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Karnataka: 'अघोषित आपातकाल लाने की कोशिश...', कर्नाटक हेट स्पीच बिल को लेकर बोलीं केंद्रीय मंत्री करंदलाजे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू।
Published by: निर्मल कांत
Updated Sat, 20 Dec 2025 11:42 PM IST
सार
Karnataka: केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने कांग्रेस सरकार पर 'अघोषित आपातकाल' लाने की कोशिश करने का आरोप लगाया और कर्नाटक नफरती भाषण और घृणा अपराध (संशोधन) विधेयक का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ और असांविधानिक है, इसलिए उन्होंने इसे मंजूरी न देने के लिए राज्यपाल को पत्र लिखा है।
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केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे
- फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने शनिवार को आरोप लगाया कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार राज्य में 'अघोषित आपातकाल' लाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कर्नाटक नफरती भाषण और घृणा अपराध (रोकथाम) विधेयक पर कड़ा विरोध जताया।
करंदलाजे ने कहा कि उन्होंने इस विधेयक को मंजूरी न देने के लिए कर्नाटक के राज्यपाल को पत्र लिखा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर वह राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगी। यह विधेयक बेलगावी में हुए शीतकालीन सत्र के दौरान भाजपा और जेडी(एस) के विरोध के बीच राज्य विधानसभा के दोनों सदनों से पारित किया गया। यह सत्र शुक्रवार को समाप्त हुआ।
ये भी पढ़ें: PCMC Elections: बीएमसी चुनाव से पहले MVA और अजित गुट को झटका; भाजपा को बढ़त, 20 से ज्यादा नेता हुए शामिल
उन्होंने कहा कि कांग्रेस कर्नाटक में अघोषित आपातकाल लाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस की सोच हमेशा से यही रही है कि वह जो करे, उसे बिना विरोध के स्वीकार किया जाए। उन्होंने कहा कि बेलगावी सत्र में उत्तर कर्नाटक के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन फोकस रात्रिभोज पार्टी और नफरती भाषण विधेयक तक ही सीमित रहा।
करंदलाजे ने सवाल उठाया कि कांग्रेस आखिर क्या चाहती है। कांग्रेस नेता किस वजह से कर्नाटक नफरती भाषण और घृणा अपराध रोकथाम विधेयक लाए हैं और इसके पीछे क्या मकसद है, यह स्पष्ट नहीं है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम तथा श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री करंदलाजे ने पत्रकारों से कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 19(1) और 19(2) के तहत मिलने वाली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार बीआर आंबेडकर की ओर से दी गई अभिव्यक्ति की आजादी को छीन रही है।
ये भी पढ़ें: Foreign Nationals In Karnataka: उडुपी के रिसॉर्ट में नौ अवैध विदेशी पकड़े गए, तीन बच्चे भी; ऐसे हुआ पर्दाफाश
उन्होंने विधेयक के कई प्रावधानों का हवाला देते हुए इसे असांविधानिक बताया और कहा कि इसका मकसद विपक्ष की आवाज को दबाना है। करंदलाजे ने कहा कि सरकार विपक्ष, उनके संगठनों और कन्नड़ संगठनों को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि वह किसी भी हाल में इस कानून को लागू नहीं होने देंगी। इस संबंध में उन्होंने राज्यपाल को पत्र लिखा है और उनसे संविधान के तहत इसे मंजूरी न देने का अनुरोध किया है। जरूरत पड़ी तो वह राष्ट्रपति का भी ध्यान इस ओर आकर्षित करेंगी।
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करंदलाजे ने कहा कि उन्होंने इस विधेयक को मंजूरी न देने के लिए कर्नाटक के राज्यपाल को पत्र लिखा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर वह राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगी। यह विधेयक बेलगावी में हुए शीतकालीन सत्र के दौरान भाजपा और जेडी(एस) के विरोध के बीच राज्य विधानसभा के दोनों सदनों से पारित किया गया। यह सत्र शुक्रवार को समाप्त हुआ।
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उन्होंने कहा कि कांग्रेस कर्नाटक में अघोषित आपातकाल लाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस की सोच हमेशा से यही रही है कि वह जो करे, उसे बिना विरोध के स्वीकार किया जाए। उन्होंने कहा कि बेलगावी सत्र में उत्तर कर्नाटक के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन फोकस रात्रिभोज पार्टी और नफरती भाषण विधेयक तक ही सीमित रहा।
करंदलाजे ने सवाल उठाया कि कांग्रेस आखिर क्या चाहती है। कांग्रेस नेता किस वजह से कर्नाटक नफरती भाषण और घृणा अपराध रोकथाम विधेयक लाए हैं और इसके पीछे क्या मकसद है, यह स्पष्ट नहीं है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम तथा श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री करंदलाजे ने पत्रकारों से कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 19(1) और 19(2) के तहत मिलने वाली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार बीआर आंबेडकर की ओर से दी गई अभिव्यक्ति की आजादी को छीन रही है।
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उन्होंने विधेयक के कई प्रावधानों का हवाला देते हुए इसे असांविधानिक बताया और कहा कि इसका मकसद विपक्ष की आवाज को दबाना है। करंदलाजे ने कहा कि सरकार विपक्ष, उनके संगठनों और कन्नड़ संगठनों को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि वह किसी भी हाल में इस कानून को लागू नहीं होने देंगी। इस संबंध में उन्होंने राज्यपाल को पत्र लिखा है और उनसे संविधान के तहत इसे मंजूरी न देने का अनुरोध किया है। जरूरत पड़ी तो वह राष्ट्रपति का भी ध्यान इस ओर आकर्षित करेंगी।
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