'मैं एक कैंसर सर्वाइवर हूं', नैचुरोपैथी का समर्थन करने के बाद हुई ट्रोलिंग पर सोनाली बेंद्रे ने तोड़ी चुप्पी
Sonali Bendre Naturopathy-Autophagy Controversy: अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया। इसमें उन्होंने कहा कि उनके कैंसर के उपचार में नेचुरोपैथी ने काफी मदद की। इस पर मेडिकल प्रोफेशनल्स ने सवाल उठाए हैं। मामला बढ़ने पर सोनाली बेंद्रे ने इस पर चुप्पी तोड़ी है।
विस्तार
सोनाली बेंद्रे कैंसर सर्वाइवर हैं। उन्होने 2018 में इस खतरनाक बीमारी के खिलाफ जंग लड़ी। अभिनेत्री ने हाल ही में अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि कैंसर से जंग में नेचुरोपैथ भी उनके लिए काफी मददगार साबित हुई। इसके बाद वे मेडिकल प्रोफेशनल्स के निशाने पर आ गईं। डॉक्टर साइरिएक एबी फिलिप्स ने उनकी कड़ी आलोचना की है। उन्होंने सोनाली की पोस्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि, 'आपका कैंसर कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी से ठीक हुआ, ना कि नेचुरोपैथी से'। आलोचनाओं और सवाल के बाद सोनाली बेंद्रे ने चुप्पी तोड़ी है और सोशल मीडिया पर एक और पोस्ट शेयर किया है।
सोनाली ने नेचुरोपैथी को लेकर क्या कहा था?
सोनाली बेंद्रे ने इंस्टाग्राम अकाउंट पर साझा किए गए एक पोस्ट में लिखा था, 'साल 2018 में जब मुझे कैंसर का पता चला तो मेरे नेचुरोपैथ ने मुझे ऑटोफैगी नाम की एक स्टडी के बारे में बताया। इसने मेरी रिकवरी में बहुत बड़ी भूमिका निभाई, इसलिए मैंने इसे पढ़ा, सीखा, प्रयोग किया और धीरे-धीरे इसे अपने रूटीन में शामिल कर लिया। मैं तब से इसे फॉलो कर रही हूं'। सोनाली के इस सवाल पर डॉक्टर्स ने सवाल उठा दिए। डॉक्टर साइरिएक एबी फिलिप्स ने एक लंबा-चौड़ा पोस्ट शेयर कर किया। बता दें कि डॉक्टर साइरिएक एबी फिलिप्स भारतीय हेपेटोलॉजिस्ट हैं, जो सोशल मीडिया पर 'द लिवर डॉक' के नाम से जाने जाते हैं।
Dear Ms. Bendre, as a clinician sub-specialist treating a multitude of cancer patients daily, I expected better from you. Cancer-survivors, especially celebrity cancer-survivors are an important asset/ resource for cancer patients and their families when it comes to science… https://t.co/M7KAMbYAXv pic.twitter.com/sJhMtMomlx
— TheLiverDoc™ (@theliverdr) November 22, 2025
विरोध के बाद सोनाली ने तोड़ी चुप्पी
विरोध के बाद सोनाली ने अब एक अन्य पोस्ट शेयर किया है। इसमें उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा है, 'हम सभी का सहमत होना जरूरी नहीं है, लेकिन हमें एक-दूसरे को सिर्फ इसलिए खारिज करने से बचना चाहिए क्योंकि हम अलग-अलग तरीकों की तरफ झुकते हैं'। सोनाली लिखती हैं, 'मैंने कभी डॉक्टर होने का दावा नहीं किया, लेकिन मैं पक्का कोई नीम-हकीम भी नहीं हूं। मैं एक कैंसर सर्वाइवर हूं, जिसने इस बीमारी से होने वाले डर, दर्द, अनिश्चितता और फिर से बनने की प्रक्रिया को झेला है'।
कहा- 'हर इंसान को वही चुनना चाहिए, जो उसे सही और सुरक्षित लगे'
अभिनेत्री ने आगे लिखा है, 'मैंने जो कुछ भी कहा है, वह मेरा अनुभव और सीख है। जैसा कि मैंने बार-बार कहा है कि कोई भी दो कैंसर एक जैसे नहीं होते और कोई भी इलाज का तरीका एक जैसा नहीं होता। पूरी रिसर्च और मेडिकल गाइडेंस के बाद, मैंने खुद जिन कई प्रोटोकॉल को एक्सप्लोर किया, उनमें से एक ऑटोफैगी था। इससे मेरे लिए तब फर्क पड़ा और आज भी यह मेरे लिए प्रभावी है। जो बात सच में मायने रखती है, वह है खुली, इज्जतदार तरीके से बातचीत। हम सभी का सहमत होना जरूरी नहीं है, लेकिन हमें एक-दूसरे को सिर्फ इसलिए खारिज करने से बचना चाहिए, क्योंकि हमारा झुकाव उपचार के अलग-अलग तरीकों की तरफ है। हर इंसान को वही चुनना चाहिए, जो उसे सही, सुरक्षित और मजबूती देने वाला लगे'।
सोनाली बेंद्रे का फिल्मी करियर
सोनाली बेंद्रे का कहना है, 'मैं हमेशा अपनी यात्रा ईमानदारी और विनम्रता के साथ शेयर करूंगी। कभी किसी नुस्खे के तौर पर नहीं, बल्कि अपने अनुभव के तौर पर। बता दें कि सोनाली मेटास्टेटिक कैंसर के खिलाफ जंग लड़ चुकी हैं। अभिनेत्री के करियर की बात करें तो उन्होंने 'आग' (1994) से डेब्यू किया था। वे 'सरफरोश' (1999), 'हम साथ-साथ हैं' (1999), 'हमारा दिल आपके पास है' (2000), 'लज्जा' (2001) और 'कल हो ना हो' (2003) जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं।