Four More Shots Please 4 Review: वही पुरानी कहानी, फाइनल सीजन जैसा कुछ भी नहीं; कुणाल रॉय कपूर सब पर पड़े भारी
Four More Shots Please Final Season: प्राइम वीडियो की लोकप्रिय सीरीज ‘फोर मोर शॉट्स’ का फाइनल सीजन आज रिलीज हो गया है। देखने से पहले जानिए कैसा है शो…
विस्तार
‘रिश्ते रहें ना रहें प्यार तो हमेशा रहता है।’ दोस्ती, रिलेशनशिप और प्यार की अहमियत को दिखाती चार लड़कियों की कहानी वाला शो ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज’ का चौथा सीजन आज रिलीज हो चुका है। ये सीरीज का फाइनल सीजन है। 2019 में शुरू हुई इस सीरीज के पहले और दूसरे सीजन को महिलाओं की कहानी और उनकी बोल्डनेस के चलते दर्शकों और क्रिटिक्स ने काफी पसंद किया था। हालांकि, तीसरा सीजन आते-आते कहानी कहीं न कहीं सिर्फ बोल्डनेस तक सीमित रह गई और नयापन खोने लगी। इसलिए इसे दर्शकों व क्रिटिक्स की मिली-जुली प्रतिक्रिया ही हासिल हुई थी। अब पहले सीजन के छह साल बाद इस सीरीज का फाइनल सीजन आया है। सात एपिसोड वाली इस सीरीज को देखने से पहले पढ़िए यह रिव्यू और जानिए सीरीज देखनी चाहिए या नहीं…
कहानी
पिछले तीन सीजन की तरह इस बार भी कहानी शो के चार प्रमुख किरदारों दामिनी रिजवी रॉय (सयानी गुप्ता), अंजना मेनन (कीर्ति कुल्हारी), सिद्धि पटेल (मानवी गगरू) और उमंग सिंह (बानी जे) पर आधारित है। सीरीज की शुरुआत होती है सिड्स यानी सिद्धि पटेल की शादी से। सिद्धि अपने लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड मिहिर (राजीव सिद्धार्थ) से शादी करती है। अंज यानी अंजना तलाक के बाद अपनी बेटी के साथ खुश है और सफल वकील है। डी यानी दामिनी देश की बड़ी पत्रकार और चर्चित हस्ती बन चुकी है और मैंग्स यानी उमंग एक सफल जिम ट्रेनर बन चुकी है, जिसका उमामी काफी लोकप्रिय है।
हर बार की तरह चारों किरदारों की कहानी एक जैसी रफ्तार में ही आगे बढ़ती है। कहानी पिछले सीजन में जहां से खत्म होती है, वहीं से आगे बढ़ती है। अब सब अपने जीवन में अब सेटल हैं। लेकिन सबके पास कुछ न कुछ समस्याएं हैं। सिड्स की शादी हो गई है लेकिन उसमें कुछ समस्याएं हैं। अंज को रोहन (डिनो मोरिया) में फिर से प्यार मिला है और वो उसके साथ फिर से सेटल होना चाहती है। लेकिन फिलहाल वो बाइक से दुनिया घूमने निकल गई है। डी अपने करियर में सेटल है और पॉडकास्ट शुरू कर लिया है। लेकिन प्यार के मामले में अभी भी वो जेह (प्रतीक बब्बर) को भूल नहीं पाई है। मैंग्स करियर में सफल है, लेकिन पार्टनर की तलाश है। जिन्हें वो डेटिंग एप्स पर भी ढूंढती है।
जब भी कोई किरदार किसी समस्या में आता है, बाकी तीन उसकी मदद करने पहुंच जाते हैं। पिछले तीनों सीजन में भी यही दिखा था। सीरीज में कुणाल रॉय कपूर की नई एंट्री हुई है। उन्होंने डी के भाई अशोक आदित्य की भूमिका निभाई है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि वो सीरीज में सब पर भारी पड़े हैं। इसके अलावा डिनो मोरिया और अनसुइया सेन गुप्ता भी नई एंट्री हैं।
बाकी इस सीजन में सीरीज के फाइनल सीजन जैसा कुछ भी नया नहीं लगता है। पिछले तीन सीजन की तरह ही सीरीज प्यार रिलेशनशिप, एलजीबीटक्यू और दोस्ती को लेकर मैसेज देने का प्रयास करती है। जिसमे कहीं-कहीं सफल भी होती है। लेकिन कहानी में कुछ भी नया या अलग नहीं है। सिंपल कहानी जो एक ही रफ्तार में आगे बढ़ती है। बीच में प्रेडिक्टेबल ब्रेकर आते हैं और फिर अंत में हमेशा की तरह एक हैप्पी एंडिंग, जहां सबकुछ सही हो जाता है। कुछ एक कैमियो भी हैं। सीरीज में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो स्पॉइलर हो।
हां, बस एक मजबूत दोस्ती देखने को मिलती है और ये बताती है कि रिलेशनशिप में समझदारी जरूरी है। तीन सीजन की तरह एलजीबीटीक्यू को लेकर यहां भी बीच-बीच में मैसेज देने का प्रयास है। कई बार आपको लगता है कि बोल्डनेस के नाम पर इंटीमेट सीन, गालियां ए ग्रेड बातें जबरन ठूंसे गए हैं। जो सिर्फ सीरीज की टाइमिंग को ही आगे बढ़ाते हैं।
