरसागंज को व्यापारिक धुरी के रूप में देखा जाता है। 57 से अधिक सीतगृह देश की सभी मंडियों से जोड़ता है जिससे यहां का किसान उन्नतशील है।
सिरसागंज का आलू उत्पादन में अग्रणी होना अधिकांश समय किसान के लिए अभिशाप साबित होता है क्योंकि जब उत्पादन अधिक होता है तो तालुके भाव इतने गिर जाते है कि आलू की फसल को फेकनें तक की नौबत आ जाती है। सालों से किसान सरकारों से आलू प्रोसेसिंग फैक्ट्री लगाने की मांग कर रहे है लेकिन सरकार ने अभी तक किसानों की कोई सुनवाई नही की।
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