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Chandigarh-Haryana News: पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को 1200 रुपये प्रति एकड़ मिलेगा अनुदान, हरसेक से मांगा ब्योरा
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- इस बार रेड एंट्री में दर्ज होने वाले 248 किसानों को नहीं मिलेगा अनुदान
- जनवरी 2026 के दूसरे सप्ताह तक अनुदान मिलने की उम्मीद
- प्रदेश में इस बार 41.37 लाख एकड़ में हुई थी धान की रोपाई, 85.5 लाख मीट्रिक टन निकली पराली
चंडीगढ़। हरियाणा में धान की खेती के बाद पराली का प्रबंधन करने वाले किसानों को अनुदान देने की आगामी कार्रवाई शुरू हो गई है। अगले साल जनवरी के दूसरे सप्ताह तक अनुदान मिलने की उम्मीद है। ऐसे में हरसेक से विस्तृत ब्योरा मांगा गया है और सत्यापन का कार्य भी जारी है। इस बार खेत के अंदर-बाहर या चारे के रूप में पराली का प्रबंधन करने वाले सभी किसानों को 1200 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान मिलेगा।
हरियाणा कृषि व कल्याण विभाग के अनुसार इस बार करीब 41,37,484 एकड़ क्षेत्रफल में धान की रोपाई हुई थी। इस बार करीब 22,62,851 एकड़ में बासमती और 18,74,633 एकड़ में नाॅन बासमती धान का क्षेत्रफल था। करीब 85.5 लाख मीट्रिक टन पराली निकली। विभाग ने खेत के अंदर 44.4 लाख मीट्रिक टन और खेत के बाहर 19.10 लाख मीट्रिक टन और चारे के रूप में 22 लाख मीट्रिक टन पराली प्रबंधन का ब्योरा तैयार किया था।
इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के माध्यम से पराली जलाने वाले किसानों का ब्योरा उपलब्ध होता है जबकि हरसेक (हरियाणा अंतरिक्ष उपयोग केंद्र) रेड से ग्रीन जोन और यलो से ग्रीन जोन में आने वाले गांवों का ब्योरा तैयार करेगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस बार 248 किसानों को अनुदान नहीं मिलेगा क्योंकि इनकी रेड एंट्री दर्ज की गई। अब सत्यापन के बाद धान की खेती करने वाले किसानों को अनुदान देने की प्रक्रिया शुरू होगी।
कृषि व किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा का कहना है कि सरकार की ओर से लगातार जागरूक करने पर किसानों ने सहयोग किया और इसी का नतीजा है कि इस बार बेहद कम पराली जलाने के मामले सामने आए है।
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चंडीगढ़। हरियाणा में धान की खेती के बाद पराली का प्रबंधन करने वाले किसानों को अनुदान देने की आगामी कार्रवाई शुरू हो गई है। अगले साल जनवरी के दूसरे सप्ताह तक अनुदान मिलने की उम्मीद है। ऐसे में हरसेक से विस्तृत ब्योरा मांगा गया है और सत्यापन का कार्य भी जारी है। इस बार खेत के अंदर-बाहर या चारे के रूप में पराली का प्रबंधन करने वाले सभी किसानों को 1200 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान मिलेगा।
हरियाणा कृषि व कल्याण विभाग के अनुसार इस बार करीब 41,37,484 एकड़ क्षेत्रफल में धान की रोपाई हुई थी। इस बार करीब 22,62,851 एकड़ में बासमती और 18,74,633 एकड़ में नाॅन बासमती धान का क्षेत्रफल था। करीब 85.5 लाख मीट्रिक टन पराली निकली। विभाग ने खेत के अंदर 44.4 लाख मीट्रिक टन और खेत के बाहर 19.10 लाख मीट्रिक टन और चारे के रूप में 22 लाख मीट्रिक टन पराली प्रबंधन का ब्योरा तैयार किया था।
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इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के माध्यम से पराली जलाने वाले किसानों का ब्योरा उपलब्ध होता है जबकि हरसेक (हरियाणा अंतरिक्ष उपयोग केंद्र) रेड से ग्रीन जोन और यलो से ग्रीन जोन में आने वाले गांवों का ब्योरा तैयार करेगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस बार 248 किसानों को अनुदान नहीं मिलेगा क्योंकि इनकी रेड एंट्री दर्ज की गई। अब सत्यापन के बाद धान की खेती करने वाले किसानों को अनुदान देने की प्रक्रिया शुरू होगी।
कृषि व किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा का कहना है कि सरकार की ओर से लगातार जागरूक करने पर किसानों ने सहयोग किया और इसी का नतीजा है कि इस बार बेहद कम पराली जलाने के मामले सामने आए है।