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मनरेगा : रोजगार मिला नहीं, बजट आवंटन भी घट गया
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हरियाणा में मनरेगा की स्थिति ठीक नहीं, सांसद वरुण मुलाना के सवाल पर केंद्र सरकार ने किया खुलासा
मनरेगा में हरियाणा के करीब आठ लाख सक्रिय मजदूर हैं पंजीकृत
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत पंजीकृत मजदूरों को रोजगार देने की स्थिति ठीक नहीं है। पिछले पांच सालों में मनरेगा के तहत केंद्र सरकार की ओर से जारी बजट में कमी आई है। 2020-21 में केंद्र ने 764.55 करोड़ रुपये जारी किए थे। 2024-25 में यह आवंटन घटकर 590.19 करोड़ रुपये रह गया है। प्रदेश में इस योजना के तहत आठ लाख से ज्यादा सक्रिय श्रमिक पंजीकृत हैं मगर इनमें से गिनती के लोगों को ही 100 दिन का रोजगार मिल सका है। केंद्र सरकार के मुताबिक 2022-23 व 2023-24 में 8 लाख 6 हजार 439 मजदूर पंजीकृत थे। इनमें से वर्षवार क्रमश: 3447 व 2555 मजदूरों को ही 100 दिन का रोजगार मिल सका। 2024-25 में 8 लाख 6 हजार 422 मजदूर पंजीकृत थे जिनमें से 2191 को ही रोजगार मिला।
केंद्र सरकार ने यह जानकारी अंबाला से कांग्रेस सांसद वरुण मुलाना की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में दी है। सांसद का कहना है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से जो जवाब आया है उससे सरकार की पोल खुल गई है। केंद्र सरकार ने मनरेगा के बजट को भी काट दिया है। जब मजदूरों को 100 दिन का रोजगार नहीं मिल पा रहा है तो क्या मनरेगा का नाम बदलने से लोगों को 125 दिन का रोजगार मिल सकेगा। केंद्र सरकार के मुताबिक हरियाणा को केंद्र ने 2020-21 में 764.55 करोड़ रुपये जारी किए जो 2021-22 में घटकर 723.73 करोड़ रुपये हो गए। 2022-23 में यह राशि घटकर आधे यानी 373.99 करोड़ रुपये रह गई। 2023-24 में आवंटन बढ़कर 477.97 करोड़ रुपये और 2024-25 में 590.19 करोड़ रुपये हो गया। यानी 2020-21 व 2024-25 की तुलना में 174 करोड़ रुपये की कमी आई है।
दूसरे राज्यों के मुकाबले बजट भी कम
मनरेगा के तहत आवंटित होने वाला बजट भी दूसरे राज्यों के मुकाबले हरियाणा को कम मिला है। केंद्र सरकार के मुताबिक तीन दिसंबर 2025 तक असम को 1508 करोड़, हरियाणा को 432 करोड़, हिमाचल को 814 करोड़, जम्मू कश्मीर को 1068 करोड़, झारखंड को 2571 करोड़, कर्नाटक को 2989 करोड़, मणिपुर में 917 करोड़ रुपये बजट आवंटित किया गया है। इस पर भी विपक्ष ने सवाल उठाया है कि हरियाणा से छोटे राज्यों को भी ज्यादा बजट मिला है और हरियाणा की अनदेखी की गई है। अधिनियम में जिन श्रमिकों को 100 दिन का रोजगार नहीं मिलता है उन्हें बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान भी है लेकिन पांच साल में एक भी श्रमिक को यह भत्ता नहीं मिला। इसके अलावा भुगतान में विलंब पर भी मुआवजे का प्रावधान है मगर इस बारे में केंद्र सरकार की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई।
मंत्री बोले- बेरोजगारी भत्ते के भुगतान का ब्योरा नहीं है
