सीट का इतिहासः आगरा की सीमा के साथ-साथ एटा जिले की सीमा से जुड़ी इस विधानसभा सीट में निर्णायक भूमिका ठाकुर के साथ निषाद वोटर निभाते हैं। इस विधानसभा ने चौधरी मुल्तान सिंह को 1962 से लेकर 1969 तक तीन बार लगातार विधायक चुना थे। 1974 में कांग्रेस से रामजीलाल केन, 1980 में कांग्रेस से गुलाब सेहरा को चुना था। 1977 में जनता पार्टी से राजेश कुमार सिंह को विधायक चुना था। 1989 व 1991 मे जनता दल से ओमप्रकाश दिवाकर,1993 में सपा के रमेशचंद्र चंचल को चुना था। 1996 मे भाजपा के शिव सिंह चक,2002 में सपा के मोहनदेव शंखवार,2007 एवं 2012 के चुनाव में बीएसपी से राकेश बाबू एडवोकेट को विधायक चुना था। 2017 के चुनाव में भाजपा से प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल चुनाव लड़े और बड़े अंतर से जीत हासिल की। प्रदेश सरकार में मंत्री बने थे। 2019 में लोकसभा चुनाव में आगरा लोकसभा से प्रत्याशी बना दिए जाने के कारण यहां उपचुनाव हुए थे। उपचुनाव में भाजपा के प्रेमपाल सिंह धनगर ने जीत हांसिल की है।
| जाति | मतदाता |
| जाटव | 65 हजार |
| ठाकुर | 40 हजार |
| बघेल | 40 हजार |
| यादव | 40 हजार |
| ब्राह्मण | 26 हजार |
| मुसलमान | 20 हजार |
| जाट | 16 हजार |
| निषाद | 15 हजार |
| कुशवाह | 15 हजार |
| लोधी | 12 हजार |
| वाल्मीकि | 10 हजार |
| दिवाकर | 10 हजार |
| नाई | 8 हजार |
| शंखवार | 8 हजार |
| चक | 5, 500 हजार |
| राठौर | 5 हजार |
| कुम्हार | 5 हजार |
| कश्यप | 4 हजार |
| नट | 1 हजार |
विधानसभा में खारे पानी की समस्या हावी रहती है। साथ ही क्षेत्र में बिजली की किल्लत सहित किसानों की समस्याएं मुद्दा बनती हैं। यमुना के तलहटी क्षेत्र के किसानों की समस्याएं भी हावी रहती है।
इस विधानसभा में मिर्च का उत्पादन के साथ साथ आलू की काफी पैदावार होती है।
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