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योजनाओं पर करोड़ों खर्च, नतीजा सिफर
ब्यूरो/अमर उजाला, अंबाला
Updated Thu, 19 Jun 2014 12:38 AM IST
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अंबाला कैंट। सरकार की ओर से जनहित के लिए शुरू की गई कई योजनाएं विवादों की पेच में फंस गईं, तो कोई लापरवाही की भेंट चढ़ गई।
किसी के लिए बजट ही नहीं मिला, तो किसी को अमलीजामा ही नहीं पहनाया जा सका। इनमें से कई योजनाएं केंद्र और राज्य सरकार की है। जनता सालों से इन योजनाओं के पूरा होने का इंतजार कर रही है।
नेशनल हाईवे को सिक्सलेन करना
इसमें करीब तेरह किलोमीटर का हिस्सा अंबाला का है। लेकिन इसका काम अब तक पूरा ही नहीं हो पाया है। हाल ही में इसे पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन कई पेंच फंसने के कारण काम ही शुरू नहीं हो पाया है।
खतरा : रोट कट और डायवर्जन हैं। किनारों पर गहरे गड्ढे होने के कारण कई हादसे हो चुके हैं। कई लोगों की जान भी जा चुकी हैं।
रेलवे का बाटलिंग प्लांट
कुमारी सैलजा के कार्यकाल में रेलवे ने छावनी में बाटलिंग प्लांट लगाने की घोषणा की थी। करीब तीन साल से इसका इंतजार किया जा रहा है कि यह कब शुरू होगा। कभी जमीन के चक्कर में तो कभी कागजी कार्रवाई में यह फंसा हुआ है।
फायदा : जिले के लोगों को रोजगार मिलता। साथ ही रेलवे को भी स्थानीय स्तर पर फायदा होता। बेरोजगार इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
साइंटिफिक क्लस्टर
साइंस उद्यमियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से इसे अमलीजामा पहनाया जाना है। कैंट की साइंस इंडस्ट्री के लिए यह बेहतरीन योजना है। छह साल से इस योजना के शुरू होने का इंतजार है।
फायदा : कैंट की करीब 1100 इकाइयों को इसका फायदा होना है। इसके जरिये इंस्ट्रूमेंट डिजाइनिंग, ट्रेंड स्टाफ आदि इंडस्ट्री को मिलता। योजना कब पूरी होगी इसके बारे में पता नहीं।
सिटी बस स्टैंड
करीब सात साल पहले सिटी बस स्टैंड को आधुनिक बनाने की घोषणा की कई। इस पर काम हुआ और डिजाइन तक फाइनल हो गया। इसके लिए बजट भी अलाट हो गया लेकिन सात सालों में इसका निर्माण कार्य ही शुरू नहीं हो पाया। एक बार इसका शिलान्यास कार्यक्रम भी रद्द किया जा चुका है।
दिक्कत : जर्जर हो चुके बस स्टैंड में यात्री धूप, बारिश, सर्दी में खड़े होकर बसों का इंतजार करते हैं। इस बस स्टैंड पर गड्ढे पड़े हैं और यात्रियों के बैठने के लिए कोई सुविधा नहीं है।
कैंट में बैडमिंटन हाल
करीब दो दशकों के बाद कैंट में बैडमिंटन हाल बनाने का रास्ता साफ हुआ था। इसके लिए जगह भी तय कर ली गई है लेकिन अब तक निर्माण कार्य नहीं हो पाया है। इसके लिए लाखों रुपये का बजट भी अलाट हो चुका है।
दिक्कत : बैडमिंटन खिलाड़ी अपनी रूटीन प्रैक्टिस के लिए क्लबों का रुख करते हैं या फिर किसी स्कूल अथवा कॉलेज में। स्कूल व कॉलेजों में जहां इन खिलाड़ियों को प्रैक्टिस में दिक्कत है, वहीं क्लबों में मोटी फीस देनी पड़ती है।
कैंट अनाज और सब्जी मंडी शिफ्टिंग
वर्ष 2007 से कैंट की अनाज मंडी और होलसेल सब्जी मंडी की शिफ्टिंग की योजना चल रही है। गांव बुहावा में इसे शिफ्ट करना है लेकिन शुरू से ही यह विवादों में घिर गई। जमीन अधिग्रहण के मामले में केस अदालत में चला और प्रशासन जीता, जिसके बाद किसानों को मुआवजा भी दिया गया। लेकिन इसका निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा है, जिसे लेकर एडमिनिस्ट्रेटर मार्केटिंग बोर्ड से जवाब भी मांगा गया।
दिक्कत : अनाज मंडी और होलसेल सब्जी मंडी सबसे व्यस्त हिस्से में है। अनाज मंडी में सीजन के दौरान रास्ते बंद होते हैं, जबकि होलसेल सब्जी मंडी में सुबह के समय तो जाम की स्थिति रहती है।
