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Be Happy Movie Review: अभिषेक को अभिनय से ब्रेक लेने की जरूरत, दो कदम पीछे जाकर नई छलांग की करें तैयारी

Pankaj Shukla पंकज शुक्ल
Updated Sat, 15 Mar 2025 09:19 AM IST
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Be Happy Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Abhishek Bachchan Inayat Verma Remo Dsouza
बी हैप्पी - फोटो : इंस्टाग्राम
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Movie Review
बी हैपी
कलाकार
अभिषेक बच्चन , इनायत वर्मा , नोरा फतेही , नासर , हरलीन सेठी और जॉनी लीवर आदि
लेखक
रेमो डिसूजा , तुषार हीरानंदानी , कनिष्क देव और चिराग गर्ग
निर्देशक
रेमो डिसूजा
निर्माता
लिजेल रेमो डिसूजा
रिलीज
14 मार्च 2024
ओटीटी
अमेजन प्राइम
रेटिंग
1/5

रेमो डिसूजा की बतौर निर्देशक मिथुन चक्रवर्ती अभिनीत बांग्ला फिल्म शायद ज्यादा लोगों को पता नहीं और लोग यही मानते आए है कि वह फिल्म निर्माता वाशू भगनानी की अपनी बेटे को सुपरस्टार बनाने की जिद वाली फिल्म ‘फालतू’ से ही निर्देशक बने। रेमो ने हिंदी सिनेमा को ‘एबीसीडी’ (एनी बडी कैन डांस) और  ‘एबीसीडी 2’ जैसी पैर थिरकाने वाली फिल्में भी दी और कहानी के जिस नींबू को वह इन दो फिल्मों में निचोड़ चुके थे, उसका छिलका मसल कर दर्शकों का स्वाद कसैला कर देने वाली फिल्म ‘स्ट्रीट डांसर 3 डी’ बनाकर खुद ही हाशिये पर चले गए। वहीं कहीं उसी हाशिये पर उन्हें अभिषेक बच्चन सुस्ताते मिले जो इन दिनों एक अच्छा अभिनेता बनने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। लेकिन, उनका गुरूर, उनकी देहभाषा और उनका नए वातावरण या परिवेश में काम करने से बचते रहने का डर, उन्हें इसमें सफल नहीं होने दे रहा। अभिषेक की नई फिल्म ‘बी हैपी’ एक औसत से भी कमतर फिल्म है और इसे प्रसारित करने वाले ओटीटी अमेजन प्राइम की अपनी हिंदी लाइब्रेरी बढ़ाने भर की एक और कोशिश।

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बी हैप्पी - फोटो : अमर उजाला
अभिषेक को खुद को परखने की जरूरत

अभिषेक बच्चन ने अपनी पिछली फिल्म ‘आई वॉन्ट टू टॉक’ में तमाम समीक्षकों को हिला दिया था। फिल्म में अभिषेक ने खूब तारीफें बटोरीं, लेकिन मनोरंजन के पैमाने पर फिसड्डी रही। ऐसी फिल्मों को वैधानिक चेतावनी के साथ रिलीज किया जाना बेहतर होता है। अब वैसी ही एक गलती अभिषेक फिर दोहरा रहे हैं अपनी नई फिल्म ‘बी हैपी’ में। हिंदी फिल्मों के अंग्रेजी नाम रखने से अच्छा ये होता कि ये दोनों फिल्में अंग्रेजी में ही बनाई जातीं क्योंकि ये दोनों फिल्में हिंदी के आम दर्शक की संवेदनाओं को समझने की कतई कोशिश नहीं करती हैं। रेमो डिसूजा कोरियाग्राफर थे, हैं और शायद आगे भी रहेंगे लेकिन बतौर फिल्म निर्देशक परदे पर पांच साल बाद वापसी करके भी वह वहीं खड़े हैं जहां पांच साल पहले फिल्म ‘स्ट्रीट डांसर 3 डी’ के समय थे।

