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Ambala News: वार्डबंदी से बदले चुनावी समीकरण, कार्यकर्ता और आजाद भी होंगे निर्णायक
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- नगर निगम चुनाव : कई वार्डों का मूल स्वरूप ही बदला तो कुछ के क्षेत्र में बदलाव
संवाद न्यूज एजेंसी
अंबाला सिटी। प्रस्तावित वार्डबंदी में वार्डों के बदलने से चुनावी समीकरण भी बदलने तय हैं। कई वार्डों में राजनीतिक पार्टियों के सक्रिय नेता, कार्यकर्ता और आजाद उम्मीदवार भी निर्णायक होंगे। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि ज्यादातर ऐसे वार्ड हैं, जिन वार्डों से कई बूथ यानि उनके क्षेत्र दूसरे वार्डों में चले गए हैं। अब नए वार्डों में चुनाव लड़ने के लिए भी लोग अपनी जमीन तलाश कर रहे हैं। साथ ही लोग यह भी तैयारी कर रहे हैं कि अगर उनका वार्ड आरक्षित होता है तो वह कौन से दूसरे वार्डों से चुनावी मैदान में एंट्री करेंगे।
नई वार्डबंदी से कई वार्डों के मूल स्वरूप में बदलाव होगा। प्रत्येक वार्ड में भी दो से तीन बूथ दूसरे वार्डों में शामिल होने से इस बार के वार्ड बदल जाएंगे। वार्ड 10 की बात करें तो यह वार्ड-11 हो जाएगा। इसी तरह वार्ड-11 नई वार्डबंदी में 15 वार्ड होगा। बताया जा रहा है कि नया वार्ड-7 और 10 जनसंख्या के हिसाब से एससी हो सकता है। वार्ड-2, 5 और 13 में एक वार्ड एससी हो सकता है। इसी तरह नए वार्ड 11 को बीसी-बी भी करने की तैयारी है, हालांकि यह वार्डबंदी में निकाले जाने वाले ड्रॉ से ही तय होगा कि कौन-सा वार्ड किस कैटेगरी में आरक्षित होगा।
कुछ पार्षद दूसरे वार्डों में उतरने की तैयारी में
शहर नगर निगम में 20 वार्ड हैं। इन वार्डों की बात करें तो मौजूदा ज्यादातर वार्ड अब नए बन जाएंगे। अभी वार्ड में कुछ पार्षद ऐसे हैं, जिनकी कैटेगरी के हिसाब से उनके क्षेत्र के वार्ड बदल जाएंगे और उनके वार्डों में कई दूसरे नेता, कार्यकर्ता और आजाद उम्मीदवार के तौर पर लोग सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में अगर उनका वार्ड आरक्षित होता है तो वह दूसरे वार्डों से भी चुनावी रण में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
जातीय समीकरण के आधार पर तैयारी
कई वार्डों में नए कार्यकर्ता और आजाद उम्मीदवारों के तौर पर लोगों ने सोशल मीडिया पर माहौल बनाना शुरू कर दिया है। ये लोग जातीय समीकरण के आधार पर चुनावी एंट्री के तौर पर अपनी तैयारी में जुटे हैं। कई पूर्व पार्षद भी दोबारा से इस दौड़ में शामिल होने की चाह में हैं। भाजपा की बात करें तो मौजूदा पार्षदों के साथ ही पुराने चुनाव लड़ चुके चेहरे और नए कार्यकर्ता भी अपनी दावेदारी के तौर पर खुद को मजबूत करते दिख रहे हैं और कांग्रेस में पुराने चेहरों के मुकाबले नए कार्यकर्ता चुनावी दौड़ में खुद को आगे मान रहे हैं।
कांग्रेस ने हाइकोर्ट में डाली याचिका, वार्डबंदी समिति व बैठक को दी चुनौती
वार्डबंदी की समिति की बैठक होने के बाद चुनावी माहौल गर्म होने लगा है। कांग्रेस ने नगर निगम चुनाव के लिए बनाई गई वार्डबंदी की एडहॉक समिति व बीते दिनों समिति की बैठक को हाइकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। इस याचिका पर गुरुवार को सुनवाई होगी। कांग्रेस नेता व वार्ड-10 के पार्षद अधिवक्ता मिथुन वर्मा ने बताया कि नगर निगम चुनाव के लिए बनाई गई वार्डबंदी की एडहॉक समिति व 27 व 28 नवंबर को हुई समिति की बैठक को हाइकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई है।
गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई होगी और अगली तारीख का पता चल सकेगा। उन्होंने कहा कि वार्डबंदी समिति में सभी सदस्य भाजपा के लिए गए, जबकि कांग्रेस या किसी अन्य विपक्ष दल से कोई सदस्य शामिल नहीं किया गया। इस समिति बैठक में एससी, महिला और जनरल कैटेगरी से ही सदस्यों को लिया गया और बीसी कैटेगरी से कोई भी सदस्य शामिल नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी वार्डबंदी के लिए बनाई गई समिति को कांग्रेस ने चुनौती देते हुए मुख्य चुनाव आयोग व शहरी स्थानीय निकाय निदेशक को शिकायत की थी। इसके बाद यह समिति खत्म की गई थी।