अंबाला-जगाधरी रोड को सिक्सलेन करना
पिछले साल अंबाला-जगाधरी रोड को सिक्सलेन करने की घोषणा की गई थी। इसका उद्देश्य यातायात के दबाव का कम करना था। डेढ़ साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन इसके लिए बजट अभी तक जारी नहीं हुआ।
दिक्कत : स्टेट हाईवे अंबाला-जगाधरी मार्ग पर स्कूल, कालेज, अस्पताल, कार्यालय, सिविल अस्पताल हैं। इस मार्ग पर ट्रैफिक बहुत अधिक है, जिसके कारण हादसे बहुत हो रहे हैं।
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कैंट का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
अंबाला छावनी के नन्हेड़ा में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए काम शुरू हुआ। लेकिन इसके लिए अधिग्रहीत की गई जमीन भी विवादों के घेरे में आ गई। इसके बाद प्लांट के निर्माण कार्य रुक गया, जो आज तक शुरू नहीं हो पाया है।
दिक्कत : यदि यह प्लांट शुरू हो जाता तो ट्रीटमेंट के बाद पानी को कुछ कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। सिंचाई आदि में इसका काफी फायदा होता।
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गुरु गोबिंद सिंह आडीटोरियम
कैंट में अंबाला-जगाधरी हाईवे पर सरकारी स्कूल के साथ लगती जमीन पर यह आडीटोरियम बनना था। इसका शिलान्यास भी हुआ, जिसके बाद सिख समाज को उम्मीद थी कि आडीटोरियम बनेगा। इससे विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए सुविधा होती, लेकिन विवादों के चलते यह शुरू ही नहीं हो पाया।
दिक्कत : आज इस जमीन पर नगर निगम के कंटेनर आदि रखे हैं, जबकि समाज का कहना है कि इस कुछ जमीन पर कब्जा भी हो चुका है।
कैंट में बनने वाला शहीद स्मारक
कैंट में बनने वाला शहीद स्मारक नेशनल हाईवे नंबर वन पर बनना है। इसके लिए डिजाइन भी तैयार कर लिया गया, जबकि दो बार इसका शिलान्यास कार्यक्रम भी रखा, लेकिन किसी कारणवश रद्द हो गया। अब इस जगह पर कूड़े के ढेर हैं।
उम्मीद : प्रथम स्वाधीनता संग्राम 1857 की याद में यह स्मारक बनाया जाना है, क्योंकि संग्राम की पहली चिंगारी अंबाला से ही फूटी थी। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाया जाना था, जिससे अंबाला की पहचान विश्व भर में होती।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
गांव पटवी में प्रशासन की ओर से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाया गया। इसके निर्माण और , मशीनरी पर करोड़ों खर्च किए गए। इसके लिए मशीनरी भी लगाई गई। ट्विनसिटी की गंदगी को यहां लाया जाता, जिससे खाद बनाई जानी थी। लेकिन कागजी फेर में फंसने के कारण यह योजना सिरे ही नहीं चढ़ पाई और आज मशीनें आदि जर्जर हो चुकी हैं।
दिक्कत : ट्विनसिटी की गंदगी को एक जगह से उठाकर दूसरी जगह फेंका जा रहा है। गंदगी के बीच ही लोग रह रहे हैं, जबकि इस योजना का कोई फायदा नहीं हुआ।
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कैंट में हुडा सेक्टरों फ्लैटों का आवंटन
कैंट के घसीटपुर में हुडा की ओर से दो सेक्टरों में 1640 मकानों का निर्माण कराया गया। एक वर्ग विशेष को यह फ्लैट बनाकर दिए जाने थे, जिसके लिए प्रशासन ने आवेदन भी लिए। बीते छह साल में मामला कागजों में चलता रहा, जबकि मात्र 200 फ्लैट दिए गए, जबकि 1440 फ्लैट आज भी खाली हैं।
दिक्कत : इन फ्लैटों का आवंटन नहीं होने के कारण यह खराब होते जा रहे हैं और रिपेयर की आवश्यकता पड़ रही है। बिजली लाइन भी पूरी तरह से नहीं डाली गई, जबकि अभी तक फाइनल नहीं है कि शेष फ्लैट कब दिए जाएंगे ।
कैंट में बना स्लाटर हाउस
कैंट में लाखों रुपये की लागत से बारह क्रास रोड पर स्लाटर हाउस बनाया गया था। इस जगह पर मीट मार्केट को शिफ्ट किया जाना था, लेकिन यह खंडहर बन चुका है। निगम ने इसे नया बनाना प्रस्तावित किया है लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ।
