Fact Check: बांग्लादेश के 2 महीने पुराने वीडियो को पश्चिम बंगाल का भ्रामक दावे के साथ किया जा रहा शेयर
Fact Check: सोशल मीडिया पर एक प्रदर्शन का वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो पश्चिम बंगाल में बिगड़ती कानून व्यवस्था का है। PTI ने अपनी पड़ताल में इस दावे को गलत पाया है।
विस्तार
सोशल मीडिया पर एक कथित वीडियो क्लिप को शेयर कर यूजर्स दावा कर रहे हैं कि पश्चिम बंगाल के कुछ इलाके में बिगड़ती कानून और व्यवस्था के कारण मार्शल लॉ लागू करके सेना के हवाले कर देना चाहिए। वायरल वीडियो में बुर्का पहने कुछ महिलाएं भागते हुए दिख रही है, वहीं कुछ पुरुष गाड़ियों को तोड़ते हुए नजर आ रहे। वीडियो को शेयर कर लोग दावा कर रहे है कि ये वीडियो पश्चिम बंगाल का है।
पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क की जांच में वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा फर्जी निकला। जांच में यह सामने आया कि यह वीडियो पश्चिम बंगाल का नहीं, बल्कि बांग्लादेश का है, जहां अक्टूबर 2024 में कपड़ा श्रमिकों ने एक प्रदर्शन के दौरान सेना और पुलिस के वाहनों में आग लगा दी थी।
दावा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक यूजर ने 19 दिसंबर को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “बंगाल के जो इलाके बांग्लादेश बन चुके हैं, वहां मार्शल लॉ लागू करके कश्मीर की तरह सेना के हवाले कर देना चाहिए। तभी इन जेहादियों को कंट्रोल किया जा सकेगा। ( शब्दों को ज्यों का त्यों लिखा गया है) पोस्ट का लिंक, आर्काइव लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।
पड़ताल
वायरल दावे की सत्यता जानने के लिए पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क ने सबसे पहले संबंधित कीवर्ड्स से गूगल पर सर्च किया। वहां पीटीआई को हाल-फिलहाल में पश्चिम बंगाल में हुई तोड़फोड़ से जुड़ी कोई प्रामाणिक मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली।
इसके बाद डेस्क ने वायरल वीडियो को बारीकी से देखा। वीडियो में एक बोर्ड पर "Dutch Bangla Bank Limited, Ibrahimpur" और दूसरे बोर्ड पर "Social Islami Bank PLC" लिखा हुआ दिखाई दे रहा था। इन दोनों नामों को गूगल पर सर्च करने पर यह पता चला कि दोनों बैंक बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित हैं। गूगल मैप से पुष्टि होने पर यह स्पष्ट हो गया कि यह वीडियो बांग्लादेश के ढाका का है, न कि पश्चिम बंगाल का।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए पीटीआई ने वायरल वीडियो के ‘की-फ्रेम्स’ को रिवर्स इमेज सर्च किया, जहां पीटीआई को 31 अक्टूबर 2024 को बांग्ला भाषा में प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में वायरल वीडियो का विजुअल मौजूद था। रिपोर्ट का लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।
रिपोर्ट में बताया गया है, “ढाका के मीरपुर 14 नबंर में 31 अक्टूबर 2024 की सुबह संयुक्त बलों के साथ वस्त्र श्रमिकों का संघर्ष हुआ। इस दौरान दो वस्त्र श्रमिक गोलीबारी में घायल हो गए। गुस्साए श्रमिकों ने पुलिस की एक और सेना की एक गाड़ी में आग लगा दी।गोलीबारी में घायल दो वस्त्र श्रमिकों के नाम अल अमिन (18) और झुमा अख्तर (15) हैं। उन्हें ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया है।”
पीटीआई को उसी दिन यानि 31 अक्टूबर को ‘DW’ पर बांग्ली भाषा में प्रकाशित एक और मीडिया रिपोर्ट मिली। यहां भी समान दावे के साथ रिपोर्ट प्रकाशित थी। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि घायल श्रमिकों को ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दोपहर 11 बजे के आसपास स्थिति सामान्य हो गई थी। रिपोर्ट का लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।
पड़ताल का नतीजा
पीटीआई की पड़ताल में यह स्पष्ट हुआ है कि वीडियो पश्चिम बंगाल का नहीं, बल्कि 31 अक्टूबर 2024 को बांग्लादेश के ढाका में हुई एक घटना का है, जिसे पश्चिम बंगाल में हुई घटना का बताकर गलत दावे के साथ शेयर कर रहे है।
(This story was originally published by PTI as part of the Shakti Collective. Except for the headline and opening introduction para this story has not been edited by Amar Ujala staff)