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Chandigarh-Haryana News: तय समय के बाद प्रमाणपत्र देने वाले एएमओ उम्मीदवारों को नहीं मिलेगी राहत
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- एचपीएससी की अपील स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने एकल पीठ का फैसला बदला
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की खंडपीठ ने हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) की अपील स्वीकारते हुए फैसला सुनाया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी (एएमओ) पद के लिए उम्मीदवार निर्धारित समय सीमा के बाद प्रस्तुत किए गए श्रेणी प्रमाण पत्रों के आधार पर राहत के हकदार नहीं हैं। अदालत ने 15 फरवरी के एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया जिसमें पीठ ने कई रिट याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसमें एचपीएससी को उनके आरक्षण प्रमाणपत्र (बीसी-ए, बीसी-बी और ईडब्ल्यूएस) को स्वीकार करने का निर्देश दिया गया था। भले ही वे आवेदन की समय सीमा के बाद जमा किए गए हों।
आयोग ने अपील में कहा कि उसने 21 जून 2024 को स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग में आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी (ग्रुप बी) के 805 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे। विज्ञापन में उम्मीदवारों से अपेक्षित विभिन्न विवरण और निर्धारित योग्यताएं शामिल थीं और ऑनलाइन आवेदन जमा करने की तिथि 22 जून 2024 को निर्धारित की गई थी। इसकी अंतिम तिथि 12 जुलाई, 2024 शाम 5 बजे थी।
कई आवेदक, जो बीसी-ए और बीसी-बी श्रेणियों के तहत आरक्षण का दावा कर रहे हैं उन्होंने फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि से पहले अपने प्रमाण पत्र संलग्न नहीं किए थे। इसलिए आयोग ने याचिकाकर्ताओं के आवेदनों को वैध नहीं माना। आयोग ने आवेदन खारिज करने से पहले 26 दिसंबर 2024 को एक नोटिस जारी किया।
इसके बाद उम्मीदवारों ने रिट याचिकाएं दायर कर उच्च न्यायालय का रुख किया, जहां अंतरिम आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं को साक्षात्कार में शामिल होने की अनुमति दी गई। इसके बाद आयोग की अपील पर जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रोहित कपूर की युगलपीठ ने एकल पीठ का फैसला खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों तथा आवेदकों की बड़ी संख्या को देखते हुए, कुछ अंतिमता प्रदान की जानी चाहिए। अन्यथा, कोई न कोई उम्मीदवार अतिरिक्त छूट का दावा करेगा जिससे यह एक अंतहीन प्रक्रिया बन जाएगी और प्रशासनिक अराजकता फैलेगी।
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अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की खंडपीठ ने हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) की अपील स्वीकारते हुए फैसला सुनाया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी (एएमओ) पद के लिए उम्मीदवार निर्धारित समय सीमा के बाद प्रस्तुत किए गए श्रेणी प्रमाण पत्रों के आधार पर राहत के हकदार नहीं हैं। अदालत ने 15 फरवरी के एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया जिसमें पीठ ने कई रिट याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसमें एचपीएससी को उनके आरक्षण प्रमाणपत्र (बीसी-ए, बीसी-बी और ईडब्ल्यूएस) को स्वीकार करने का निर्देश दिया गया था। भले ही वे आवेदन की समय सीमा के बाद जमा किए गए हों।
आयोग ने अपील में कहा कि उसने 21 जून 2024 को स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग में आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी (ग्रुप बी) के 805 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे। विज्ञापन में उम्मीदवारों से अपेक्षित विभिन्न विवरण और निर्धारित योग्यताएं शामिल थीं और ऑनलाइन आवेदन जमा करने की तिथि 22 जून 2024 को निर्धारित की गई थी। इसकी अंतिम तिथि 12 जुलाई, 2024 शाम 5 बजे थी।
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कई आवेदक, जो बीसी-ए और बीसी-बी श्रेणियों के तहत आरक्षण का दावा कर रहे हैं उन्होंने फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि से पहले अपने प्रमाण पत्र संलग्न नहीं किए थे। इसलिए आयोग ने याचिकाकर्ताओं के आवेदनों को वैध नहीं माना। आयोग ने आवेदन खारिज करने से पहले 26 दिसंबर 2024 को एक नोटिस जारी किया।
इसके बाद उम्मीदवारों ने रिट याचिकाएं दायर कर उच्च न्यायालय का रुख किया, जहां अंतरिम आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं को साक्षात्कार में शामिल होने की अनुमति दी गई। इसके बाद आयोग की अपील पर जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रोहित कपूर की युगलपीठ ने एकल पीठ का फैसला खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों तथा आवेदकों की बड़ी संख्या को देखते हुए, कुछ अंतिमता प्रदान की जानी चाहिए। अन्यथा, कोई न कोई उम्मीदवार अतिरिक्त छूट का दावा करेगा जिससे यह एक अंतहीन प्रक्रिया बन जाएगी और प्रशासनिक अराजकता फैलेगी।