खबरों के खिलाड़ी: नितिन का प्रयोग कितना नवीन, विश्लेषकों ने बताया क्या पूर्णकालिक अध्यक्ष भी बनेंगे
भाजपा ने अपना कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन को नियुक्त किया है। हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की है। अब उन्हें भाजपा की तरफ से नई जिम्मेदारी दी गई है।
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डेढ़ साल के बाद भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर चल रहा इंतजार खत्म हो गया। पार्टी ने बिहार से आने वाले नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। नितिन नवीन की इस नियुक्ति पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। कोई इसे मास्टर स्ट्रोक बता रहा है तो कोई इसे एक व्यक्ति का फैसला बता रहा है। इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में इसी पर चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, समीर चौगांवकर, पूर्णिमा त्रिपाठी, राकेश शुक्ल और अनुराग वर्मा मौजूद रहे।
रामकृपाल सिंह: जैसे आसमान नीला दिखाई देता है, ये आभासी सच है। ऐसे ही पद की रेस वाली बात भी आभासी सच है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से जितने भी फैसले हुए हैं उन्हें आप देखते जाइये। भाजपा और कांग्रेस में एक समानता है। जैसे- इंदिरा तय करती थीं की कौन मुख्यमंत्री होगा। भाजपा में भी करीब-करीब वैसी ही स्थिति है। अब भाजपा की कोशिश है कि कहीं न कहीं से नया नेतृत्व दिया जाए। भाजपा में जो रहता है वो भी जानता है कि संगठन ही तय करेगा। मुझे लगता है कि ये भाजपा की संगठनात्मक सफलता है।
पूर्णिमा त्रिपाठी: नितिन नवीन का चुनाव जाना एक चौंकाने वाला फैसला तो था ही। अगर ये पहले से तय होता तो 20-25 दिन पहले उन्हें बिहार में मंत्री नहीं बनाया गया होता। ये हो सकता है कि आखिरी के चार-पांच दिन में उनका नाम तय हुआ। पंकज चौधरी के मामले में माना जा सकता है कि भाजपा के निश्चित समुदाय को टारगेट कर रही है। लेकिन नितिन नवीन के मामले में ये नहीं कहा जा सकता है।
राकेश शुक्ल: भाजपा के संविधान में अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर जो कहा गया है उसके हिसाब से ये नियुक्ति मुझे नहीं दिखती है। भाजपा ने एक नया प्रयोग किया है। यदि इसमें कोई बहुत बड़ी आपत्ति नहीं आई तो ये आगे भी पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर बने रहेंगे। अगर आपत्ति आई तो उन्हें हटाना भाजपा के लिए आसान होगा। आगे ये चर्चा होगी कि क्या नितिन नवीन रहेंगे या कोई और पूर्णकालिक अध्यक्ष बनेगा।
अनुराग वर्मा: ये परंपरा कांग्रेस में इतनी पुरानी है कि ये उसके गठन से चली आ रही है। दूसरा अगर नितिन नवीन की जगह कोई दूसरा बनता, खासतौर पर जिन नामों की चर्चा चल रही थी तो मेरे लिए वो आश्चर्यजनक होगा। 2014 के बाद से भाजपा में इस तरह के प्रयोगों का सिलसिला चल रहा है। ये एक तरह से सिद्ध हो गया है कि वोट किसी और वजह से मिल रहा है, ये चेहरे तो बस ऑर्नामेंटल हैं।
समीर चौगांवकर: नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब से ही संगठन उनके हिसाब से रहा है। चाहे गुजरात रहा हो या जब से वो राष्ट्रीय राजनीति आए हों। नितिन नवीन जब दिल्ली आते हैं तो प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर चले जाते हैं। क्या उन्हें एक दिन पहले नहीं बुलाया जा सकता था। जो व्यक्ति कभी केंद्रीय संगठन के पद नहीं रहा। जो प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं रहा हो उसे आपने कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। पार्टी की संरचना किस तरह से काम कर रही है उसे मैं मास्टर स्ट्रोक नहीं मानता है। पार्टी एक व्यक्ति की मुट्ठी में फंसी हुई है। भाजपा का इतिहास में कौन इस तरह से पार्टी के शीर्ष पर पहुंचा?
विनोद अग्निहोत्री: भाजपा इस तरह के नवीन प्रयोग लगातार कर रही है। आज की जो भाजपा है वो 1970 के दशक की कांग्रेस है। और आज जो कांग्रेस है वो 2009 के दौर की भाजपा हो चुकी है। गडकरी जब आए थे तो उनके पास एक अनुभव था। इसके साथ उनके साथ अनुभव भी था। लेकिन नितिन नवीन के बारे में यह बात नहींं कही जा सकती है। नितिन नवीन के पिता डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के परिवार से थे। लेकिन इस नाम ने सब को चौंकाया है।