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Raat Akeli Hai The Bansal Murders Review: मर्डर मिस्ट्री में दमदार दिखे नवाजुद्दीन, कुछ किरदार लगे अधूरे

Kiran Jain किरण जैन
Updated Fri, 19 Dec 2025 01:50 PM IST
सार

Movie Raat Akeli Hai The Bansal Murders Review: नेटफ्लिक्स पर नवाजुद्दीन सिद्दीकी स्टारर मर्डर मिस्ट्री फिल्म ‘रात अकेली है: द बंसल मर्डर्स’ रिलीज हो चुकी है। रिव्यू में पढ़िए कैसी है यह फिल्म?

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Raat Akeli Hai The Bansal Murders Movie Review Starring Nawazuddin Siddiqui And Chitrangada Singh
फिल्म ‘रात अकेली है: द बंसल मर्डर्स’ रिव्यू - फोटो : एक्स (ट्विटर)
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Movie Review
रात अकेली है: द बंसल मर्डर्स
कलाकार
नवाजुद्दीन सिद्दीकी , चित्रांगदा सिंह , दीप्ति नवल , रेवती , राधिका आप्टे , रजत कपूर , संजय कपूर और इला अरुण
लेखक
स्मिता सिंह
निर्देशक
हनी त्रेहन
निर्माता
रोनी स्क्रूवाला
रिलीज
19 दिसंबर 2025 (ओटीटी रिलीज)
रेटिंग
3.5/5

विस्तार
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क्राइम थ्रिलर की दुनिया में ‘रात अकेली है’ ने अपनी अलग पहचान बनाई थी। करीब पांच साल बाद यह कहानी एक नए अध्याय के साथ लौटती है। इस बार मामला सिर्फ हत्या की जांच तक सीमित नहीं रहता...बल्कि डर, आस्था और सिस्टम की उन परतों को भी छूता है, जहां सच्चाई अक्सर दबा दी जाती है। फिल्म ‘रात अकेली है: द बंसल मर्डर्स’ यह सवाल उठाती है कि सच तक पहुंचना इतना मुश्किल क्यों हो जाता है और कई बार किसके फायदे के लिए जांच की दिशा बदल दी जाती है।

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कहानी 
कहानी उत्तर प्रदेश के कानपुर में बसे प्रतिष्ठित और प्रभावशाली बंसल परिवार से शुरू होती है। एक ही रात में परिवार के छह सदस्यों की रहस्यमयी मौत पूरे इलाके को हिला देती है। मामला हाई प्रोफाइल है, इसलिए पुलिस और प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो जाते हैं। जांच की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर जटिल यादव (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) को सौंपी जाती है, लेकिन यह केस जल्द ही एक साधारण मर्डर मिस्ट्री नहीं रह जाता। पूछताछ के दौरान परिवार, रिश्तेदारों और करीबियों के बयान कई सवाल खड़े करते हैं। जैसे-जैसे परतें खुलती हैं, कहानी अंधविश्वास, काले जादू और आध्यात्मिक प्रभावों की ओर बढ़ती है। गुरु मां और उन्हें मानने वाले लोग का नाम सामने आते ही मामला और उलझ जाता है। अवैध निर्माण और गरीबों के नाम पर होने वाली राजनीति भी जांच का हिस्सा बनती है। फिल्म यह सवाल भी उठाती है कि क्या जनता की राय और दबाव किसी केस की दिशा बदल सकता है। 

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Raat Akeli Hai The Bansal Murders Movie Review Starring Nawazuddin Siddiqui And Chitrangada Singh
फिल्म ‘रात अकेली है: द बंसल मर्डर्स’ रिव्यू - फोटो : एक्स (ट्विटर)

