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'फर्जी 2' की तैयारी से लेकर पवन कल्याण के साथ काम करने के अनुभव तक, राशी खन्ना ने करियर पर खुलकर की बात

Kiran Jain किरण जैन
Updated Thu, 27 Nov 2025 10:47 PM IST
सार

Rashii Khanna Exclusive Interview: अभिनेत्री राशी खन्ना को हाल ही में फिल्म '120 बहादुर' में देखा जा रहा है, इसी बीच एक्ट्रेस ने अमर उजाला से बातचीत करते हुए अपने करियर और जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं पर बात की है।

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rashi khanna exclusive interview talks about farzi 2 pawan kalyan south bollywood working experience
राशी खन्ना - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अभिनेत्री राशी खन्ना इन दिनों फिल्म ‘120 बहादुर’ में नजर आ रही हैं। इसी दौरान उन्होंने अमर उजाला से खास बातचीत में अपने करियर और निजी जिंदगी से जुड़ी कई बातों पर खुलकर चर्चा की।

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क्या आपको कभी लगा कि इंडस्ट्री में आपको टाइपकास्ट किया जा रहा है?
जब मैं नई-नई आई थी तो मुझे लगता था कि शायद मुझे कमर्शियल फिल्मों में टाइपकास्ट कर दिया जाएगा। मुझे लगा कि मुझे सिर्फ ऐसे ही रोल मिलेंगे। कमर्शियल फिल्में मुझे पसंद हैं, लेकिन मैं स्ट्रॉन्ग कैरेक्टर्स करना चाहती थी। फिर थोली प्रेमा (2018) रिलीज हुई और उसने मेरी ट्रैजेक्टरी बदल दी। उसके बाद फर्जी आई और लोगों ने पहली बार मुझे डी-ग्लैम और अलग रोल में देखा। हिंदी में मुझे बेहतर रोल मिलने लगे और अब तक मुझे हिंदी इंडस्ट्री में टाइपकास्ट नहीं किया गया है। अगर कभी ऐसा हुआ तो मैं खुद कहूंगी कि मैं ऑडिशन देने के लिए तैयार हूं। मैं कोशिश करूंगी कि खुद स्टीरियोटाइप को तोड़ सकूं।

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तमिल, तेलुगु और हिंदी इंडस्ट्री में क्या खास या अलग लगा?
तीनों इंडस्ट्रीज में पैशन एक जैसा है। सब अच्छी फिल्में बनाना चाहते हैं। फर्क सिर्फ भाषा और कल्चर का है। तमिल इंडस्ट्री में बहुत डिसिप्लिन है। तेलुगु इंडस्ट्री में मुझे सबसे ज्यादा सपोर्ट मिला क्योंकि वहां ऑडियंस आपके ऊपर विश्वास करती है। हिंदी इंडस्ट्री में ओपननेस है और एक्सपेरिमेंट की आजादी है। तीनों इंडस्ट्रीज ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है और मुझे ग्राउंडेड रखा है।

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राशी खन्ना - फोटो : एक्स
कमर्शियल और कंटेंट-ड्रिवन सिनेमा का बैलेंस कैसे रखती हैं?
बैलेंस उतना मुश्किल नहीं है जितना लोग सोचते हैं। इसके लिए आपको खुद ओपन रहना पड़ता है। मैं मेकर्स को खुद बोलती हूँ कि मुझे ऑडिशन करने दें, ताकि मुझे कंटेंट वाली फिल्में भी मिलें। लेकिन मैं कमर्शियल सिनेमा की पकड़ भी नहीं छोड़ती क्योंकि मुझे दोनों पसंद हैं। ये बैलेंस आपको खुद ही बनाए रखना पड़ता है।

