Fact Check: आरएसएस ने 'इंडिया' गठबंधन को नहीं दिया कोई समर्थन, यहां जानें भ्रामक दावे का पूरा सच
Fact Check: आरएसएस का भाजपा से अलग होकर इंडिया गठबंधन को समर्थन देने का दावा करने वाले पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हैं। हालांकि, पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क ने बताया कि यह दावा भ्रामक है।
विस्तार
लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच सोशल मीडिया पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे कुछ लोगों की एक वीडियो क्लिप खूब वायरल है। 2 मिनट 12 सेकेंड की इस क्लिप में एक शख्स को आम चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) को समर्थन देने का ऐलान करते हुए देखा जा सकता है। चूंकि वीडियो में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी लिखा हुआ है, इसलिए यूजर्स इसे मोहन भागवत के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मानकर शेयर कर रहे हैं।
पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क ने अपनी पड़ताल में पाया कि लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को समर्थन देने का दावा करने वाला यह संगठन 2017 में जर्नादन मून नामक व्यक्ति द्वारा स्थापित किया गया है। इसका मोहन भागवत के नेतृत्व वाले आरएसएस से कोई संबंध नहीं है। आरएसएस का गठन 1925 में हुआ था। हमारी पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ।
दावा क्या है?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर संतोष कुमार यादव नाम के एक वेरिफाइड यूजर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो पोस्ट किया और कैप्शन में लिखा, 'RSS ने BJP का छोड़ा साथ ! कांग्रेस के विचारधारा का किया समर्थन, प्रेस कांफ्रेंस के मंच से 'भाजपा को हराने का किया एलान!! देशवासियों से अनुरोध हैं कि 'मोदी भगाओ, देश बचाओ' पोस्ट का लिंक, आर्काइव लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।
पंडित मुकेश शर्मा नाम के एक यूजर ने आरएसएस, भाजपा और मोहन भागवत के आधिकारिक फेसबुक पेज को टैग करते हुए वीडियो पोस्ट किया और लिखा, “देशभर में RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने दिया INDIA गठबंधन को समर्थन देशभर के संघियों से INDIA गठबंधन के पक्ष में Vote करने की अपील की।” पोस्ट का लिंक, आर्काइव लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।
वायरल वीडियो में लिखा था, “हिटलर की हुकुमत खत्म 2024। आरएसएस ने भी माना मोदी मैजिक खत्म। आरएसएस ने दिया कांग्रेस को समर्थन नागपुर से हुई घोषणा।”
पड़ताल
क्या मोहन भागवत के नेतृत्व वाले आरएसएस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी इंडिया गठबंधन का समर्थन करने का ऐलान किया है? इसका सच जानने के लिए पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क ने सबसे पहले वीडियो को गौर से देखा और पाया कि वीडियो में दिख रहा लोगो और बैनर मोहन भागवत के नेतृत्व वाले आरएसएस से बिल्कुल भिन्न है।
वायरल वीडियो में एक शख्स बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहता है, “आज हमने, हमारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक निर्णय लिया है कि इस लोकसभा चुनाव में जो मोदी जी दावा आज कर रहे हैं, बीजेपी 400 पार, वो 400 पार को कैसे रोक सकते हैं इसका मंथन हमारे आरएसएस ने किया और यह निर्णय लिया है कि इस चुनाव में बीजेपी को हराना है, देश को बचाना है, संविधान को बचाना है, इसलिए 400 पार को जो सपना है बीजेपी का… वो कैसे चूर कर सकते हैं और हमारा संविधान कैसे बच सकता है...। बीते 10 साल से बीजेपी यहां राज कर रही है। इन दस सालों में हमने क्या खोया और क्या पाया है, हमारी स्थिति क्या है? ” (वीडियो में कहे गए शब्दों को यहां ज्यों का त्यों लिखा गया है।)
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं की गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाया और कहा “आज तक बीजेपी के एक भी प्रतिनिधि पर केस नहीं है। संविधान बचाना हो तो हमें बीजेपी को हटाने के लिए इंडिया गठबंधन को ही वोट देना जरुरी है ये समझाने के लिए हम मतदाताओं के बीच जाने वाले हैं।”