अभिनय
अभिनय की बात करें तो सीरीज की चार लीड एक्ट्रेस कीर्ति कुल्हारी, सयानी गुप्ता, मानवी गगरू और बानी जे ने वैसा ही अभिनय किया है, जैसा अब तक करते आए हैं। न तो किसी के किरदार में करने को कुछ नया था और न ही उन्होंने कुछ नया करने का ट्राई किया है। बस कीर्ति कुल्हारी सीरीज में सबसे हॉट और खूबसूरत लगी हैं। बोल्ड और इंटीमेट सीन भी सबसे ज्यादा उनके ही हिस्से में आए हैं।
अगर पूरी सीरीज में किसी का अभिनय आपका ध्यान खींचेगा, तो वो कुणाल रॉय कपूर हैं। हालांकि, वो इस तरह के किरदार पहले भी निभा चुके हैं। लेकिन यहां वो बाकी कास्ट पर भारी पड़े हैं। उनका किरदार भी सबसे मजेदार और अच्छा है, जो आपको हंसाता भी है और गंभीर बात भी करता है। उनकी कॉमिक टाइमिंग कमाल है और कई बार सिर्फ उनके एक्सप्रेशन ही आपको उस सीन का इमोशन फील करा देते हैं।
50 साल की उम्र में भी डिनो मोरिया काफी फिट और हैंडसम लगे हैं। उन्होंने अपने किरदार के साथ इंसाफ किया है। इसके अलावा प्रतीक बब्बर और अनसुइया सेन गुप्ता थोड़ी देर के लिए ही हैं, लेकिन अपने किरदार को बखूबी निभाते हैं। बाकी सीरीज के पुराने किरदारों की भी झलक दिखती है, जिनमें मिलिंद सोमन भी शामिल हैं।
निर्देशन
सीरीज का निर्देशन अरुनिमा शर्मा ने किया है। निर्देशन ठीक-ठाक ही है। कुछ सीन जरूर आपको रिपीट लगते हैं, वो शायद इसलिए क्योंकि कहानी ही एक जैसे तरीके से ही आगे बढ़ती है। हर एक सेट के पूरा होने के बाद मुंबई की सड़कें और नाइट लाइट्स दिखाना आपको बोर करता है। कई सीन खिंचे हुए भी लगते हैं, जो शायद छोटे हो सकते थे। पूरी सीरीज में कई बार आपको चीजें रिपीट होती मालूम पड़ती हैं, जहां पर निर्देशक की कमी साफ झलकती है। हां, सिनेमेटोग्राफी अच्छी है। गोवा, बैंकॉक और मुंबई के भी कुछ ड्रोन शॉट अच्छे लगते हैं।
कमियां
सीरीज की सबसे बड़ी कमी इसकी कहानी ही है। कहानी में कुछ भी नया या अलग है ही नहीं। कई बार तो आप सोचने पर मजबूर हो जाते हो कि आखिर इस सीजन को लाने की जरूरत ही क्या थी? खासकर फाइनल सीजन जैसा कुछ भी नहीं लगता है। इस तरह से पिछले सीजन में ही एक-दो एपिसोड बढ़ाकर कहानी को खत्म किया जा सकता था। सात एपिसोड की इस सीरीज में एक-एक एपिसोड में ही आपको कई बार चीजें रिपीट होती दिखती हैं। कहानी काफी ज्यादा प्रेडिक्टेबल है, इसलिए एक भी बार आपको उत्साह नहीं आता है।
बोल्डनेस के नाम पर इंटिमेट सीन और गालियां कई जगह जबरन ठुंसी हुई लगती हैं। सीरीज के पहले सीन में ही कीर्ति कुल्हारी का किरदार हर शब्द में गालियों का इस्तेमाल करता है। स्टैंड अप कॉमेडी के नाम पर सिर्फ अश्लीलता परोसी जा रही है, ये दिखाना भी किसी चीज को ऑब्जेक्टिफाई करना लगता है। सीरीज में वो सबकुछ दिखाने का प्रयास किया गया है, जो आजकल चल रहा है। फिर वो चाहें स्टैंडअप कॉमेडी हो, पॉडकास्ट हो, सोशल मीडिया का इन्फ्लुएंस हो या फिर मौजूदा वक्त की मार्केटिंग स्ट्रैटजी हो। लेकिन सबकुछ दिखाने के चक्कर में मेकर्स सीरीज में कहानी डालना भूल ही गए।
देखें या न देखें
अगर आप ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज’ के फैंस हैं और पिछले तीन सीजन देखे हैं, तो आप इसे भी देख ही सकते हैं। हालांकि, आपको इसमें कुछ भी नया नहीं दिखेगा। सिर्फ कुणाल रॉय कपूर ही आपको हंसाएंगे और उन्हें देखकर अच्छा लगेगा। हां, बेशक इसे बच्चों के साथ बैठकर न देखें क्योंकि इंटिमेट सीन और गालियां पर्याप्त हैं। कहीं न कहीं ये सीरीज ए क्लास लोगों के लिए ही है। जिसका मकसद ही समाज के एक वर्ग को दिखाना है। अगर आप उस वर्ग से आते हैं या फिर आपने उस वर्ग को करीब से देखा है, तो ये कहानी आपको प्रभावित कर सकती है, क्योंकि आप इससे जुड़ पाएंगे। वर्ना कहानी में बार-बार दोहराव आपको जरूर अखरेगा।