सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Entertainment ›   Celebs Interviews ›   Pankaj Tripathi Exclusive Interview Actor shares his golden memories of childhood related to Diwali festival

'गांव की दिवाली और लड्डू..', पंकज त्रिपाठी को याद आए बचपन के दिन; बोले- पार्टी छोड़ परिवार संग मनाएं त्योहार

Kiran Jain किरण जैन
Updated Mon, 20 Oct 2025 07:00 AM IST
विज्ञापन
सार

Pankaj Tripathi Exclusive: दिवाली के मौके पर अमर उजाला ने अभिनेता पंकज त्रिपाठी से बात की और उनके बचपन, करियर और जिंदगी में दिवाली के अनुभवों को जाना। अभिनेता के मुताबिक, दिवाली का त्योहार हमेशा से परिवार, अपनेपन और खुशियों से जुड़ा रहा है। 

Pankaj Tripathi Exclusive Interview Actor shares his golden memories of childhood related to Diwali festival
पंकज त्रिपाठी - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

बचपन की यादें ताउम्र साथ रहती हैं। किसी त्योहार और आयोजन पर मन फिर-फिरकर उन यादों में लौटता है। ऐसा ही कुछ हुआ पंकज त्रिपाठी के साथ, जब हाल ही में उनके सामने जिक्र छिड़ा दिवाली का। इंडस्ट्री में बड़ा ओहदा हासिल कर चुके अभिनेता के दिल में बचपन वाली दिवाली की यादें आज भी धड़कती हैं। अमर उजाला के साथ खास बातचीत में उन्होंने बचपन की उस साधारण, लेकिन यादगार दिवाली और जीवन में रोशनी की अहमियत को साझा किया। उन्होंने बताया कि उनके लिए यह त्योहार सिर्फ मिठाई और दीयों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रिश्तों की मजबूती का प्रतीक भी है।

Trending Videos

Pankaj Tripathi Exclusive Interview Actor shares his golden memories of childhood related to Diwali festival
पंकज त्रिपाठी अपने परिवार के साथ - फोटो : इंस्टाग्राम

'बचपन की साधारण, लेकिन खास दिवाली'
पंकज त्रिपाठी बताते हैं, 'बचपन में बिहार के गांव में हमारी दिवाली बहुत साधारण होती थी। घर की साफ-सफाई होती, छोटे-मोटे दिए जलते और बस त्योहार का माहौल होता। वैसे झालर या बड़े सजावट वाले पटाखे नहीं होते थे। लेकिन यही त्योहार मेरे लिए बहुत खास था।' वे आगे बताते हैं, 'गांव में बाजार नहीं था, मोमबत्ती का चलन नहीं था, तो हमारे घर से कपास की बाती और तेल लेकर दिए बनते थे। हर घर में ये उत्सव परिवार और समाज को करीब लाता था। त्योहार में सिर्फ रोशनी ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक गतिविधिया भी जुड़ी थीं। तेल और कपास की खरीदी, दीयों की तैयारी, ये सब गांव की जिंदगी का हिस्सा था। सबसे बड़ी बात, सब परिवार के साथ होते थे। यही छोटी-छोटी यादें आज भी मेरे दिल में रहती हैं।'

विज्ञापन
विज्ञापन

Pankaj Tripathi Exclusive Interview Actor shares his golden memories of childhood related to Diwali festival
पंकज त्रिपाठी अपने परिवार के साथ - फोटो : इंस्टाग्राम

'करियर के अंधेरों में दिवाली ने दी उम्मीद'
पंकज ने अपने करियर के शुरुआती दिनों की भी यादें साझा की। उन्होंने कहा, 'दिवाली अंधेरे पर रोशनी का त्योहार है। जीवन में हर किसी को किसी न किसी अंधेरी परिस्थिति से गुजरना पड़ता है। मेरे लिए भी कई बार ऐसा हुआ, लेकिन दिवाली हमेशा यह याद दिलाती है कि अंधेरा चाहे भीतर हो या बाहर, प्रकाश की ताकत हमेशा अंधेरे को दूर कर देती है'। वो हंसते हुए कहते हैं, 'दिवाली रोज होती है। इंसान रोज किसी न किसी संघर्ष में फंसता है और फिर उसे हल करता है। यही तो दिवाली है- उम्मीद और प्रकाश का त्यौहार।'

Pankaj Tripathi Exclusive Interview Actor shares his golden memories of childhood related to Diwali festival
पंकज त्रिपाठी - फोटो : इंस्टाग्राम

'मिठास और बचपन की यादें'
मिठाइयों के सवाल पर पंकज कहते हैं, 'बचपन में दिवाली पर हमें सिर्फ लड्डू मिलते थे। बाहर से कुछ खास नहीं, लेकिन वही लड्डू अब भी बचपन की याद दिला देते हैं। दिवाली का मतलब हमेशा खुशियों और मिठास से जुड़ा रहा है।' वे मुस्कुराते हुए बताते हैं, 'हालांकि दिवाली का मजा सिर्फ मिठाई या गिफ्ट में नहीं है। त्योहार का असली मतलब है खुश रहना, मुस्कुराना और परिवार और समाज के साथ मिलकर उत्सव मनाना'।

Pankaj Tripathi Exclusive Interview Actor shares his golden memories of childhood related to Diwali festival
पंकज त्रिपाठी अपनी पत्नी के साथ - फोटो : इंस्टाग्राम

'कोई खास ट्रेडिशन नहीं, बस परिवार का साथ'
पंकज बताते हैं कि उनके घर में कोई अलग परंपरा नहीं थी। उन्होंने कहा, 'जो गांव  में होता था, वही हमारे घर में भी होता था। जैसे सभी घरों में साफ-सफाई होती और छोटे-छोटे दीये जलते। पूरे परिवार के लोग साथ मिलकर त्योहार का माहौल बनाते। दिवाली का असली मजा मेरे लिए यही था कि परिवार और समाज के लोगों के साथ समय बिताओ, बातें करो, हंसो-खेलो। किसी बड़े आयोजन या चमक-दमक वाली पार्टी की जरूरत नहीं थी। यही छोटी-छोटी चीजें ही त्योहार को खास बनाती थीं'।

Pankaj Tripathi Exclusive Interview Actor shares his golden memories of childhood related to Diwali festival
पंकज त्रिपाठी अपने परिवार एवं दोस्तों के साथ - फोटो : इंस्टाग्राम

'दिवाली का असली उजाला-भीतर की रोशनी'
पंकज त्रिपाठी के लिए दिवाली केवल बाहरी रोशनी नहीं, बल्कि भीतर की रोशनी का प्रतीक है। 'दिवाली का मतलब है प्रकाश। यह आपके भीतर और बाहर के अंधेरे को दूर करे। यही त्योहार हमें याद दिलाता है कि जीवन में खुशी और उम्मीद का महत्व क्या है? परिवार, रिश्ते और अपनापन ही असली दिवाली है'। वे हंसते हुए कहते हैं, 'और मिठाई? मैं तो दिवाली पर सब खा लेता हूं। चाहे कितने भी लड्डू आएं, मैं वही खा लेता हूं। जीवन का असली स्वाद भी तो वहीं है,  खुशियों और छोटे-छोटे पलों में'।

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed