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'रंगीला ने उर्मिला मातोंडकर की इमेज बदल दी', फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा ने फिल्म के री-रिलीज होने पर की बात
सार
Ram Gopal Varma Exclusive Interview: फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'रंगीला' ने 28 नवंबर को सिनेमाघरों में एक बार फिर दस्तक दी है। इस फिल्म को लेकर राम गोपाल वर्मा ने अमर उजाला से खास बातचीत की है।
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राम गोपाल वर्मा
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा की सुपरहिट फिल्म ‘रंगीला’ दोबारा रिलीज की गई। इसी मौके पर अमर उजाला से हुई बातचीत में उन्होंने फिल्म से जुड़े अपने अनुभव, बदलाव और चुनौतियों पर खुलकर बातें कीं। उन्होंने बताया कि यह फिल्म उनके लिए सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं बल्कि एक भावनात्मक सफर थी। बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी खुलासा किया कि जल्द ही वो ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए पुलिस और अंडरवर्ल्ड की दुनिया पर आधारित एक सीरीज लेकर आने वाले हैं। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-
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राम गोपाल वर्मा
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
'रंगीला' को दोबारा रिलीज होते देख बतौर फिल्ममेकर आप क्या नया महसूस करते हैं?
'रंगीला' के फिर से रिलीज होने पर सचमुच अच्छा लगा। इस फिल्म से मेरा एक अलग ही जुडाव रहा है। ए आर रहमान का संगीत हमेशा मेरे विचारों को दिशा देता रहा। रंगीला में उनकी धुनों ने पूरी फिल्म का माहौल तय कर दिया। 60 के दशक की संगीत प्रधान फिल्में बचपन से मुझे आकर्षित करती थीं। 'द साउंड ऑफ म्यूजिक' और सिंगिंग इन द रेन को देखकर ही यह इच्छा बनी कि एक दिन मैं भी ऐसी फिल्म बनाऊं। मेरी चाह थी कि भावना और संगीत मिलकर कहानी कहें। उस समय मेरी अधिकतर फिल्में डार्क थीम और वायलेंस विषयों पर थीं। इसलिए रंगीला बनाना मेरे लिए एक तरह का बदलाव था। इसमें मैं नर्मी लाना चाहता था। मैं चाहता था कि दिल की बात सीधे कही जाए। यही सोच मुझे इस फिल्म तक ले आई।
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'रंगीला' के फिर से रिलीज होने पर सचमुच अच्छा लगा। इस फिल्म से मेरा एक अलग ही जुडाव रहा है। ए आर रहमान का संगीत हमेशा मेरे विचारों को दिशा देता रहा। रंगीला में उनकी धुनों ने पूरी फिल्म का माहौल तय कर दिया। 60 के दशक की संगीत प्रधान फिल्में बचपन से मुझे आकर्षित करती थीं। 'द साउंड ऑफ म्यूजिक' और सिंगिंग इन द रेन को देखकर ही यह इच्छा बनी कि एक दिन मैं भी ऐसी फिल्म बनाऊं। मेरी चाह थी कि भावना और संगीत मिलकर कहानी कहें। उस समय मेरी अधिकतर फिल्में डार्क थीम और वायलेंस विषयों पर थीं। इसलिए रंगीला बनाना मेरे लिए एक तरह का बदलाव था। इसमें मैं नर्मी लाना चाहता था। मैं चाहता था कि दिल की बात सीधे कही जाए। यही सोच मुझे इस फिल्म तक ले आई।
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राम गोपाल वर्मा
- फोटो : इंस्टाग्राम-@rgvzoomin
आमिर खान उर्मिला मातोंडकर और जैकी श्रॉफ इस फिल्म में कैसे जुड़े थे?