क्या कोई ऐसा ड्रीम रोल है जिसे निभाने की आपकी बहुत इच्छा है, लेकिन अभी तक मौका नहीं मिला?
मुझे लगता है कि मैंने अभी शुरुआत ही की है। मेरे कई ड्रीम रोल्स हैं। मुझे एक्शन फिल्म करनी है, पीरियड फिल्म करनी है और अगर दोनों साथ मिल जाएं तो बहुत अच्छा होगा। मुझे हिंदी में रोमैंटिक कॉमेडी और साइकोलॉजिकल थ्रिलर भी करना है।

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आपकी पढ़ाई आपकी एक्टिंग या स्क्रिप्ट एनालिसिस के तरीकों को प्रभावित करती है?
मेरी पढ़ाई ने मेरी एक्टिंग में बहुत मदद की है। मैं हर किरदार को केस स्टडी की तरह पढ़ती हूं। मैं उसका पास्ट, फियर्स और कोपिंग मेकैनिज्म खोजती हूं। मैं सिर्फ ये नहीं देखती कि किरदार क्या बोल रहा है। मैं समझने की कोशिश करती हूं कि वो ऐसा क्यों बोल रहा है। इंग्लिश ऑनर्स ने मुझे सही सवाल पूछना सिखाया और यही ट्रेनिंग फिल्मों में काम आती है। मैं अपने किरदारों को कभी जज नहीं करती। मैं उन्हें समझती हूं।

आने वाले कुछ वर्षों में आप अपने करियर को किस दिशा में देखती हैं?
पहले मैं अपने करियर के बारे में बहुत नहीं सोचती थी। मैं बस मेहनत करती थी। लेकिन अब मैं कॉन्शस डिसीजन लेती हूं। आने वाले समय में मैं अपने काम में मेच्योरिटी और डेप्थ लाना चाहती हूं। मैं ऐसे किरदार करना चाहती हूँ जो लेयर्ड, फ्लॉड और कॉम्प्लेक्स हों। मेरा लक्ष्य है कि मेरा कलाकार हमेशा ज़िंदा रहे।

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राशी खन्ना - फोटो : एक्स
'फर्जी 2’ में क्या नया एक्सप्लोर कर रही हैं?
अभी तक मुझे स्क्रिप्ट हाथ में नहीं मिली है। इसलिए सच बताऊं तो मुझे नहीं पता कि मेरा किरदार किस दिशा में जा रहा है। जैसे ही स्क्रिप्ट मिलेगी, मैं डायरेक्टर्स के साथ बैठकर समझूंगी कि आगे कैसे बढ़ना है।

'तलाखों' में एक’ में बंगाली किरदार की तैयारी कैसे की?
इस फिल्म के डायरेक्टर बंगाली हैं। फिल्म पूरी बंगाली में नहीं है, लेकिन कुछ लाइन्स बंगाली में हैं। उन्होंने मुझे समझाया कि बंगाली लड़कियाँ कैसी होती हैं और उनकी सोच कितनी इंडिपेंडेंट होती है। उस इंडिपेंडेंस को मेरे किरदार में दिखाया गया है। उनके पहनावे से लेकर थॉट प्रोसेस तक सब पर काम किया गया। मुझे लगता है कि यह फिल्म मेरे करियर में अहम साबित होगी।

‘उस्ताद भगत सिंह’ में पवन कल्याण के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
यह पहली फिल्म थी जिसे मैंने स्क्रिप्ट पढ़े बिना साइन किया। मेरा सपना था कि मैं पवन कल्याण जी के साथ काम करूं। पहले दिन जब वो आए तो उनकी प्रेज़ेंस बहुत पावरफुल थी। मुझे थोड़ा इंटरमिडेट महसूस हुआ, जो मेरे साथ कभी नहीं होता। लेकिन जब बातचीत शुरू हुई तो समझ आया कि वो बहुत हंबल हैं और लोगों के बारे में सोचते हैं। उन्हें रीडिंग का शौक है और हम किताबों पर भी चर्चा करते रहे। वो अपने स्टारडम को जिम्मेदारी की तरह लेते हैं। उनसे मिलना मेरे लिए एक खास अनुभव रहा।
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