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Chhorii 2 Movie Review: सोहा अली खान की कैमरे के सामने दमदार वापसी, बाकी दोनों छोरियां भी दमदार कम नहीं हैं

Pankaj Shukla पंकज शुक्ल
Updated Fri, 11 Apr 2025 10:19 AM IST
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Chhorii 2 Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Vishal Furia Nushrratt Bharuccha Soha Ali Khan Hardika Sharma
छोरी 2 - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
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Movie Review
छोरी 2
कलाकार
नुसरत भरूचा , सोहा अली खान , गशमीर महाजनी , सौरभ गोयल , कुलदीप सरीन , पल्लवी अजय और हार्दिका शर्मा
लेखक
विशाल फुरिया , अजित जगताप , दिव्य प्रकाश दुबे और मुक्तेश मिश्रा
निर्देशक
विशाल फुरिया
निर्माता
भूषण कुमार , कृष्ण कुमार , विक्रम मल्होत्रा और जैक डेविस आदि
ओटीटी
अमेजन प्राइम
रिलीज
11 अप्रैल 2025
रेटिंग
2/5
अमेजन प्राइम की इस बात के लिए तो दाद देनी चाहिए कि हिंदी फिल्म दर्शकों के लिए वे ऐसी कहानियां ढूंढ लाने में सफल रहते हैं, जिनकी जड़ें हिंदुस्तान में हैं। नेटफ्लिक्स की तरह उनकी भारतीयता नकली नहीं है। हिंदी दर्शकों के लिए की जाने वाली अमेजन प्राइम की क्रिएटिव टीम की मेहनत इनकी ओरिजिनल फिल्मों और वेब सीरीज में झलकती भी है। असल अंतर वहां आता है जहां उनको सुनाई गई कहानी और उस कहानी पर बनी फिल्म या वेब सीरीज के आखिरी नतीजे में फर्क दिखता है। डरावनी फिल्मों का पूरी दुनिया में एक अलग बाजार बना हुआ है। हॉलीवुड की हॉरर फिल्में भारत में खूब देखी जाती है। रामसे ब्रदर्स और भाखरी ब्रदर्स के बाद किसी ने इस श्रेणी के सिनेमा में शिद्दत से काम किया नहीं है। भूले भटके विक्रम भट्ट भटकती आत्माओं पर फिल्म बना लेते हैं। लेकिन, हॉरर को एक श्रेणी के तौर पर विकसित करने और इसके लिए समर्पित लोगों की टीम बनाने के लिए निवेश का जोखिम अभी तक किसी हिंदी फिल्म निर्माण कंपनी ने उठाया नहीं है। निर्देशक विशाल फुरिया मुंबई में हॉरर फिल्मों के होने वाले खास शोज में अक्सर टकराते हैं। अक्सर हम अगल-बगल की सीटों पर बैठकर ये फिल्में भी देखते हैं। उनकी नई फिल्म ‘छोरी 2’ हॉरर में उनका अगला प्रयास है।
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Chhorii 2 Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Vishal Furia Nushrratt Bharuccha Soha Ali Khan Hardika Sharma
छोरी 2 - फोटो : अमर उजाला
कदम कदम पर बिखरे सेटअप और पेबैक
चार साल पहले अमेजन प्राइम पर ही रिलीज हुई फिल्म ‘छोरी’ के सीक्वल के तौर पर बनी फिल्म ‘छोरी 2’ की पृष्ठभूमि पहली फिल्म वाली है। किरदार कुछ नए हैं और कुछ पुराने भी। कहानी शहर से शुरू होकर गांव जाती है। उन्हीं गन्ने के खेतों में जिनके रास्ते भूल भुलैया जैसे हैं। पुलिस अभी वहां की सुस्त सी है। ड्रोन जैसी किसी चीज का उन्होंने नाम नहीं सुना है। मामला बच्चियों को पैदा होते ही मार देने का है सो बोली राजस्थान और हरियाणा की लोकभाषा सरीखी रखी गई है। फिल्म में एक डायलेक्ट कोच है लेकिन उन्हें भी कहा ही गया होगा कि बहुत ज्यादा ईमानदारी से काम करने की जरूरत नहीं है क्योंकि मारवाड़ी या हरियाणवी हर हिंदी भाषी समझ ही लेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। तो खड़ी बोली मिश्रित मारवाड़ी मिश्रित हरियाणवी बोलने वाली एक दासी मां इस बार कहानी के केंद्र में है। वह प्रधान जी की लुगाई रही है। प्रधान जी ‘आदि मानव’जैसे बताए जाते हैं, कुंआरी कन्याओं से उनको यौवन मिलता है। कैसे? इसकी पूरी प्रक्रिया फिल्म में दिखाई गई है। नई पीढ़ी ‘आदि मानव’ शब्द सुनकर चौंक न जाए, इसलिए फिल्म की हीरोइन साक्षी को अपनी कक्षा में ‘केव मैन’ पर पाठ पढ़ाते शुरू में ही दिखा दिया जाता है। सिनेमा की भाषा में इसे सेटअप और पेबैक कहते हैं। साक्षी की बच्ची बड़ी हो चुकी है। कहानी ‘छोरी’ की कहानी से सात साल बाद के समय में शुरू होती है। 