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अंबाला सिटी। प्रस्तावित वार्डबंदी में वार्डों के बदलने से चुनावी समीकरण भी बदलने तय हैं। कई वार्डों में राजनीतिक पार्टियों के सक्रिय नेता, कार्यकर्ता और आजाद उम्मीदवार भी निर्णायक होंगे। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि ज्यादातर ऐसे वार्ड हैं, जिन वार्डों से कई बूथ यानि उनके क्षेत्र दूसरे वार्डों में चले गए हैं। अब नए वार्डों में चुनाव लड़ने के लिए भी लोग अपनी जमीन तलाश कर रहे हैं। साथ ही लोग यह भी तैयारी कर रहे हैं कि अगर उनका वार्ड आरक्षित होता है तो वह कौन से दूसरे वार्डों से चुनावी मैदान में एंट्री करेंगे।
नई वार्डबंदी से कई वार्डों के मूल स्वरूप में बदलाव होगा। प्रत्येक वार्ड में भी दो से तीन बूथ दूसरे वार्डों में शामिल होने से इस बार के वार्ड बदल जाएंगे। वार्ड 10 की बात करें तो यह वार्ड-11 हो जाएगा। इसी तरह वार्ड-11 नई वार्डबंदी में 15 वार्ड होगा। बताया जा रहा है कि नया वार्ड-7 और 10 जनसंख्या के हिसाब से एससी हो सकता है। वार्ड-2, 5 और 13 में एक वार्ड एससी हो सकता है। इसी तरह नए वार्ड 11 को बीसी-बी भी करने की तैयारी है, हालांकि यह वार्डबंदी में निकाले जाने वाले ड्रॉ से ही तय होगा कि कौन-सा वार्ड किस कैटेगरी में आरक्षित होगा।
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कुछ पार्षद दूसरे वार्डों में उतरने की तैयारी में
शहर नगर निगम में 20 वार्ड हैं। इन वार्डों की बात करें तो मौजूदा ज्यादातर वार्ड अब नए बन जाएंगे। अभी वार्ड में कुछ पार्षद ऐसे हैं, जिनकी कैटेगरी के हिसाब से उनके क्षेत्र के वार्ड बदल जाएंगे और उनके वार्डों में कई दूसरे नेता, कार्यकर्ता और आजाद उम्मीदवार के तौर पर लोग सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में अगर उनका वार्ड आरक्षित होता है तो वह दूसरे वार्डों से भी चुनावी रण में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
जातीय समीकरण के आधार पर तैयारी
कई वार्डों में नए कार्यकर्ता और आजाद उम्मीदवारों के तौर पर लोगों ने सोशल मीडिया पर माहौल बनाना शुरू कर दिया है। ये लोग जातीय समीकरण के आधार पर चुनावी एंट्री के तौर पर अपनी तैयारी में जुटे हैं। कई पूर्व पार्षद भी दोबारा से इस दौड़ में शामिल होने की चाह में हैं। भाजपा की बात करें तो मौजूदा पार्षदों के साथ ही पुराने चुनाव लड़ चुके चेहरे और नए कार्यकर्ता भी अपनी दावेदारी के तौर पर खुद को मजबूत करते दिख रहे हैं और कांग्रेस में पुराने चेहरों के मुकाबले नए कार्यकर्ता चुनावी दौड़ में खुद को आगे मान रहे हैं।
कांग्रेस ने हाइकोर्ट में डाली याचिका, वार्डबंदी समिति व बैठक को दी चुनौती
वार्डबंदी की समिति की बैठक होने के बाद चुनावी माहौल गर्म होने लगा है। कांग्रेस ने नगर निगम चुनाव के लिए बनाई गई वार्डबंदी की एडहॉक समिति व बीते दिनों समिति की बैठक को हाइकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। इस याचिका पर गुरुवार को सुनवाई होगी। कांग्रेस नेता व वार्ड-10 के पार्षद अधिवक्ता मिथुन वर्मा ने बताया कि नगर निगम चुनाव के लिए बनाई गई वार्डबंदी की एडहॉक समिति व 27 व 28 नवंबर को हुई समिति की बैठक को हाइकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई है।
गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई होगी और अगली तारीख का पता चल सकेगा। उन्होंने कहा कि वार्डबंदी समिति में सभी सदस्य भाजपा के लिए गए, जबकि कांग्रेस या किसी अन्य विपक्ष दल से कोई सदस्य शामिल नहीं किया गया। इस समिति बैठक में एससी, महिला और जनरल कैटेगरी से ही सदस्यों को लिया गया और बीसी कैटेगरी से कोई भी सदस्य शामिल नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी वार्डबंदी के लिए बनाई गई समिति को कांग्रेस ने चुनौती देते हुए मुख्य चुनाव आयोग व शहरी स्थानीय निकाय निदेशक को शिकायत की थी। इसके बाद यह समिति खत्म की गई थी।