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बी हैप्पी - फोटो : इंस्टाग्राम
पिता-पुत्री के रिश्ते पढ़ना, समझना जरूरी
फिल्म ‘बी हैपी’ होने को पिता और पुत्री के रिश्तों की एक बेहतरीन फिल्म हो सकती थी। इन रिश्तों पर ‘पीकू’ जैसी फिल्में भारत में और बननी चाहिए। रिश्तों को दायरों में न बांधकर, दो पीढ़ियों के बीच होने वाली बातचीत को परंपरागत रूढ़ियों से बाहर लाकर ही एक ऐसे नए पढ़े लिखे समाज की संरचना हो सकती है, जहां होली जैसे त्योहारों पर किसी धार्मिक स्थल को तिरपाल से न ढकना पड़े। याद है अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण के बीच के वे संवाद जहां पिता अपनी बेटी के कौमार्य के बारे में एक अनजान शख्स से बेटी के सामने ही बोले जा रहा है। या जहां बेटी ऐसे किसी रिश्ते को बस ‘इट इज ए नीड’ कहकर आगे बढ़ जा रही है। अभिषेक बच्चन को पिता के रूप में देखना ही अपने आप में कौतूहल जगाता है, लेकिन पिता होने का कौतूहल क्या है, ये अभिषेक को अभी रिश्तों के इस पानी में और गहरे उतरकर नापना बाकी है।

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बी हैप्पी - फोटो : इंस्टाग्राम
बोरिंग सी कहानी, ढीली सी फिल्म
अभिषेक और इनायत वर्मा बाप-बेटी के रूप में कमाल के लगते हैं। दोनों के बीच की सहजता दर्शक फिल्म ‘लूडो’ में ही देख चुके हैं। नए बाल कलाकारों में इनायत वर्मा अव्वल नंबर की कलाकार हैं। शूटिंग न चल रही हो तो अभिषेक को भैया कहकर ही बुलाती हैं। ‘ब्लैक’की आयशा कपूर की तरह अमिताभ को अमित कहकर नहीं! लेकिन ‘ब्लैक’ और ‘बी हैपी’ की अड़चन एक जैसी है। किरदारों की पृष्ठभूमि से इनके लेखक बचने की कोशिश करते रहे और इसी के चलते इन किरदारों का तारतम्य दर्शकों से बनता नहीं है। शिव अपनी बेटी की डांस करने की इच्छा के प्रतिकूल है। एक डांस टीचर उसका हौसला बढ़ाती है। बात डांस रियलिटी शोज तक पहुंचती है। जय भानुशाली, पुनीत पाठक, सलमान युसूफ खान, एलि एवरम और सोनाली बेंद्रे जैसे रियलिटी शोज के नियमित चेहरों की फिल्म में एंट्री होती है, लेकिन फिल्म एक रियलिटी शो से भी ज्यादा बोरिंग होती जाती है।

Be Happy Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Abhishek Bachchan Inayat Verma Remo Dsouza
बी हैप्पी - फोटो : इंस्टाग्राम
रेमो और उनकी लेखक मंडली पूरी तरह फेल

फिल्म ‘बी हैपी’ को देखना ‘नादानियां’ जैसी ही चुनौती है। फिल्म को शुरू से आखिर तक एक ही बार में न देख पाने की सहूलियत हालांकि ओटीटी देता है लेकिन पैसा तो यहां भी जा रहा है। एमएक्स प्लेयर पर ये फिल्म होती तो ठीक था, लेकिन अमेजन प्राइम की ब्रांडिंग को इस तरह की फिल्में नुकसान पहुंचाती हैं। एमजीएम स्टूडियोज खरीद चुकी कंपनी अमेजन के लिए ‘बी हैप्पी’ जैसी फिल्मों में निवेश करना भुनी मूंगफली के साथ मिलने वाले मुफ्त के धनिया वाले नमक जैसा है। सोचना अभिषेक बच्चन को है कि वह ये धनिया वाला नमक बने रहना चाहते हैं, या आंच में उबलती बालू में भुनकर करारे दाने का स्वाद अपने प्रशंसकों को देना चाहते हैं। स्वाद लाने के लिए भुनना किसी भी अच्छी रेसिपी की पहली शर्त है। रेमो डिसूजा और उनकी लेखक मंडली दोनों ने अभिषेक को यहां फेल किया है। इनायत और अभिषेक मिलकर फिर भी तंबू ताने रखने की कोशिश करते हैं और इसमें नोरा फतेही, हरलीन सेठी, नासर और जॉनी लीवर जैसे कलाकारों की कोशिशें भी खूब नजर आती हैं। कहते तो हैं कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, लेकिन कोशिशें ईमानदार भी होनी बहुत जरूरी हैं।

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