 

Chhorii 2 Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Vishal Furia Nushrratt Bharuccha Soha Ali Khan Hardika Sharma
छोरी 2 - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
लीक छोड़कर चल रहे विशाल फुरिया
निर्देशक विशाल फुरिया की भी हिम्मत की दाद देनी चाहिए कि वह हिंदी सिनेमा के हॉरर के बंधे बंधाए फॉर्मूले पर नहीं चल रहे हैं। सुरीली आवाज में गाना गाती कोई आत्मा यहां नहीं है। प्रेम करते करते भूत प्रेतों तक जा पहुंचे प्रेमी-प्रेमिका नहीं है। हां, बहुत सारी सुरंगें हैं। जिनका निकास उन कुओं में खुलता है जो गन्ने के खेतों में बने हुए हैं और ऊपर से देखने पर मनोज नाइट शामलन की किसी फिल्म के पोस्टर पर बने चिह्न जैसे दिखते हैं। विशाल फुरिया ने कुछ कुछ प्रेरणा आदित्य सरपोतदार की फिल्म ‘मुंज्या’ से भी ली दिखती है। उनकी कहानी की खलनायिका एक जगह बैठे बैठे अपनी शक्ति का प्रोजेक्शन कर सकती है। कहीं भी जाकर कुछ भी देख सकती है और जरूरत पड़े तो अपने शिकार को भरमा कर अपने पास भी ला सकती है। ये किरदार सोहा अली खान ने किया है। उनको परदे पर देखकर डर लगता है, यही उनके किरदार की विजय है। लेकिन, विशाल ये भी ध्यान रखते हैं कि कहानी की नायिका तो नुशरत भरूचा हैं सो सोहा को बीस तक आने का मौका देकर फिर वह नुशरत को इक्कीस बना देते हैं। नुसरत और उनकी बेटी बनी हार्दिका शर्मा ने भी प्रशंसनीय काम किया है। नुसरत के क्लाइमेक्स वाले सीन उन्हें तालियों के हकदार बनाते हैं। शादी के लिए तैयार की जा रही एक सात साल की बालिका के किरदार में हार्दिका ने दिल छू लेने वाला अभिनय किया है।

