‘धुरंधर के सेट पर नहीं थे कई एक्टर्स के मेकअप आर्टिस्ट’, राकेश बेदी ने बताया धर्मेंद्र के साथ कैसा था रिश्ता
Rakesh Bedi Interview: ‘धुरधर’ में अपने अभिनय से प्रशंसा बटोरने वाले अभिनेता राकेश बेदी ने फिल्म को लेकर बात की। साथ ही उन्होंने कास्टिंग कल्चर और धर्मेंद्र के साथ अपने रिलेशन के बारे में भी बताया। जानिए उन्होंने क्या कुछ कहा…
विस्तार
टीवी से लेकर फिल्मों तक का सफर तय करने वाले अभिनेता राकेश बेदी हाल ही में आदित्य धर की ‘धुरंधर’ में नजर आए हैं। फिल्म में जमील यमाली के किरदार में उनकी काफी प्रशंसा हो रही है। अब अमर उजाला से खास बातचीत में अभिनेता ने मल्टी स्टारर फिल्म में काम करने को लेकर बात की। साथ ही उन्होंने बड़े स्टार्स के रवैये और मौजूदा वक्त में फिल्मों की कास्टिंग को लेकर भी अपनी राय रखी।
आज फिल्मों का सिस्टम पूरी तरह स्टूडियो और कारपोरेट बेस्ड हो गया है। क्या आपको लगता है कि डायरेक्टर्स की क्रिएटिव फ्रीडम कम हो गई है?
मेरी पर्सनल सोच यह है कि जब आप किसी सब्जेक्ट के हिसाब से किसी डायरेक्टर को चुनते हैं, तो फिर उसे पूरी क्रिएटिव फ्रीडम देनी चाहिए। उसे अपने तरीके से फिल्म बनाने का मौका मिलना चाहिए। जैसे अगर आप हल्की फुल्की कॉमेडी बनाना चाहते हैं और आपने डेविड धवन को चुना है, तो उसके बाद रोज उनके सिर पर बैठने का कोई मतलब नहीं है। अगर आपको इंटेंस फिल्म बनानी है, तो आप किसी और डायरेक्टर को चुनिए। पॉलिटिकल वॉर ड्रामा बनाना है, तो प्रकाश झा जैसे डायरेक्टर को लीजिए। अगर वह अचानक कॉमेडी बनाने लगें, तो आप जरूर उनसे सवाल कर सकते हैं। यही बात एक्टर्स पर भी लागू होती है।
आजकल एक्टर्स की बढ़ती डिमांड को लेकर काफी चर्चा होती है। क्या इससे प्रोड्यूसर्स पर दबाव बढ़ता है?
मैं इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। मैं एक ही चीज में विश्वास करता हूं कि पैसा-पैसा होता है, चाहे वह मेरा हो या किसी और का। मैं न अपना पैसा वेस्ट करूंगा, न किसी और का होने दूंगा। अगर मुझे लगे कि कोई मेरा पैसा या प्रोड्यूसर का पैसा वेस्ट कर रहा है, तो मैं उसे जरूर रोकूंगा। अब आपकी जरूरत क्या है, एक वैनिटी आपकी जरूरत है, वह ठीक है। उसके बाद आप जो भी मांग रहे हैं और जो भी कर रहे हैं, वह आप अपना स्टारडम प्रूव करने के लिए कर रहे हैं। यह काम ज्यादा वही लोग करते हैं, जो सिर्फ दिखावा करना चाहते हैं। कोई कहता है देखो मैं बहुत बड़ा स्टार हूं, मेरे साथ छह लोग आते हैं। ठीक है छह लोग आ रहे हैं, लेकिन उसका खर्चा तो आखिर फिल्म पर ही पड़ रहा है, प्रोड्यूसर पर पड़ रहा है। कहीं न कहीं उसका असर फिल्म पर भी आएगा।
'धुरंधर' के सेट पर भी कई ए लिस्ट एक्टर्स थे। क्या वहां स्टारडम वाला एटीट्यूड देखने को मिला?
