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Sikandar Review: एक्टिंग नहीं प्रशंसकों पर एहसान करते दिखे सलमान खान, सवा दो घंटे की फिल्म भी झेलना मुश्किल

Pankaj Shukla पंकज शुक्ल
Updated Sun, 30 Mar 2025 05:51 PM IST
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Sikandar Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Salman Khan Rashmika Mandanna A R Murugadoss Sathyaraj Anjini
सिकंदर - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
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Movie Review
सिकंदर
कलाकार
सलमान खान , रश्मिका मंदाना , सत्यराज , जतिन सरना , काजल अग्रवाल , अंजिनी धवन , शरमन जोशी , प्रतीक बब्बर , संजय कपूर और नवाब शाह आदि
लेखक
ए आर मुरुगादॉस , रजत अरोड़ा , हुसैन दलाल और अब्बास दलाल
निर्देशक
ए आर मुरुगादॉस
निर्माता
साजिद नाडियाडवाला
रिलीज
30 मार्च 2025
रेटिंग
2/5

प्रकाश मेहरा की फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ में गीतकार अनजान के लिखे शीर्षक गीत का अंतरा है, ‘हमने माना ये जमाना दर्द की जागीर है, हर कदम पे आंसुओं की एक नई जंजीर है, साज ए गम पर जो खुशी के गीत गाता जाएगा, वो मुकद्दर का सिकंदर जानेमन कहलाएगा...!’ सलमान खान की फिल्म ‘सिकंदर’ अनजान की इन्हीं लाइनों पर बनी फिल्म है। बेसिक आइडिया फिल्म ‘एनिमल’ में रणविजय के हार्ट ट्रांसप्लांट से उठाया गया है, बाकी जो है सब सलमान खान है। अनजान के बेटे समीर ने ‘सिकंदर’ के गाने लिखे हैं और फिल्म के क्रेडिट्स में म्यूजिक उस्ताद के तौर पर परोसे गए प्रीतम ने पूरी फिल्म में एक गाना ऐसा नहीं बनाया है जिसकी उम्र अगली ईद तक की नजर आती हो। अगर अब भी ये फिल्म देखने की आपने जिद कर रखी है तो कोई बात नहीं लेकिन उसके पहले ये पूरा रिव्यू जरूर पढ़ लीजिए।

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Sikandar Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Salman Khan Rashmika Mandanna A R Murugadoss Sathyaraj Anjini
सिकंदर - फोटो : अमर उजाला
अब राजकोट के राजासाब बने सलमान

जमाना रहा है जब सलमान खान की फिल्म कैसी भी हो, कम से कम उसका पहला शो तो हाउसफुल होता ही था। ‘जय हो’, ‘रेस 3’, ‘दबंग 3’, ‘टाइगर 3’ जैसी तमाम फिल्में हैं जो सिर्फ सलमान खान के होने भर से भीड़ खींच लाती रही हैं। फिल्म ‘सिकंदर’ इसी चक्कर में इतवार को रिलीज हुई है। लेकिन, ईद अब भारत मे सोमवार को है लिहाजा इतवार यानी रिलीज के दिन सिनेमाहाल खाली खाली ही नजर आए। कहानी वहीं से शुरू हो रही है, जहां कोई 10 साल पहले सूरज बड़जात्या की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ खत्म हुई थी। सलमान खान फिर रियासत के राजा के रूप में हैं। संजय राजकोट नाम है उनका, लोग उन्हें राजा साब बुलाते हैं। देश में मौजूद कुल सोने के 25 फीसदी के मालिक हैं। उम्र से कहीं कम एक युवती को बचाने के लिए उससे शादी करते हैं और ये किस्सा क्या था, न रानी साहिबा बताती हैं, न निर्देशक मुरुगादॉस..!


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Sikandar Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Salman Khan Rashmika Mandanna A R Murugadoss Sathyaraj Anjini
सिकंदर - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
कहां सलमान हैं, कहां उनका डुप्लीकेट, बूझो तो जरा..!
फिल्म ‘सिकंदर’ देखते समय न जाने क्यूं बार बार लगता रहता है कि पूरी फिल्म में सलमान खान हैं हीं नहीं। चेहरा दिखाने की बारी होती है तो मानना पड़ता है कि वह सलमान खान ही हैं, लेकिन तमाम लॉन्ग शॉट्स, एक्शन शॉट्स और बैक टू कैमरा शॉट्स में यूं लगता है जैसे उनकी जगह कोई और ही शूटिंग कर रहा है। हो सकता है ये देखने का भ्रम हो लेकिन इस चक्कर में दर्शकों की सलमान के किरदार के साथ ‘ट्यूनिंग’ नहीं बन पाती है, कुछ कुछ वैसे ही जैसे कि सलमान खान और रश्मिका मंदाना की लव स्टोरी से दर्शकों की एक परसेंट भी ट्यूनिंग नहीं बनती। दोनों में प्यार है, ये हमें शुरू में बता दिया जाता है। राजा साब के पास समय नहीं है अपनी रानी के लिए। उसे एक पल तक मांगना पड़ता है और उसी एक पल में वो गाना गा देती है, ‘कल आपके नसीब में ये रात हो न हो...’। अब गाना गा दिया है तो उसे मरना ही है, मरते मरते उसका दिल, फेफड़ा और आंखें तीन अलग अलग लोगों को मिल जाती हैं। ‘जय हो’ याद है न, एक अच्छा आदमी, तीन अच्छे आदमी बनाए तो ये चेन कैसे देश को बदल सकती है, टाइप्स! वह फिल्म ए आर मुरुगादॉस की फिल्म ‘स्टालिन’ की रीमेक के तौर पर बनी थी।

