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Amar Ujala Samvaad 2023: सब जिंदगी जीते हैं, हम जुनून जीते हैं... कैलाश खेर ने यूं बताया जिंदगी का फलसफा

एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला Published by: निधि पाल Updated Mon, 19 Jun 2023 03:20 PM IST
सार

इस दौरान पहले कैलाश खेर ने टूटा-टूटा एक परिंदा से गाना गाकर महफिल जमाई, फिर अपने संघर्ष की कहानी सुनाई और युवाओं को जिंदगी जीने का फलसफा भी सिखाया।
 

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Amar Ujala Samvaad 2023 conversation with singer kailash kher in programme
कैलाश खेर - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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अमर उजाला संवाद उत्तराखंड 2023 में कैलाश खेर ने टूटा-टूटा एक परिंदा से गाना गाकर महफिल जमाई, फिर अपने संघर्ष की कहानी सुनाई और युवाओं को जिंदगी जीने का फलसफा भी सिखाया। यकीनन जिक्र हो रही है दिग्गज गायक कैलाश खेर की, जो अमर उजाला संवाद के मंच पर मौजूद थे। एंकर सुमित अवस्थी ने उनसे तमाम सवाल पूछे और जाना कि वह किन-किन चीजों का त्याग करके कामयाबी के शिखर तक पहुंचे।
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सुमित अवस्थी: इतनी मेहनत करके यहां तक पहुंचने के लिए आपने अपने जीवन में क्या त्याग किया है?

कैलाश खेर: कैलाश खेर ने अपनी बात की शुरूआत 'टूटा टूटा एक परिंदा' गाना गाकर की। उन्होंने कहा, मेरा जन्म दिल्ली में हुआ, अमर उजाला के साथ हमारी जड़ें मेरठ से ही हैं। सब जिंदगी जीते हैं हम जुनून जीते हैं। हमारे जैसे क्षेत्र में जजमेंट देने का सबके पास हुनर है। हम एक जिद हैं हम एक जुनून हैं। मेरा मार्ग कंटक था, मेरे लिए बड़ी कठिनाई थी जीवन मेंस जब आप सुबह से शाम तक कठिनताओं का विष पीना सीख लें तो वह भी गाएं तो अमृत है। जब तक आप कामयाब नहीं होते तो इज्जत नहीं मिलते। हमारे क्षेत्र में कामयाब लोग कम ही होते। कैसे कामयाब हुए ये ,सबकी कामयाबी की अपनी जर्नी होती है। हम घर छोड़के भाग गए थे फिर ऋषिकेश आए तो वहां पंडिताई सीखने गए वहां पर गाते थे तो काफी यूनिक था। हमसे सब पूछते थे कि क्या गाते हो तो मेरे गाने हिट हुए तो लोगों ने कहा कि वह सूफी होता है। तो ऐसे में सब आपको पता होता है और जनता परमात्मा होती है।  
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इसे भी पढ़ें- Amar Ujala Samvaad 2023: बॉलीवुड बेस्ट या साउथ? जानें बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रिया सरन ने लिया किसका पक्ष और क्यों?

सुमित अवस्थी: आदिपुरुष की कॉन्ट्रोवर्सी पर क्या कहेंगे? संवादों पर विवाद हो रहा है। उन्हें सभ्य नहीं कहा जा रहा। दक्षिणपंथी भी इसकी आलोचना कर रहे हैं। 

कैलाश खेर: मैंने फिल्म देखी नहीं है। इससे संबंधित बात यह है कि बात चाहे बेसलीके हो मगर, बात सलीके से होना चाहिए। हम कितने भी बदतमीज हों, लेकिन हम जब परिवार से मिलते हैं तो तमीज से मिलते हैं। उदाहरण के लिए हमारे पड़ोसी हैं सारे अभिनेता। उन्हें पता है कि हमने फिल्म नहीं देखी। मंगल पांडेय के लिए आमिर खान के साथ शूट कर रहे थे। तब उन्हें बताया कि हमने आपकी कोई फिल्म नहीं देखी। उन्होंने अगले दिन हमारे लिए लगान की डीवीडी भेजी। गोविंदा को हम गोविंद कहते थे। उन्होंने कहा कि कोई मुझे चीची कहता है, लेकिन मां ही मुझे गोविंद बोलती थीं। बाहुबली का जिक्र हुआ था। उसका जिक्र करूंगा। हैदराबाद गए तो वहां गाने के लिए लिखवाना शुरू किया तो तांडव स्रोत था। मैं चकित था कि 12 साल के करियर में हमसे किसी ने यह नहीं गवाया। हम गंगा के तट पर यही गा-गाकर बड़े हुए हैं। मुख्य गायकों से कोरस गवाया गया था। उन्होंने फिर तमिल में भी हमसे गाने को कहा। आलाप भी गाने को कहा। इसके बाद हम अमेरिका गए। वहां जाकर पता चला कि यह फिल्म यह इतनी बड़ी फिल्म है और पांच भाषाओं में बन रही है। तब मैं पहली बार अपने बेटे के साथ यह फिल्म देखने गया था, तब हमें समझ आया कि इसमें कोई खान नहीं बल्कि भगवान हैं। 
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