'धुरंधर' के सेट पर ऐसा कुछ नहीं था। वहां सब लोग बिल्कुल नॉर्मल थे और सब अपने काम पर फोकस किए हुए थे। आपको सुनकर हैरानी होगी कि कई एक्टर्स का तो अपना मेकअप भी नहीं था। मेकअप प्रोडक्शन ने ही प्रोवाइड किया था और वह बहुत अच्छा था, क्योंकि फिल्म में स्पेशलाइज्ड मेकअप की जरूरत थी। ठीक है, दो तीन लोगों के अपने मेकअप आर्टिस्ट थे, मेरे भी थे। लेकिन कहीं ऐसा माहौल नहीं था कि बहुत बड़ा स्टार वाला फील आए। हीरो हीरो होता है, उसमें थोड़ा बहुत चलता है। रणवीर की मैनेजर साथ में रहती थी, वह तो ग्रांटेड है। लेकिन अगर हर आदमी यही सोचने लगे कि उसे पूरी फौज लेकर चलना है, तो फिर काम कैसे चलेगा।
यह खबर भी पढ़ेंः ‘धुरंधर’ में रहमान डकैत बनकर छाए अक्षय खन्ना, इन फिल्मों में भी निभा चुके हैं दमदार किरदार
आज के दौर में कास्टिंग का तरीका बदल गया है। अब सोशल मीडिया फॉलोअर्स भी देखे जाते हैं। आपको इसमें कोई बदलाव नजर आता है?
मुझे इसमें बहुत बड़ी गलती नजर आती है। आज लोग किसी एक्टर का टैलेंट नहीं देखते, बल्कि उसके फॉलोअर्स गिनते हैं। इस बात की क्या गारंटी है कि वो फॉलोअर्स फिल्म देखने जरूर आएंगे। फॉलोअर्स तो वर्चुअल होते हैं। अगर किसी के दस लाख फॉलोअर्स हैं, तो क्या सच में दस लाख लोग थिएटर तक पहुंच जाएंगे। यह एक झूठा भ्रम है, जिसके शिकार एक्टर भी हो रहे हैं और प्रोडक्शन हाउस भी। किसी रोल के लिए अगर कोई एक्टर कमाल का है, उस किरदार में पूरी तरह फिट बैठता है और कहानी को आगे ले जा सकता है, तो उसी को लेना चाहिए। उसके फॉलोअर्स हों या न हों, इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए। मैंने खुद कभी यह नहीं गिना कि मेरे कितने फॉलोअर्स हैं। मुझे यह जानने की जरूरत भी नहीं लगती। मैं अगर कोई पोस्ट डालता हूं तो दिल से डालता हूं। किसी ने लाइक किया या नहीं, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपसे सीधे पूछा गया हो कि आपके कितने फॉलोअर्स हैं और उसके हिसाब से आगे बात की गई हो?
हां, ऐसा हुआ है और उस वक्त मुझे बहुत गुस्सा आया था। जब ऐसी बातें होती हैं तो सच में दिमाग घूम जाता है। यह बिल्कुल गलत है कि आप मेरे फॉलोअर्स देखकर मुझे रोल दें। मेरे इतने साल के काम को देखकर क्यों नहीं देते। यह एक पूरी तरह नकली दुनिया है। अगर कोई अपने दस लाख फॉलोअर्स पर खुश है, तो उससे कहो एक फॉलोवर से दस हजार रुपये लेकर दिखाए, कोई नहीं देगा। आप इसमें जी सकते हो, उसके अपने फायदे भी हैं, लेकिन टैलेंट को फॉलोअर्स से मत जोड़ो। अगर ऐसा ही करना है, तो फिर घर में नौकर भी वही रखो जिसके दस लाख फॉलोअर्स हों।
यह खबर भी पढ़ेंः 'रणवीर बोले ये फिल्म हजार करोड़ का बिजनेस करेगी', 'धुरंधर' एक्टर राकेश बेदी ने कहा- संजय दत्त अब बदल गए
धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म में आप भी उनके साथ थे। कोई ऐसा खास पल जो आप ऑडियंस तक पहुंचाना चाहेंगे।
धरम जी मेरे बहुत करीब थे। मैं उन्हें लगभग चालीस साल से जानता था। हमने कई फिल्मों में साथ काम किया। सेट पर उनके साथ हंसी मजाक का रिश्ता था। मैं कभी-कभी उनके सामने पंजाबी में औरत की आवाज निकाल देता था, एक अजीब सी आवाज, जिसे वो बहुत एंजॉय करते थे। उसमें कुछ बातें ऐसी होती थीं जो मैं यहां बोल भी नहीं सकता। धरम जी हंसते हुए कहते थे कि पता नहीं क्यों मुझे तुमसे बहुत अपनापन सा लगता है। उनसे मिलकर हमेशा ऐसा लगता था जैसे किसी अपने से मिल रहा हूं।