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सिकंदर - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
किन यादों में उलझ गए सलमान खान
फिल्म ‘सिकंदर’ में राजा साब को एक अच्छा आदमी दिखान के लिए प्रतीक बब्बर को लुच्चागिरी करते दिखाया जाता है। जिस नेता के बेटे के रोल में वह हैं, उसका किरदार सत्यराज ने किया है। न प्रतीक में विलेन वाला दम है और न सत्यराज में एक दबंग नेता की शख्सियत। दोनों मिलकर भी फिल्म का विलेन डिपार्टमेंट नहीं संभाल पाते हैं। पता नहीं क्या फूंककर ऐसी कहानियां लिखी जाती हैं, लेकिन जो भी ये फूंक रहे हैं, वह असली नहीं है। कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा जैसी कहानियों में हुसैन दलाल और अब्बास दलाल ने क्या ही कुछ किया होगा, ये फिल्म की कास्टिंग देखते ही समझ आ जाता है। हिंदी सिनेमा में हिंदी को लेकर लोग कितने सजग हैं, ये समझना हो तो फिल्म की कास्टिंग पर गौर कर लीजिए। जहां ज दिखा वहां नुक्ता लगा देने वाले लोग जिस टीम में होंगे, उसका क्या ही हो सकता है कहने को रजत अरोड़ा भी है। लेकिन, बस कहने को! कहानी बेतुकी, पटकथा बिखरी हुई और संवाद, अमिताभ बच्चन की फिल्मों से मारे हुए। क्या ही कुछ हो सकता है ऐसे ‘सिकंदर’ का। गुजराती बोलने वाला एक राजा दिल्ली में सीधे किसी से गुजराती में बात करता है और काम हो जाता है...! मेरा तो बड़ा मन किया नारा लगाने का, अबकी बार, राजकोट सरकार!
 

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सिकंदर - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
सलमान खान के लिए बहुत मुश्किल घड़ी
सलमान खान से एक्टिंग अब होती नहीं है, होती पहले भी कम ही थी, लेकिन पहले वह इसके लिए कोशिश तो करते ही थे। अब वह अपने प्रशंसकों पर एहसान करते से दिखते हैं। उनको निर्देशित करने वाले निर्देशकों की मानें तो फिल्मों की शूटिंग भी वह ऐसे ही एहसान दिखा दिखा कर करते हैं। बड़ा नाम रहा है सलमान खान का हिंदी सिनेमा में। ‘मैंने प्यार किया’ वाले प्रेम से करोड़ों ने प्रेम किया है। अब प्रेम ही प्रेम न रहा, तो उसकी एक्टिंग पर भी लोगों को भला एतबार कैसे रहे। लेकिन, प्रशंसक हैं कि हर फिल्म में दौड़े चले आते हैं, कि शायद ‘भाईजान’ अबकी बार शाहरुख या आमिर की तरह अपने प्रशंसकों को कलेजा चीरकर कर दिखा दें और कह दें कि हां, हमें तुमसे मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत है! खुद सलमान खान ही अब सलमान खान को बता सकते हैं कि आखिर वह चीज क्या रहे हैं। कभी कभार तो वह ‘तेरे नाम’ या ‘हम दिल दे चुके सनम’ फिर से देखते ही होंगे, नहीं?

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सिकंदर - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
ए आर मुरुगादॉस से नहीं हो पाया

अब तो ये पक्का यकीन हो चला है कि निर्देशक ए आर मुरुगादॉस की धुप्पल ही लगी थी आमिर खान की फिल्म ‘गजनी’ में। उसके बाद उन्होंने ‘हॉलीडे’ बनाई, ‘अकीरा’ बनाई और अब ये ‘सिकंदर’। रिंग मास्टर हल्का पड़ जाए तो सर्कस के अदने से कलाकार भी खुद को तीसमार खां समझने लगते हैं। फिल्म ‘सिकंदर’ में इसे होते हुए साक्षात देख सकते हैं। मुरुगादॉस ने दर्जनों कलाकार जुटाए हैं, लेकिन जमाकर अदाकारी एक से भी नहीं करा सके हैं। हर कलाकार ओवरएक्टिंग की दुकान बना हुआ है। रश्मिका मंदाना के भाव देखकर यूं लगता है कि जैसे कह रही हों, मुझे एक्टिंग करने की जरूरत ही नहीं। मेरा तो बस नाम ही काफी है, फिल्म हिट करा देने के लिए। ‘एनिमल’ और ‘छावा’ ने जो नोट छापे हैं, उससे ऐसा गुमान किसी को भी हो सकता है। गीत-संगीत फिल्म का माशा अल्ला है। नए गीतकार और संगीतकारों को साजिद नाडियाडवाला जैसे निर्माता ट्राई नहीं करते। इसका फायदा उठाकर म्यूजिक उस्ताद प्रीतम और समीर अनजान ने जो म्यूजिक फिल्म ‘सिकंदर’ का बनाया है, वह अगली ईद तक भी कोई याद रख पाया तो सुभानअल्लाह! बाकी, आप लोग अपना खूब खूब ख्याल रखिए, ईद आप सबको बहुत बहुत मुबारक हो!


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