Vash Level 2 Review: इस बार बढ़ गया डर का स्तर, सीट से बांधे रखेगा ‘वश लेवल 2’ का हर दृश्य, दिखेगा खौफनाक मंजर

आपको अजय देवगन और आर माधवन की फिल्म ‘शैतान’ तो याद ही होगी। वह गुजराती फिल्म ‘वश’ का हिंदी रीमेक थी। अब ‘वश’ का अगला पार्ट आया है ‘वश विवश लेवल 2’। फिल्म के निर्माताओं ने ‘शैतान’ को मिली सफलता देखते हुए इस फिल्म को हिंदी में भी डब करके रिलीज किया है। अब क्या आगे जाकर इसी कहानी पर ‘शैतान 2’ बनेगी ? खैर यह तो अजय देवगन ही जानें, लेकिन आप जानिए कैसी है ‘वश विवश लेवल 2’।

कहानी
फिल्म की कहानी शुरू होती है एक गर्ल्स स्कूल से, जहां सभी छात्राएं स्कूल पहुंचती हैं। इसके बाद लगभग 100 लड़कियां एक साथ लंच करती हैं। उनके लंच करने के साथ ही शुरू हो जाता है वशीकरण का खौफनाक खेल। अचानक से 10 लड़कियां स्कूल की छत पर पहुंच जाती हैं और वहां से नीचे कूदने के लिए तैयार खड़ी रहती हैं। स्कूल की प्रिंसिपल, स्टाफ और गार्ड उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन वो नहीं सुनती हैं और कूदने की धमकी भी देती हैं। लड़कियां बताती हैं कि वो किसी अंकल की बात सुन रही हैं और वो जो कुछ भी उनसे कहेंगे, वो उन्हें करना पड़ेगा। वाे बताती हैं कि उन अंकल को प्रताप अंकल चाहिए।
इसके बाद कहानी में आता है अथर्व (हीतू कनोड़िया) जो पिछले 12 साल से अपनी बेटी आर्या (जानकी बोडीवाला) के वशीकरण से बाहर आने का इंतजार कर रहा है। उसने आर्या की ऐसी हालत करने वाले प्रताप (हितेन कुमार) को अपने घर में ही कैद कर रखा है। अथर्व उस स्कूल में पहुंचता है, तो वहां उसकी मुलाकात प्रताप के छोटे भाई राजनाथ (हितेन कुमार) से होती है, जो कि यह सब कर रहा है। अब राजनाथ को प्रताप चाहिए, जो अथर्व के पास है। क्या अथर्व बच्चियों को बचाने के लिए राजनाथ को प्रताप सौंप देगा? वो बच्चियों को कैसे बचाएगा और उसकी बेटी आर्या का क्या होगा? ये सब आपको फिल्म देखने पर ही पता चलेगा।
फिल्म की कहानी शानदार है, जो आपको शुरू से लेकर अंत तक बांधे रखती है। एक भी बार आप न तो बोर होते हैं और न ही फिल्म से आंखें हटा पाते हैं। इस दौरान कई ऐसे सीन आते हैं, जो आपकी रूह कंपा देंगे।
कैसी है फिल्म
फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है इसकी लेंथ, जो 2 घंटे से भी कम की है। फिल्म एक भी बार को अपने मुद्दे से नहीं भटकती है। कहानी को कहीं पर भी खींचा नहीं गया है, जिससे ये आपको सीट से बांधे रखती है। कई खौफनाक सीन भी इस बीच नजर आते हैं। ‘वश’ में जहां सिर्फ एक परिवार की कहानी थी, वहीं इस बार लेवल 2 में पूरे स्कूल की 100 से ज्यादा लड़कियां मुश्किल में हैं।
आप इंतजार करते रहते हैं कि इस बार ये खौफनाक खेल और किस हद तक जाएगा। हालांकि, फिल्म एक दम से खत्म हो जाती है और अंत वो छाप नहीं छोड़ पाती, जो शुरुआत में बनाती है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और कैमरा वर्क जबरदस्त है, जो आपको बिना 3डी के जबरदस्त अनुभव देता है और कई मौकों पर कैमरा वर्क ही आपमें खौफ पैदा करता है। इसके अलावा फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी शानदार है।

एक्टिंग
फिल्म में सभी ने अपने-अपने किरदार के साथ इंसाफ किया है। लेकिन अगर किसी ने सबसे गहरी छाप छोड़ी है तो वो हैं जानकी बोडीवाला। ‘वश’ के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड जीतने के बाद इस फिल्म में भी उन्होंने कम समय में ही दमदार अभिनय किया है। कमाल की बात यह है कि पूरी फिल्म में उनका कोई बड़ा डायलॉग नहीं है, सीन भी सिर्फ तीन ही हैं। कम स्क्रीन टाइम में भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है और ऐसा काम किया है जिसे आप ताउम्र याद रखेंगे। एक सीन है, जहां पर आप उन्हें देखकर डरेंगे भी और फिर आपकी आंखों में आंसू भी आ जाएंगे। इसके अलावा हीतू कनोड़िया और हितेन कुमार ने भी अच्छा काम किया है।
मजबूत कड़ी
फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी इसकी बंधी हुई कहानी है, जो एक भी बार आपको भटकने नहीं देती है। इसके अलावा फिल्म का स्क्रीनप्ले भी अच्छा है और सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है।
कमजोर कड़ी
हर फिल्म में कुछ न कुछ कमजोरी होती ही है। ‘वश विवश लेवल 2’ में वो कमजोर कड़ी फिल्म का अचानक खत्म हो जाना है। क्लाईमैक्स की जैसी उम्मीद की जाती है, वैसा नहीं देखने को मिलता है। इतनी खौफनाक कहानी के बाद इतना सरल और सटल अंत थोड़ा खलता है, जिसे और बेहतर किया जा सकता था।
देखें या नहीं
अगर आपने इस फिल्म का पहला पार्ट नहीं देखा, तब भी आप इसे देख सकते हैं। ये जीवन में एक बार किया जाने वाला अनुभव है। कमाल की बात यह है कि कम से कम बजट में फिल्म के कलाकार-निर्देशक समेत सभी ने कमाल का काम किया है। इसे पूरी तरह से हॉलीवुड सीरीज के लेवल पर बनाने की कोशिश की गई है।