MP Samwad 2025: संवाद में बोले सिद्धांत चतुर्वेदी- ‘पापा बताते नहीं थे कि एक्टर हूं, ‘गली बॉय’ देखकर रो पड़े’
Amar Ujala Samwad Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित अमर उजाला संवाद में अभिनेता सिद्धांत चतुर्वेदी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने फिल्मों और इंडस्ट्री को लेकर खुलकर बात की। जानते हैं अभिनेता ने क्या कुछ कहा?
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'गली बॉय' और 'गहराइयां' जैसी फिल्मों में नजर आए अभिनेता सिद्धांत चतुर्वेदी भोपाल में हो रहे अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में पहुंचे। इस दौरान अभिनेता ने सिनेमा और फिल्मों को लेकर बात की। कार्यक्रम में पहुंचे सिद्धांत ने अपने संवाद की शुरुआत भोजपुरी भाषा में ही की। उन्होंने भोजपुरी में ही बताया कि वो यहां आकर काफी अच्छा महसूस कर रहे हैं। जबसे उनसे पूछा गया कि क्या आज भी वो अपनी मां के द्वारा बनाया गया तेल लगाकर ही आए हैं, तो उन्होंने कहा कि वो अक्सर किचन में कुछ न कुछ करती रहती हैं। मेरी त्वचा की सुंदरता का राज मां के नुस्खे ही हैं।
सीए छोड़कर क्यों बने एक्टर? ऐसा क्या था जो पढ़ाई छोड़कर हीरो बनने चल दिए?
पढ़ाई की है मैंने। बीकॉम के साथ सीए कर रहा था। लेकिन एक्टिंग के प्रति शुरू से ही कुछ था। घर में जब भी कोई कार्यक्रम होता था तो मैं ही नाचता था, मैं ही होस्ट करता था, मैं ही नाटक करता था। जब मैं छोटा था तो पापा बलिया में मुझे रामलीला दिखाने ले जाते थे। मंच पर एकसाथ इतने कलाकारों को देखकर कुछ अलग एहसास होता था। लेकिन मैं जहां से आता हूं वहां सपने देखना अलग बात है। लेकिन उन्हें बताने में भी डर लगता था। इसलिए अपने सपने अपने पास ही रखता था। जब सीए का मेरा सेकंड ईयर पूरा हो गया तो मैंने कॉलेज में एक कान्टेस्ट होता था उसमें हिस्सा लिया और मैं नेशनल लेवल पर जीत गया। इसके बाद सोचा कि चलो एक-दो साल ट्राई करके देख लेते हैं। हालांकि, फिर वो एक-दो साल कब चार साल में बदल गए पता नहीं चला। पांचवें साल कुछ हुआ। जिसकी वजह से यहां पर हूं। इसमें मेरे माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कभी भी मेरे सपनों को लेकर कोई टोका-टोकी नहीं। उन्होंने हमेशा सपोर्ट किया। जबकि आसपास के लोगों और रिश्तेदारों ने ये भी कहा कि लड़का सीए की पढ़ाई छोड़कर हीरो बनने जा रहा है, आवारा है।
इसलिए पापा ने किसी को बताया नहीं। उन्होंने कहा कि छिपाकर रखो। तुम ऐसे मीडियम में हो जहां कुछ करोगे तो खुद ही सामने आएगा और सबको पता चल जाएगा। अगर बीच में किसी ऐड में दिखा तो भी घर वालों ने कह दिया कि अरे वो तो क्लास में उसे देख लिया तो बुला लिया। ये मिडिल क्लास का डर है कि बता भी नहीं पा रहे कि मेरा बेटा एक्टिंग करता है। यहां तक कि जब 'इनसाइड एज' आई और लोगों ने देखा तो भी पापा ने कह दिया कि अरे वो तो क्रिकेट खेलता था और उन्हें एक क्रिकेटर चाहिए था। तो उसके पढ़ाई से ब्रेक था तो ऐसे ही कर ली। फिर जब गली बॉय आई और लोगों ने मुझे देखा, तब पापा को फोन करके लोगों ने कहा कि अरे इसे तो एक्टिंग ही करना चाहिए। तब पापा ने कहा कि हां, मैं जानता हूं। वो ही कर भी रहा है, बस आप लोगों से छिपाया था आपको नहीं बताया था। ऐसे छिपा-छिपाकर हम लोग यहां तक पहुंचे हैं। मैं भाग्यशाली हूं कि ऐसे परिवार में पैदा हुआ हूं जहां मुझे पूरा सपोर्ट मिला है।
गली बॉय में आपने रणवीर सिंह को भी फेल कर दिया था। सबसे ज्यादा चर्चा आपकी हो रही थी। तब मशहूर होकर और फेम पाकर कैसा महसूस हुआ था?
मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि इतने बड़े स्टार्स के साथ काम करने का मौका मिला। मैं खुद आलिया, रणवीर, विजय राज सर इन लोगों का बहुत बड़ा फैन हूं। जोया ने मुझे इनसाइड एज की सक्सेस पार्टी में देखा था। मैं डांस कर रहा था। वहां उन्होंने मुझे देखा, मिलीं और बोलीं कि इसका ऑडिशन कराते हैं। मैंने ऑडिशन दिया और मैं सेलेक्ट हो गया। पहले मुझे लगा कि हीरो के दोस्त वाला कैरेक्टर होगा। फिर जब स्क्रिप्ट पढ़ी तो लगा कि ये तो कमाल का किरदार है। मैं तब तक इंतजार कर करके थक भी चुका था। कुछ अच्छा करना चाह रहा था। मैं बता दूं कि मैंने आज तक फिल्म नहीं देखी है। बर्लिन में जब उसका प्रीमियर हुआ था तो भी मैं नहीं पहुंच पाया था। प्रमोशन में भी मैं दूर था। तो जब फिल्म रिलीज हुई तो मुझे याद है कि मैं लिफ्ट में था, तो आलिया आईं। फिर जब लिफ्ट बंद हुई तो मेरा भाई और मम्मी आलिया को देखकर हैरान थे। फिर आलिया से थोड़ी-बहुत बातचीत हुई। फिर निकलते वक्त आलिया ने मुझसे कहा कि इसके बाद तुम्हारी जिंदगी बदलने वाली है। मुझे लगा बड़े लोग हैं कहते रहते हैं। हौसला अफजाई करते हैं।
फिर हम लोग फिल्म देखने गए। दो जगह सीट लगी थीं, एक ओर जहां सब फिल्म की कास्ट और बाकी बड़े सेलेब्स थे। दूसरी ओर फिल्म की कास्ट और क्रू थी। तो मैंने मम्मी पापा को कास्ट और क्रू की तरफ बैठाल दिया। क्योंकि मुझे लगा उधर इतने बड़े लोगों में कहां लेकर जाऊं। लेकिन मैं फिल्म नहीं देख पाया, क्योंकि मेरे मम्मी-पापा लगातार फिल्म के दौरान रो रहे थे। वो यकीन नहीं कर पा रहे थे कि ये सब कैसे हो रहा है। मैं उन्हें ही देखता रहा और फिल्म नहीं देख पाया। यकीन मानिए मैंने आज तक भी गली बॉय नहीं देखी है। स्क्रीनिंग के बाद जब हम लोग बाहर निकले तो पूरी मीडिया ने घेर लिया और हर कोई मुझसे पूछने लगा आपने कैसे किया? आपको कैसा लग रहा है। मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। मैं उस समय भी सिर्फ अपने मम्मी-पापा को ही देख रहा था जो दूर खड़े थे। मैं लोगों से घिरा हुआ था। उस दिन भी जब मैं रात को घर पहुंचा तो किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि ऐसा हुआ है। मैंने मम्मी से कहा कि क्या सच में ये हुआ है। ऐसा तो नहीं कि अभी कोई मुझे जगा दे।
बलिया जाना होता है? आखिरी बार बलिया कब गए थे?
पिछले एक साल से नहीं गया हूं। नवंबर में जाउंगा, भाई की शादी है। वहां फिर से वैसा ही माहौल जमेगा।
सीए वाले सिद्धांत और अब एक्टर सिद्धांत में कितना अंतर आया है?
ज्यादा कोई बदलाव नहीं आया है। बाहर की कुछ चीजें बदली हैं, लेकिन अंदर कुछ भी नहीं बदला है। बस चार जोड़ी कपड़े हैं, मां तक कहती हैं कि इतना बड़ा एक्टर है, क्या वो ही कपड़े रिपीट करता है। लेकिन मैंने अंदर से कुछ भी नहीं बदला है। खुद को बचाकर रखा है। घर में सबकुछ सिंपल है। मैंने फिल्मों के आने के बाद ही ये सोचा था कि जो बनना था बन गए। बनते तो रहेंगे, लेकिन जो कुछ है उसे बचाकर रखना है। इसलिए घर पर सब वैसा ही नॉर्मल है।
ऐसा कोई रोल जिससे निकलने में टाइम लगा हो?