अभिनय 
नवाजुद्दीन सिद्दीकी इंस्पेक्टर जटिल यादव के किरदार में एक बार फिर पूरी ईमानदारी और नियंत्रण के साथ नजर आते हैं। न जरूरत से ज्यादा नाटक और न हीरोइज्म। वह एक थके हुए और अकेले पुलिस अफसर के रूप में दिखते हैं, जो सच की तलाश में सिस्टम से भी जूझ रहा है। यह नवाजुद्दीन के सबसे सधे और खामोशी में असर छोड़ने वाला अभिनय में से एक है। राधिका आप्टे जटिल यादव की लव इंटरेस्ट के रूप में कैमियो रोल में दिखाई देती हैं। उनका स्क्रीन टाइम कम है, लेकिन उनकी मौजूदगी जटिल के सख्त और थके हुए जीवन में एक इमोशनल ठहराव लाती है। चित्रांगदा सिंह, मीरा के किरदार में कई परतों के साथ सामने आती हैं। वह एक मजबूत, संवेदनशील और रहस्यमयी महिला हैं, जिनके विश्वास और निजी दुख कहानी में बेचैनी और संदेह दोनों पैदा करते हैं। हर स्तर पर वह अपने किरदार में पूरी तरह फिट नजर आती हैं। दीप्ति नवल आध्यात्मिक गुरु के रूप में बेहद प्रभावशाली हैं। उनका शांत व्यवहार और आत्मविश्वास इस किरदार को और भी डरावना बना देता है। रेवती फॉरेंसिक डॉक्टर की भूमिका में तर्क और विज्ञान की आवाज बनती हैं। उनका अभिनय बैलेंस्ड और असरदार है। रजत कपूर डीजीपी के किरदार में सिस्टम की हिसाबी सोच दिखाते हैं। संजय कपूर बंसल परिवार के सदस्य के रूप में परिवार की इंटरनल पॉलिटिक्स और दबाव को साफ तौर पर सामने रखते हैं। इला अरुण इंस्पेक्टर जटिल की मां के रूप में कहानी को इमोशनल स्पर्श देती हैं।

Raat Akeli Hai The Bansal Murders Movie Review Starring Nawazuddin Siddiqui And Chitrangada Singh
फिल्म ‘रात अकेली है: द बंसल मर्डर्स’ रिव्यू - फोटो : एक्स (ट्विटर)

निर्देशन और स्क्रीनप्ले 
फिल्म का निर्देशन इसकी सबसे बड़ी ताकत है। निर्देशक हनी त्रेहन ने सस्पेंस पैदा करने के लिए बनावटी मोड़ों का सहारा नहीं लिया। कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है और ऑडियंस  को सोचने का समय देती है। कैमरा वर्क संयमित है। अंधेरा, सन्नाटा और ठहरे हुए दृश्य माहौल को गंभीर बनाते हैं। कहीं-कहीं रफ्तार धीमी जरूर लगती है, लेकिन स्क्रीनप्ले संयमित रहते हुए कहानी के असर को और गहरा करता है।

नेगेटिव पॉइंट
कुछ सीन जरूरत से ज्यादा लंबे हैं। जैसे नवाजुद्दीन का हत्या वाली जगह पर पहुंचना और छह लाशों को देखना। इसी तरह फॉरेंसिक और पुलिस का छह हत्याओं का सीन दोबारा दिखाना भी कहानी की रफ्तार को थोड़ा धीमा कर देता है। आध्यात्म और अंधविश्वास से जुड़े कुछ हिस्से और साफ हो सकते थे। वहीं नवाजुद्दीन और राधिका के रिश्ते को सिर्फ इशारों में दिखाया गया है। यह रिश्ता कहानी को भावनात्मक मजबूती दे सकता था। हालांकि, इसे ठीक से एक्स्प्लोर करने का मौका नहीं मिलता। दोनों के सीन्स ज्यादातर एक कमरे तक सीमित रह जाते हैं, जिससे यह रिश्ता अधूरा सा लगता है। संजय कपूर का किरदार अहम होने के बावजूद पूरी तरह खुल नहीं पाता। उनका इस्तेमाल ज्यादातर कहानी में सस्पेंस बनाए रखने के लिए किया गया है, जबकि इस किरदार को और गहराई दी जा सकती थी। 

Raat Akeli Hai The Bansal Murders Movie Review Starring Nawazuddin Siddiqui And Chitrangada Singh
फिल्म ‘रात अकेली है: द बंसल मर्डर्स’ रिव्यू - फोटो : एक्स (ट्विटर)

देखें या नहीं 
‘रात अकेली है: द बंसल मर्डर्स’ उन ऑडियंस के लिए है, जो क्राइम थ्रिलर में सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज की सच्चाइयों की परतें देखना चाहते हैं। अगर आप तेज रफ्तार कहानी की तलाश में हैं, तो यह फिल्म कुछ भारी लग सकती है। लेकिन अगर आपको माहौल, गहराई और मजबूत एक्टिंग पसंद है, तो यह फिल्म जरूर देखी जानी चाहिए।

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