दिक्कत : सरेआम मीट की दुकानें खुली हैं। प्रदूषण के साथ-साथ लोगों को परेशानी भी हो रही है।

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नेशनल हाईवे को सिक्सलेन करना
इसमें करीब तेरह किलोमीटर का हिस्सा अंबाला का है। लेकिन इसका काम अब तक पूरा ही नहीं हो पाया है। हाल ही में इसे पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन कई पेंच फंसने के कारण काम ही शुरू नहीं हो पाया है।
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खतरा : रोट कट और डायवर्जन हैं। किनारों पर गहरे गड्ढे होने के कारण कई हादसे हो चुके हैं। कई लोगों की जान भी जा चुकी हैं।
रेलवे का बाटलिंग प्लांट
कुमारी सैलजा के कार्यकाल में रेलवे ने छावनी में बाटलिंग प्लांट लगाने की घोषणा की थी। करीब तीन साल से इसका इंतजार किया जा रहा है कि यह कब शुरू होगा। कभी जमीन के चक्कर में तो कभी कागजी कार्रवाई में यह फंसा हुआ है।
फायदा : जिले के लोगों को रोजगार मिलता। साथ ही रेलवे को भी स्थानीय स्तर पर फायदा होता। बेरोजगार इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
साइंटिफिक क्लस्टर
साइंस उद्यमियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से इसे अमलीजामा पहनाया जाना है। कैंट की साइंस इंडस्ट्री के लिए यह बेहतरीन योजना है। छह साल से इस योजना के शुरू होने का इंतजार है।
फायदा : कैंट की करीब 1100 इकाइयों को इसका फायदा होना है। इसके जरिये इंस्ट्रूमेंट डिजाइनिंग, ट्रेंड स्टाफ आदि इंडस्ट्री को मिलता। योजना कब पूरी होगी इसके बारे में पता नहीं।
सिटी बस स्टैंड
करीब सात साल पहले सिटी बस स्टैंड को आधुनिक बनाने की घोषणा की कई। इस पर काम हुआ और डिजाइन तक फाइनल हो गया। इसके लिए बजट भी अलाट हो गया लेकिन सात सालों में इसका निर्माण कार्य ही शुरू नहीं हो पाया। एक बार इसका शिलान्यास कार्यक्रम भी रद्द किया जा चुका है।
दिक्कत : जर्जर हो चुके बस स्टैंड में यात्री धूप, बारिश, सर्दी में खड़े होकर बसों का इंतजार करते हैं। इस बस स्टैंड पर गड्ढे पड़े हैं और यात्रियों के बैठने के लिए कोई सुविधा नहीं है।
कैंट में बैडमिंटन हाल
करीब दो दशकों के बाद कैंट में बैडमिंटन हाल बनाने का रास्ता साफ हुआ था। इसके लिए जगह भी तय कर ली गई है लेकिन अब तक निर्माण कार्य नहीं हो पाया है। इसके लिए लाखों रुपये का बजट भी अलाट हो चुका है।
दिक्कत : बैडमिंटन खिलाड़ी अपनी रूटीन प्रैक्टिस के लिए क्लबों का रुख करते हैं या फिर किसी स्कूल अथवा कॉलेज में। स्कूल व कॉलेजों में जहां इन खिलाड़ियों को प्रैक्टिस में दिक्कत है, वहीं क्लबों में मोटी फीस देनी पड़ती है।
कैंट अनाज और सब्जी मंडी शिफ्टिंग
वर्ष 2007 से कैंट की अनाज मंडी और होलसेल सब्जी मंडी की शिफ्टिंग की योजना चल रही है। गांव बुहावा में इसे शिफ्ट करना है लेकिन शुरू से ही यह विवादों में घिर गई। जमीन अधिग्रहण के मामले में केस अदालत में चला और प्रशासन जीता, जिसके बाद किसानों को मुआवजा भी दिया गया। लेकिन इसका निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा है, जिसे लेकर एडमिनिस्ट्रेटर मार्केटिंग बोर्ड से जवाब भी मांगा गया।
दिक्कत : अनाज मंडी और होलसेल सब्जी मंडी सबसे व्यस्त हिस्से में है। अनाज मंडी में सीजन के दौरान रास्ते बंद होते हैं, जबकि होलसेल सब्जी मंडी में सुबह के समय तो जाम की स्थिति रहती है।
अंबाला-जगाधरी रोड को सिक्सलेन करना
पिछले साल अंबाला-जगाधरी रोड को सिक्सलेन करने की घोषणा की गई थी। इसका उद्देश्य यातायात के दबाव का कम करना था। डेढ़ साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन इसके लिए बजट अभी तक जारी नहीं हुआ।
