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Ambala News: अटल कैंसर केयर सेंटर में ढाल साल से विशेषों की कमी
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अंबाला के अटल कैंसर केयर केंद्र की ओपीडी में मरीज जानकारी लेती हुई: संवाद
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अंबाला। अटल कैंसर केयर केंद्र ढाई साल से विशेषज्ञों की कमी से जूझ रहा है। हालात ऐसे हैं कि कैंसर मरीजों के लिए अस्पताल में न न्यूरो सर्जन न रेडियो व मेडिकल, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट हैं। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से ढाई साल में कई बार इन पदों पर स्थाई नियुक्ति के लिए प्रयास किए लेकिन कोई भी डॉक्टर इन पदों के लिए आने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा। दो माह पहले स्वास्थ्य विभाग ने मुख्यालय स्तर से इन पदों के लिए आवेदन मांगे थे। लेकिन किसी ने आवेदन नहीं किया। जबकि अनुबंध पर भी कोई नहीं आ रहा है। ऐसे में इसका खामियाजा कैंसर अस्पताल में उम्मीद लेकर आने वाले मरीजों को उठाना पड़ रहा है।
ब्लड कैंसर के लिए नहीं आ पाया विशेषज्ञ
सबसे खतरनाक कैंसर ब्लड होता है। ढाई साल से कैंसर अस्पताल में ब्लड कैंसर का कोई संबंधित विशेषज्ञ ऑन्कोलॉजिस्ट ही नहीं मिल सका। अगर कोई मरीज अस्पताल की ओपीडी में आता भी है तो उसे चंडीगढ़ पीजीआई रेफर कर दिया जाता है। जहां पर पहले ही लंबी लाइनों व ऑपरेशन के लिए कई-कई माह तक का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में मजबूरन मरीज निजी अस्पतालों में ब्लड कैंसर का लाखों रुपये में इलाज करवाने के लिए मजबूर हैं।
12 अन्य पद भी खाली
भले ही ढाई साल में अंबाला कैंट अटल कैंसर केयर केंद्र ने हरियाणा के अलावा दूसरे राज्यों में पहचान बनाई हो। बड़े-बड़े ऑपरेशन मरीजों के लिए जीवनदान बने हो। जब दूसरे राज्यों से मरीज यहां पहुंचते हैं तो उन्हें पता चलता है कि यह अस्पताल पहले ही विशेषज्ञ डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। ब्लड ऑन्कोलॉजिस्ट के अलावा 12 अन्य पद खाली पड़े हैं। इनमें 2 रेडियो ऑन्कोलॉजिस्ट, 2 सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, 2 मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, 2 रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर व 3 रेडिएशन थेरेपी टेक्नोलॉजिस्ट शामिल हैं। मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी से जुड़ी परेशानियों के लिए न्यूरो सर्जन डॉ. कार्तिक नांदरा थे। लेकिन उनका भी अनुबंध खत्म हो गया था। जबकि एक बेहोशी की डॉक्टर अनु भी छोड़ गई है। ऐसे में उनके पद भी अभी तक खाली पड़े हैं।
अटल कैंसर केयर केंद्र में खाली पड़े विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए मुख्यालय स्तर पर पत्राचार पहले भी किया गया था व दोबारा किया जा रहा है। जैसे ही कोई खाली पदों के लिए आवेदन करता है तो पदों को भरा जाएगा।
- डॉ. राकेश सहल, सीएमओ, अंबाला
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ब्लड कैंसर के लिए नहीं आ पाया विशेषज्ञ
सबसे खतरनाक कैंसर ब्लड होता है। ढाई साल से कैंसर अस्पताल में ब्लड कैंसर का कोई संबंधित विशेषज्ञ ऑन्कोलॉजिस्ट ही नहीं मिल सका। अगर कोई मरीज अस्पताल की ओपीडी में आता भी है तो उसे चंडीगढ़ पीजीआई रेफर कर दिया जाता है। जहां पर पहले ही लंबी लाइनों व ऑपरेशन के लिए कई-कई माह तक का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में मजबूरन मरीज निजी अस्पतालों में ब्लड कैंसर का लाखों रुपये में इलाज करवाने के लिए मजबूर हैं।
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12 अन्य पद भी खाली
भले ही ढाई साल में अंबाला कैंट अटल कैंसर केयर केंद्र ने हरियाणा के अलावा दूसरे राज्यों में पहचान बनाई हो। बड़े-बड़े ऑपरेशन मरीजों के लिए जीवनदान बने हो। जब दूसरे राज्यों से मरीज यहां पहुंचते हैं तो उन्हें पता चलता है कि यह अस्पताल पहले ही विशेषज्ञ डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। ब्लड ऑन्कोलॉजिस्ट के अलावा 12 अन्य पद खाली पड़े हैं। इनमें 2 रेडियो ऑन्कोलॉजिस्ट, 2 सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, 2 मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, 2 रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर व 3 रेडिएशन थेरेपी टेक्नोलॉजिस्ट शामिल हैं। मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी से जुड़ी परेशानियों के लिए न्यूरो सर्जन डॉ. कार्तिक नांदरा थे। लेकिन उनका भी अनुबंध खत्म हो गया था। जबकि एक बेहोशी की डॉक्टर अनु भी छोड़ गई है। ऐसे में उनके पद भी अभी तक खाली पड़े हैं।
अटल कैंसर केयर केंद्र में खाली पड़े विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए मुख्यालय स्तर पर पत्राचार पहले भी किया गया था व दोबारा किया जा रहा है। जैसे ही कोई खाली पदों के लिए आवेदन करता है तो पदों को भरा जाएगा।
- डॉ. राकेश सहल, सीएमओ, अंबाला