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Bhiwani News: उभरते तैराकों के सपनों पर ताला, 37 साल पुराना तरणताल खंडहर में तब्दील
संवाद न्यूज एजेंसी, भिवानी
Updated Thu, 13 Nov 2025 01:43 AM IST
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भीम खेल परिसर में स्थित खस्ताहाल तरणताल।
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भिवानी। भीम स्टेडियम खेल परिसर में स्थित 37 साल पुराना तरणताल जर्जर हालत में बंद पड़ा है जिससे जिले के उभरते तैराकों का भविष्य अधर में लटक गया है। करीब दस साल से बंद पड़े इस सरकारी पूल के कारण खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए निजी तैराकी पूलों का सहारा लेना पड़ रहा है। कभी खिलाड़ियों की आवाजों से गूंजने वाला यह परिसर अब वीरान हो चुका है। तरणताल परिसर में स्थित कार्यालय, शौचालय और जंपिंग पूल बदहाली की तस्वीर बयां कर रहे हैं। चारों ओर फैली घास और कंटीली झाड़ियां इसकी उपेक्षा की गवाही दे रही हैं।
नवीनीकरण के अभाव में अब स्थिति यह है कि जिलास्तर पर होने वाली ट्रायल स्पर्धाएं भी निजी पूलों में आयोजित करनी पड़ रही हैं। जिला खेल अधिकारी कार्यालय द्वारा आयोजित सभी तैराकी प्रतियोगिताएं फिलहाल निजी पूलों में ही करवाई जा रही हैं। इससे न केवल खिलाड़ियों की ट्रेनिंग प्रभावित हो रही है बल्कि जिला स्तर पर तैराकी खेल के विकास की गति भी थम गई है।
ये हैं तरणताल के हालात
बुधवार को संवाद न्यूज एजेंसी के संवाददाता ने जब भीम स्टेडियम परिसर में बने तरणताल का जायजा लिया तो हालात बेहद खराब नजर आए। मुख्य द्वार पर लगा लोहे का शटर वर्षों से बंद है जबकि बगल की दीवार तोड़कर अंदर जाने का रास्ता बनाया गया है। अंदर प्रवेश करते ही नजर आती हैं चार से पांच फीट ऊंची घास और कंटीली झाड़ियां जिन्होंने पूरे परिसर को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। तरणताल की तलहटी में एक फीट तक दूषित पानी जमा था जो संभवतः बरसाती पानी है। बिजली और पानी के कनेक्शन लंबे समय से बंद पड़े हैं। परिसर में लगी खिलाड़ियों की सर्दी-गर्मी की समय-सारणी अब भी टंगी है जो पुराने दिनों की याद दिलाती है। वहीं शौचालय और कार्यालय की इमारतें जर्जर हालत में हैं। रखरखाव के अभाव में पूरा परिसर धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है।
खेल प्रेमियों का कहना है कि यदि प्रशासन इस तरणताल का नवीनीकरण कर इसे दोबारा शुरू कर दे तो जिले के तैराकी खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए एक बड़ा मंच मिलेगा और भिवानी एक बार फिर तैराकी के क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकेगा।
1987 से 1989 के बीच बना था तरणताल
भिवानी का यह सरकारी तरणताल लगभग 37 साल पुराना है। परिसर में लगे शिलापट्ट के अनुसार इसका शुभारंभ तत्कालीन उप मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता ने किया था। हालांकि पत्थर पर लिखे अक्षर अब समय की मार झेलते हुए टूट चुके हैं। यह तरणताल 1987 से 1989 के बीच बनकर तैयार हुआ था और उस समय इसे प्रदेश के सबसे आधुनिक स्विमिंग पूलों में गिना जाता था।
तैराकी खिलाड़ियों के लिए जरूरी उपकरण
तैराकी के अभ्यास और प्रतियोगिताओं के लिए कई तरह के उपकरण आवश्यक होते हैं जिनमें लाइफ बूई, लाइफ जैकेट, किक बोर्ड, पूल बूई, हैंड पैडल्स, वाटर पोलो बॉल, गोल पोस्ट, लीफ नेट, ग्राफ्टिंग, वाटर टेस्टिंग किट, होज पाइप, संक्शन ब्रश, ऑक्सीजन सिलेंडर (मास्क सहित), पैराशूट, लाइफ गार्ड चेयर और क्लोरीन जैसे कई जरूरी सामान शामिल हैं। ये सभी उपकरण खिलाड़ियों की सुरक्षा और बेहतर प्रशिक्षण के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं।