मुझे लगता है कि 'गली बॉय' कह सकता हूं। क्योंकि मैं रैप का फैन नहीं रहा हूं। फिल्म बनते-बनते और एडिट होते-होते ही एक साल हो गया था। इसलिए उससे निकलने में थोड़ा टाइम लगा। दूसरी फिल्म 'धड़क 2' को कह सकता हूं। जो भोपाल में ही शूट हुई है। जब आप फिल्म देखेंगे तो आप समझ पाएंगे।
सबसे चैलेंजिंग रोल कौन सा रहा? आपने एक रैपर के रोल से लेकर रोमांटिक और एक्शन हर तरह के किरदार निभाए हैं।
मैं हर रोल में कोशिश करता हूं कुछ चैलेंजिंग हो। फिर वो चाहे 'गली बॉय' हो या 'गहराइयां' हो। मैं हमेशा चैलेंज की तलाश में रहता हूं। जो भी रोल करता हूं वो चाहे एक्शन हो, कॉमेडी हो, हर किसी से कुछ न कुछ लेना चाहता हूं। इसलिए ये नहीं बता सकता कि क्या चैलेंजिंग था। मैं वो ही चीजें नहीं करना चाहता जो पहले से ही हो रही हैं। मैं कुछ नया कुछ अलग करना चाहता हूं।
एक्टर न होते तो क्या करते आप? क्या सीए बन जाते ?
सीए सिर्फ एक बैकअप प्लान था। पापा ने कहा कि बेटा कुछ तो कर लो ताकि रोटी-रोजी चलती रहे। पापा ने कहा था कि 21 साल तक सीए कर लो साथ में बीकॉम चलता रहेगा। बीकॉम के साथ करोगे तो पास हो जाओगे। वैसे भी 21 साल में एक्टर तो बन नहीं जाओगे। हालांकि, ये इतना आसान नहीं था जितना पापा ने कहा था। हां मैं सीए तो नहीं करता। हां, हो सकता कविताएं लिखता या जो भी करता कला के क्षेत्र में ही करता। 14-14 घंटे पढ़ना आसान नहीं है। हालांकि, कई बार मजाक में सोचता हूं कि अगर ये फिल्म न चली तो सीए कर लूंगा। लेकिन फिर बाद में सोचता हूं नहीं सीए तो नहीं करना है।
एमपी में कई फिल्मों की शूटिंग हो रही है इन दिनों। इसके पीछे क्या वजह मानते हैं?
इंडस्ट्री में उतार-चढ़ाव इसलिए आ रहे हैं क्योंकि हम अपनी जड़ों से दूर जा चुके हैं। साउथ वाले अपनी फिल्मों में अपना कल्चर दिखाते हैं पर हमारे यहां वैसा नहीं होता। अब मुझे अपनी मिट्टी की, बस्ती की और देश की कहानियां पेश करनी हैं। मुझे लगता है हम इनसे दूर हो गए हैं। अब मेरे अगले फेज में आप मुझे ऐसी ही फिल्मों में देखेंगे।
अगली फिल्म जया जी के साथ है। काम करके कैसा लगा?
जया जी के साथ काम करके बहुत मजा आया है। वो एक दम बच्चे की तरह हैं और बहुत प्यारी हैं। क्राफ्ट को लेकर उनका डेडिकेशन बहुत अलग लेवल पर था। इस एज में जिस एनर्जी के साथ वो काम कर रही हैं उसे देखकर बहुत इंस्पायर हुआ हूं।
पहला चेक कितने का मिला था ?
2500 रुपए का पहला चेक मिला था। वो आज भी मां ने संभालकर रखा हुआ है। किसी रियल एस्टेट कंपनी के लिए एड शूट किया था। शूट पर मैं अपने खुद के कपड़े लेकर गया था। वहीं पहली बार मैंने कैमरा फेस किया था।
भोजपुरी सिनेमा में आपको कब देख पाएंगे? भोजपुरी फिल्म करने का मन नहीं करता है क्या?
बिल्कुल मन करता है। एक परसेप्शन है भोजपुरी सिनेमा को लेकर जो मैं चाहता हूं बदल जाए। उस भाषा की मिठास लोगों तक पहुंचना जरूरी है। तो कभी न कभी एक भोजपुरी फिल्म जरूर करूंगा।
अपनी जिंदगी के सफर को कैसे बयां करेंगे? किसी रैप या कविता के जरिए बताइए?
रैप तो नहीं, मैं कविता सुना देता हूं।
आंखों में है अरमान मेरा
और दिल में खुद से किया हुआ एक वादा है।
ये जो पहचान है मेरी ये पुरस्कार है मेरा
ये कोई बोझ कोई भार नहीं।
सपनों की क्या कीमत बताऊं तुम्हें,
बस कम होता उधार मेरा।
इसके साथ ही सिद्धांत ने ‘एहसान तेरा होगा मुझ पर’ गाना भी मंच पर गाकर सुनाया।