प्राप्त जानकारी के आधार पर डेस्क ने संबंधित की-वर्ड की मदद से गूगल ओपन सर्च किया। इस दौरान हमें ‘आवाज इंडिया टीवी’ नामक यूट्यूब चैनल पर पूरा प्रेस कॉन्फ्रेंस मिला।
24 मार्च 2024 को अपलोड किए गए इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के विवरण में लिखा था, “जो लोग अचंभित हो रहे हैं कि "RSS" ने INDIA गठबंधन को कैसे समर्थन दे दिया। उनके लिए बता दे कि देश में दो RSS हैं, एक Online REGISTERD है जिसने कांग्रेस को समर्थन दिया हैं, और दूसरा UNREGISTERD जिसके सरसंघचालक मोहन भागवत है, कृपया ध्यान रखें भ्रमित न हो जाए। Nagpur ፤ RSS given unconditional support to INDIA Alliance।” पूरा वीडियो यहां क्लिक (आर्काइव) कर देखें।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए डेस्क ने इससे संबंधित मीडिया रिपोर्ट्स खंगालने की कोशिश की। पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क को न्यूज वेबसाइट नेशनल हेराल्ड पर एक रिपोर्ट प्रकाशित मिली।
13 अगस्त 2021 को प्रकाशित इस रिपोर्ट में बताया गया कि नागपुर के पूर्व नगरसेवक और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के अनुयायी जर्नादन मून ने सितंबर 2017 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नाम के संगठन को पंजीकृत करने के लिए चैरिटी आयुक्त को आवेदन दिया था, जिसे आयुक्त द्वारा खारिज कर दिया गया। मून ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में याचिका दायर की, लेकिन उनकी अपील को सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया। पूरी रिपोर्ट यहां क्लिक (आर्काइव) कर पढ़ें।
पड़ताल के दौरान इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट मिली। 31 मार्च 2024 को प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक पदाधिकारी ने शुक्रवार को चुनाव आयोग और नागपुर पुलिस आयुक्त के पास जनार्दन मून खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
रिपोर्ट में बताया गया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में जर्नादन मून ने तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया और यह कहकर लोगों को गुमराह किया कि आएसएस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन कर रहा है। पूरी रिपोर्ट यहां क्लिक (आर्काइव) कर पढ़ें।
मोहन भागवत के नेतृत्व वाले आरएसएस के मुखपत्र Organiser Weekly ने वायरल वीडियो को फर्जी बताते हुए लिखा, “75 वर्षों से भी ज्यादा समय तक #RSS को कोसने के बाद #कांग्रेस और इंडिया गठबंधन मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए अपना 'नकली RSS' लेकर आए हैं।” पोस्ट का लिंक, आर्काइव लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।
पड़ताल के अंत में पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क ने जनार्दन मून से संपर्क किया। उन्होंने कहा, “मेरी संस्था का मोहन भागवत के नेतृत्व वाले आरएसएस से कोई लेना-देना नहीं है। मेरी संस्था ने केवल कांग्रेस को नहीं, बल्कि पूरी इंडिया गठबंधन को समर्थन दिया है। मोहन भागवत के नेतृत्व वाले आरएसएस ने हमारे खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है।”
वहीं, आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर ने पीटीआई से कहा, "उनका आरएसएस से कोई संबंध नहीं है। वे आरएसएस के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं और लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।"
पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क की पड़ताल से यह साफ है कि इंडिया गठबंधन को समर्थन देने वाले आरएसएस का मोहन भागवत के नेतृत्व वाले आरएसएस से कोई संबंध नहीं है। यूजर्स जर्नादन मून नामक शख्स द्वारा 2017 में स्थापित एक अलग संगठन के वीडियो को भ्रामक दावे के साथ वायरल कर रहे हैं।
(This story was originally published by PTI Fact Check, as part of the Shakti Collective. Except for the headline/excerpt/opening introduction para this story has not been edited by Amar Ujala staff)