सुशांत सिंह राजपूत के परिवार के वकील ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर उठाए सवाल, बोले- रिपोर्ट अधूरी है
Sushant Singh Rajput Case: लगभग पांच साल बाद अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला फिर चर्चा में आया है। CBI की क्लोजर रिपोर्ट पर अभिनेता के परिवार के वकील ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
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दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के परिवार के वकील ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर सवाल उठाए। वकील का कहना है कि अहम दस्तावेज अभी भी रोके गए। एएनआई की खबर के अनुसार सुशांत सिंह के परिवार के वकील वरुण सिंह ने आरोप लगाया है कि एजेंसी ने एक अधूरी और अनिर्णायक रिपोर्ट दायर की है। अहम दस्तावेजों को रोक रखा है, जिससे एजेंसी के निष्कर्षों को किसी भी तरह की कानूनी चुनौती देने में बाधा उत्पन्न हो रही है।
सीबीआई ने मार्च महीने में दायर की क्लोजर रिपोर्ट
सीबीआई ने मार्च 2025 में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। इसमें रिया चक्रवर्ती और एफआईआर में नामित अन्य आरोपियों को क्लीन चिट दी गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि सुशांत सिंह राजपूत को बंधक बनाया गया था, धमकाया गया था या किसी आपराधिक कृत्य के अधीन किया गया था। हालांकि एडवोकेट वरुण सिंह ने एएनआई को बताया कि एजेंसी की रिपोर्ट अधूरी है, क्योंकि कई अहम बातें साझा नहीं की गई है। जबकि पटना कोर्ट ने सीबीआई छह अदालती आदेश दिए थे, जिसमें निर्देश था कि सभी अहम बातों को पेश किया जाए।
सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को परिवार के वकील ने अधूरी बताया
सुशांत सिंह राजपूत के परिवार के वकील ने कहा, ‘हम अदालत जाने का इरादा रखते हैं, लेकिन अभी सबसे बड़ी बाधा यह है कि हमें क्लोजर रिपोर्ट के साथ दिए गए सभी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। पूरी रिपोर्ट के बिना हमारे लिए विरोध याचिका दायर करना असंभव है। वकील ने बताया कि कानून के तहत विरोध याचिका दायर करने, क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देने का अधिकार शिकायतकर्ता के पास होता है। अगर रिपोर्ट में विसंगतियां दिखाई देती हैं, तो मजिस्ट्रेट को भी कार्यवाही जारी रखने का अधिकार है। लेकिन इसके लिए शिकायतकर्ता और मजिस्ट्रेट, दोनों के पास संलग्न दस्तावेजों तक पहुंच होनी चाहिए। फिलहाल, कोई भी कार्रवाई नहीं कर सकता क्योंकि वे रिकॉर्ड गायब हैं, जबकि सीबीआई द्वारा रिपोर्ट दायर किए सात महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है।’ वकील वरुण सिंह ने आगे कहा, ‘सीबीआई की अपनी भाषा से पता चलता है कि निष्कर्ष निर्णायक नहीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 'आत्महत्या की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।’ इसका मतलब है कि निष्कर्ष अनिश्चित है। अगर एजेंसी निर्णायक रूप से यह तय नहीं कर पाई कि यह आत्महत्या थी, आत्महत्या के लिए उकसाना था या हत्या, तो क्या मामला बंद कर देना चाहिए था? सच्चाई को निर्णायक रूप से स्थापित करना सीबीआई का कर्तव्य था।’ ये खबर भी पढ़ें: Rhea Chakraborty: 'चैप्टर 2' के लिए तैयार हुईं रिया चक्रवर्ती, पांच वर्षों बाद अभिनेत्री को वापस मिला पासपोर्ट
वकील ने कहा- सीबीआई चुप क्यों है
सुशांत सिंह राजपूत के परिवार के वकील ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘रिपोर्ट में अभियुक्तों के पक्ष में धन हस्तांतरण की बात स्वीकार की गई थी, लेकिन उसकी ठीक से जांच नहीं की गई। ऐसे लेन-देन की जांच धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात के तौर पर जानी चाहिए थी। इनमें से कोई भी मामला समय से पहले बंद करने के बजाय आगे की जांच को उचित ठहरा सकता था। सीबीआई को डिजिटल साक्ष्यों पर अमेरिका से क्या रिपोर्ट मिली है? सीबीआई चुप क्यों है?’ वह आगे कहते हैं, ‘हमने तो बार-बार दस्तावेज मांगे हैं। जब तक वे उपलब्ध नहीं कराए जाते, हमें पता नहीं चलेगा कि क्लोजर रिपोर्ट किस आधार पर दायर की गई थी।’