दिक्कत : स्टेट हाईवे अंबाला-जगाधरी मार्ग पर स्कूल, कालेज, अस्पताल, कार्यालय, सिविल अस्पताल हैं। इस मार्ग पर ट्रैफिक बहुत अधिक है, जिसके कारण हादसे बहुत हो रहे हैं।
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कैंट का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
अंबाला छावनी के नन्हेड़ा में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए काम शुरू हुआ। लेकिन इसके लिए अधिग्रहीत की गई जमीन भी विवादों के घेरे में आ गई। इसके बाद प्लांट के निर्माण कार्य रुक गया, जो आज तक शुरू नहीं हो पाया है।
दिक्कत : यदि यह प्लांट शुरू हो जाता तो ट्रीटमेंट के बाद पानी को कुछ कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। सिंचाई आदि में इसका काफी फायदा होता।
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गुरु गोबिंद सिंह आडीटोरियम
कैंट में अंबाला-जगाधरी हाईवे पर सरकारी स्कूल के साथ लगती जमीन पर यह आडीटोरियम बनना था। इसका शिलान्यास भी हुआ, जिसके बाद सिख समाज को उम्मीद थी कि आडीटोरियम बनेगा। इससे विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए सुविधा होती, लेकिन विवादों के चलते यह शुरू ही नहीं हो पाया।
दिक्कत : आज इस जमीन पर नगर निगम के कंटेनर आदि रखे हैं, जबकि समाज का कहना है कि इस कुछ जमीन पर कब्जा भी हो चुका है।
कैंट में बनने वाला शहीद स्मारक
कैंट में बनने वाला शहीद स्मारक नेशनल हाईवे नंबर वन पर बनना है। इसके लिए डिजाइन भी तैयार कर लिया गया, जबकि दो बार इसका शिलान्यास कार्यक्रम भी रखा, लेकिन किसी कारणवश रद्द हो गया। अब इस जगह पर कूड़े के ढेर हैं।
उम्मीद : प्रथम स्वाधीनता संग्राम 1857 की याद में यह स्मारक बनाया जाना है, क्योंकि संग्राम की पहली चिंगारी अंबाला से ही फूटी थी। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाया जाना था, जिससे अंबाला की पहचान विश्व भर में होती।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
गांव पटवी में प्रशासन की ओर से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाया गया। इसके निर्माण और , मशीनरी पर करोड़ों खर्च किए गए। इसके लिए मशीनरी भी लगाई गई। ट्विनसिटी की गंदगी को यहां लाया जाता, जिससे खाद बनाई जानी थी। लेकिन कागजी फेर में फंसने के कारण यह योजना सिरे ही नहीं चढ़ पाई और आज मशीनें आदि जर्जर हो चुकी हैं।
दिक्कत : ट्विनसिटी की गंदगी को एक जगह से उठाकर दूसरी जगह फेंका जा रहा है। गंदगी के बीच ही लोग रह रहे हैं, जबकि इस योजना का कोई फायदा नहीं हुआ।
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कैंट में हुडा सेक्टरों फ्लैटों का आवंटन
कैंट के घसीटपुर में हुडा की ओर से दो सेक्टरों में 1640 मकानों का निर्माण कराया गया। एक वर्ग विशेष को यह फ्लैट बनाकर दिए जाने थे, जिसके लिए प्रशासन ने आवेदन भी लिए। बीते छह साल में मामला कागजों में चलता रहा, जबकि मात्र 200 फ्लैट दिए गए, जबकि 1440 फ्लैट आज भी खाली हैं।
दिक्कत : इन फ्लैटों का आवंटन नहीं होने के कारण यह खराब होते जा रहे हैं और रिपेयर की आवश्यकता पड़ रही है। बिजली लाइन भी पूरी तरह से नहीं डाली गई, जबकि अभी तक फाइनल नहीं है कि शेष फ्लैट कब दिए जाएंगे ।
कैंट में बना स्लाटर हाउस
कैंट में लाखों रुपये की लागत से बारह क्रास रोड पर स्लाटर हाउस बनाया गया था। इस जगह पर मीट मार्केट को शिफ्ट किया जाना था, लेकिन यह खंडहर बन चुका है। निगम ने इसे नया बनाना प्रस्तावित किया है लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ।
दिक्कत : सरेआम मीट की दुकानें खुली हैं। प्रदूषण के साथ-साथ लोगों को परेशानी भी हो रही है।