भीम स्टेडियम खेल परिसर में स्थित तैराकी पूल को बंद हुए लंबा समय हो चुका है। ट्रायल स्पर्धाओं का आयोजन निजी तैराकी पूलों में करवाया जाता है। फिलहाल तैराकी पूल खस्ताहाल है और शुरू करने की स्थिति में नहीं है। इसके नवीनीकरण और शुरू करने का निर्णय उच्च अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में है। - विद्यानंद यादव, जिला खेल अधिकारी, भिवानी
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नवीनीकरण के अभाव में अब स्थिति यह है कि जिलास्तर पर होने वाली ट्रायल स्पर्धाएं भी निजी पूलों में आयोजित करनी पड़ रही हैं। जिला खेल अधिकारी कार्यालय द्वारा आयोजित सभी तैराकी प्रतियोगिताएं फिलहाल निजी पूलों में ही करवाई जा रही हैं। इससे न केवल खिलाड़ियों की ट्रेनिंग प्रभावित हो रही है बल्कि जिला स्तर पर तैराकी खेल के विकास की गति भी थम गई है।
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ये हैं तरणताल के हालात
बुधवार को संवाद न्यूज एजेंसी के संवाददाता ने जब भीम स्टेडियम परिसर में बने तरणताल का जायजा लिया तो हालात बेहद खराब नजर आए। मुख्य द्वार पर लगा लोहे का शटर वर्षों से बंद है जबकि बगल की दीवार तोड़कर अंदर जाने का रास्ता बनाया गया है। अंदर प्रवेश करते ही नजर आती हैं चार से पांच फीट ऊंची घास और कंटीली झाड़ियां जिन्होंने पूरे परिसर को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। तरणताल की तलहटी में एक फीट तक दूषित पानी जमा था जो संभवतः बरसाती पानी है। बिजली और पानी के कनेक्शन लंबे समय से बंद पड़े हैं। परिसर में लगी खिलाड़ियों की सर्दी-गर्मी की समय-सारणी अब भी टंगी है जो पुराने दिनों की याद दिलाती है। वहीं शौचालय और कार्यालय की इमारतें जर्जर हालत में हैं। रखरखाव के अभाव में पूरा परिसर धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है।
खेल प्रेमियों का कहना है कि यदि प्रशासन इस तरणताल का नवीनीकरण कर इसे दोबारा शुरू कर दे तो जिले के तैराकी खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए एक बड़ा मंच मिलेगा और भिवानी एक बार फिर तैराकी के क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकेगा।
1987 से 1989 के बीच बना था तरणताल
भिवानी का यह सरकारी तरणताल लगभग 37 साल पुराना है। परिसर में लगे शिलापट्ट के अनुसार इसका शुभारंभ तत्कालीन उप मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता ने किया था। हालांकि पत्थर पर लिखे अक्षर अब समय की मार झेलते हुए टूट चुके हैं। यह तरणताल 1987 से 1989 के बीच बनकर तैयार हुआ था और उस समय इसे प्रदेश के सबसे आधुनिक स्विमिंग पूलों में गिना जाता था।
तैराकी खिलाड़ियों के लिए जरूरी उपकरण
तैराकी के अभ्यास और प्रतियोगिताओं के लिए कई तरह के उपकरण आवश्यक होते हैं जिनमें लाइफ बूई, लाइफ जैकेट, किक बोर्ड, पूल बूई, हैंड पैडल्स, वाटर पोलो बॉल, गोल पोस्ट, लीफ नेट, ग्राफ्टिंग, वाटर टेस्टिंग किट, होज पाइप, संक्शन ब्रश, ऑक्सीजन सिलेंडर (मास्क सहित), पैराशूट, लाइफ गार्ड चेयर और क्लोरीन जैसे कई जरूरी सामान शामिल हैं। ये सभी उपकरण खिलाड़ियों की सुरक्षा और बेहतर प्रशिक्षण के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं।
भीम स्टेडियम खेल परिसर में स्थित तैराकी पूल को बंद हुए लंबा समय हो चुका है। ट्रायल स्पर्धाओं का आयोजन निजी तैराकी पूलों में करवाया जाता है। फिलहाल तैराकी पूल खस्ताहाल है और शुरू करने की स्थिति में नहीं है। इसके नवीनीकरण और शुरू करने का निर्णय उच्च अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में है। - विद्यानंद यादव, जिला खेल अधिकारी, भिवानी