Chhorii 2 Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Vishal Furia Nushrratt Bharuccha Soha Ali Khan Hardika Sharma
छोरी 2 - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
बच्चियों को दवा से बड़ा करने के किस्से 
ध्यान ये रखना है कि साल 2025 में हम एक ऐसी फिल्म देख रहे हैं जिसकी कहानी का लॉजिक समझाने के लिए निर्देशक को फिल्म खत्म होने के बाद वे आंकड़े दिखाने पड़ रहे हैं जिनमें बाल विवाह आदि की जानकारी है। बाल विवाह की कुप्रथा देश में अब भी जारी है। इसकी वजह कहीं सियासी मजबूरियां हैं और कहीं प्रशासन की सुस्ती। जो एनजीओ इस काम में लगे हैं, उनमें से कई का फोकस अपने प्रचार पर ज्यादा और ग्राउंड वर्क पर कम है। फिल्म ‘छोरी 2’ की छोरी दरअसल हार्दिका शर्मा है। नुशरत भरूचा के किरदार साक्षी की सात साल की बेटी ईशानी। स्कूल पढ़ने वह नहीं जा सकती क्योंकि सूरज की रोशनी उसकी त्वचा झुलसा देती है। मां की वह लाडली है। घर में काम करने वाली सहायिका को वह रानी मां कहकर बुलाती है तो बहुत अच्छा लगता है। सहायकों और सहायिकाओं को सम्मान देने की बात बच्चों को बचपन से ही सिखा दी जाए तो बड़े होकर जब ये बच्चे किसी कंपनी के अहम ओहदे पर पहुंचते हैं तो बीच रास्ते खड़े होकर इन लोगों का अपमान करने की बात सोचते भी नहीं हैं। दासी मां और ईशानी की त्वचा एक जैसी है। हालांकि दोनों से उनकी उम्र का पता तो चलता है पर दासी मां को ईशानी में अपने प्रधान जी की नई बहू दिखती है। सात साल की बच्ची को दवा पिला पिलाकर बड़ा किया जाता है। गांवों, आदिवासी इलाकों से बच्चियों को अगवा करके उन्हें बेचने से पहले ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन लगाकर ‘बड़ा करने’ की खबरें तो आपने भी पढ़ी होंगी। यहां ये इंजेक्शन काढ़ा की शक्ल में है।

Chhorii 2 Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Vishal Furia Nushrratt Bharuccha Soha Ali Khan Hardika Sharma
छोरी 2 - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
पटकथा में भटक गई लेखन टीम

विशाल फुरिया ने फिल्म ‘छोरी 2’ के लिए कहानी अच्छी बुनी लेकिन, इसका डर फैलाने के लिए जो फॉर्मूले इसके इर्द गिने बुने वे न सिर्फ बहुत लंबे हो गए हैं, बल्कि हॉरर फिल्मों के शौकीनों के लिए बहुत जाने पहचाने हो गए हैं। साक्षी के पति के किरदार में सौरभ गोयल की वापसी असरदार है। दिवगंत आत्माओं के साक्षी के साथ मिलकर शैतान का मुकाबला करने वाला क्लाइमेक्स भी अच्छा बन पड़ा है, लेकिन वहां तक आने के लिए दर्शकों में जो धैर्य चाहिए, वही इस फिल्म का असली लिटमस टेस्ट है। एक अच्छी शुरुआत के बाद फिल्म बीच में आकर बहुत बोझिल होने लगती है। सुरंगों में कभी ईशानी का मां को ढूंढना, कभी मां का ईशानी को ढूंढना, फिर राजबीर का साक्षी को ढूंढना और साक्षी के मददगार पुलिसवाले का भी इन सुरंगों में भटकते रहना, कहीं कहीं बहुत दोहराव वाला लगने लगता है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी बहुत असरदार नहीं है। ग्रामीण अंचलों की ऐसी कहानियों में वहां के लोकसंगीत को जरूर मौका देना चाहिए। अंशुल चौबे ने अपने निर्देशक का जरूर कैमरा लेकर कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया है, लेकिन समग्र रूप में फिल्म में ऐसी कोई असरदार बात नहीं है, जो यादगार बन जाए। चेहरे के जरिये किसी इंसान की आत्मा खींच लेने वाला हैरी पॉटर सीरीज की फिल्मों जैसा सीन रचने से भी विशाल फुरिया को बचना चाहिए था।

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