आमिर को कहानी की मूल सोच और मुन्ना के सरल किरदार ने तुरंत आकर्षित किया। उर्मिला की बात करें तो रंगीला ने उनकी इमेज बिलकुल बदल दी। यह पहली बार था जब उन्होंने एक ग्लैमरस भूमिका निभाई जो उनके पिछले काम से एकदम अलग थी। उनके इस नए रूप ने फिल्म में एक ताजगी भर दी। जैकी एक बहुत ही इंस्टिंक्टिव अभिनेता हैं। वे स्क्रिप्ट को ज्यादा विश्लेषण नहीं करते बल्कि निर्देशक पर भरोसा करके निर्णय लेते हैं। जब मैंने उन्हें स्क्रिप्ट सुनाई तो उन्होंने बिना झिझक तुरंत हां कह दिया।
शूटिंग के दौरान कोई दिलचस्प वाकया जो आज भी याद हो?
हां एक होटल सीन था जिसमें आमिर उर्मिला को डिनर के लिए ले जाते हैं। उस होटल ने हमें ठीक से शूटिंग स्लॉट नहीं दिए थे। इसलिए आमिर और उर्मिला के वाइड शॉट्स एक जगह लिए गए क्लोजअप दूसरी जगह शूट किए गए और वेटर के शॉट्स तीसरी जगह। बाद में इन सबको जोड़कर एक ही सीन बनाया गया और लोगों ने कहा कि यह फिल्म के सबसे बेहतरीन सीनों में से एक है। यही सिनेमा का जादू है। हाल ही में मैंने रिस्टोरेशन के बाद रंगीला फिर से देखी। तकनीकी बदलावों के बावजूद फिल्म आज भी बेहतरीन लगती है बस कुछ शॉट्स में डिफ्यूजन फिल्टर नजर आते हैं। असलियत यह है कि टेक्नोलॉजी बदलती रहती है लेकिन सिनेमा आखिर में कहानी कहने की कला है और ऑडियंस को जोड़कर रखने की क्षमता ही सबसे बड़ी ताकत होती है।
आमिर को कहानी की मूल सोच और मुन्ना के सरल किरदार ने तुरंत आकर्षित किया। उर्मिला की बात करें तो रंगीला ने उनकी इमेज बिलकुल बदल दी। यह पहली बार था जब उन्होंने एक ग्लैमरस भूमिका निभाई जो उनके पिछले काम से एकदम अलग थी। उनके इस नए रूप ने फिल्म में एक ताजगी भर दी। जैकी एक बहुत ही इंस्टिंक्टिव अभिनेता हैं। वे स्क्रिप्ट को ज्यादा विश्लेषण नहीं करते बल्कि निर्देशक पर भरोसा करके निर्णय लेते हैं। जब मैंने उन्हें स्क्रिप्ट सुनाई तो उन्होंने बिना झिझक तुरंत हां कह दिया।
शूटिंग के दौरान कोई दिलचस्प वाकया जो आज भी याद हो?
हां एक होटल सीन था जिसमें आमिर उर्मिला को डिनर के लिए ले जाते हैं। उस होटल ने हमें ठीक से शूटिंग स्लॉट नहीं दिए थे। इसलिए आमिर और उर्मिला के वाइड शॉट्स एक जगह लिए गए क्लोजअप दूसरी जगह शूट किए गए और वेटर के शॉट्स तीसरी जगह। बाद में इन सबको जोड़कर एक ही सीन बनाया गया और लोगों ने कहा कि यह फिल्म के सबसे बेहतरीन सीनों में से एक है। यही सिनेमा का जादू है। हाल ही में मैंने रिस्टोरेशन के बाद रंगीला फिर से देखी। तकनीकी बदलावों के बावजूद फिल्म आज भी बेहतरीन लगती है बस कुछ शॉट्स में डिफ्यूजन फिल्टर नजर आते हैं। असलियत यह है कि टेक्नोलॉजी बदलती रहती है लेकिन सिनेमा आखिर में कहानी कहने की कला है और ऑडियंस को जोड़कर रखने की क्षमता ही सबसे बड़ी ताकत होती है।