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान के मुताबिक मनरेगा एक मांग आधारित मजदूरी रोजगार योजना है। इस अधिनियम के अनुसार प्रत्येक पात्र ग्रामीण परिवार को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की मजदूरी रोजगार प्राप्त करने का अधिकार है। यदि राज्य सरकार निर्धारित समयावधि के भीतर रोजगार प्रदान करने में विफल रहती है तो अधिनियम के तहत बेरोजगारी भत्ता भी दिया जाता है हालांकि पिछले पांच सालों के दौरान भुगतान का ब्योरा नहीं है।
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मनरेगा में हरियाणा के करीब आठ लाख सक्रिय मजदूर हैं पंजीकृत
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत पंजीकृत मजदूरों को रोजगार देने की स्थिति ठीक नहीं है। पिछले पांच सालों में मनरेगा के तहत केंद्र सरकार की ओर से जारी बजट में कमी आई है। 2020-21 में केंद्र ने 764.55 करोड़ रुपये जारी किए थे। 2024-25 में यह आवंटन घटकर 590.19 करोड़ रुपये रह गया है। प्रदेश में इस योजना के तहत आठ लाख से ज्यादा सक्रिय श्रमिक पंजीकृत हैं मगर इनमें से गिनती के लोगों को ही 100 दिन का रोजगार मिल सका है। केंद्र सरकार के मुताबिक 2022-23 व 2023-24 में 8 लाख 6 हजार 439 मजदूर पंजीकृत थे। इनमें से वर्षवार क्रमश: 3447 व 2555 मजदूरों को ही 100 दिन का रोजगार मिल सका। 2024-25 में 8 लाख 6 हजार 422 मजदूर पंजीकृत थे जिनमें से 2191 को ही रोजगार मिला।
केंद्र सरकार ने यह जानकारी अंबाला से कांग्रेस सांसद वरुण मुलाना की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में दी है। सांसद का कहना है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से जो जवाब आया है उससे सरकार की पोल खुल गई है। केंद्र सरकार ने मनरेगा के बजट को भी काट दिया है। जब मजदूरों को 100 दिन का रोजगार नहीं मिल पा रहा है तो क्या मनरेगा का नाम बदलने से लोगों को 125 दिन का रोजगार मिल सकेगा। केंद्र सरकार के मुताबिक हरियाणा को केंद्र ने 2020-21 में 764.55 करोड़ रुपये जारी किए जो 2021-22 में घटकर 723.73 करोड़ रुपये हो गए। 2022-23 में यह राशि घटकर आधे यानी 373.99 करोड़ रुपये रह गई। 2023-24 में आवंटन बढ़कर 477.97 करोड़ रुपये और 2024-25 में 590.19 करोड़ रुपये हो गया। यानी 2020-21 व 2024-25 की तुलना में 174 करोड़ रुपये की कमी आई है।
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दूसरे राज्यों के मुकाबले बजट भी कम
मनरेगा के तहत आवंटित होने वाला बजट भी दूसरे राज्यों के मुकाबले हरियाणा को कम मिला है। केंद्र सरकार के मुताबिक तीन दिसंबर 2025 तक असम को 1508 करोड़, हरियाणा को 432 करोड़, हिमाचल को 814 करोड़, जम्मू कश्मीर को 1068 करोड़, झारखंड को 2571 करोड़, कर्नाटक को 2989 करोड़, मणिपुर में 917 करोड़ रुपये बजट आवंटित किया गया है। इस पर भी विपक्ष ने सवाल उठाया है कि हरियाणा से छोटे राज्यों को भी ज्यादा बजट मिला है और हरियाणा की अनदेखी की गई है। अधिनियम में जिन श्रमिकों को 100 दिन का रोजगार नहीं मिलता है उन्हें बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान भी है लेकिन पांच साल में एक भी श्रमिक को यह भत्ता नहीं मिला। इसके अलावा भुगतान में विलंब पर भी मुआवजे का प्रावधान है मगर इस बारे में केंद्र सरकार की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई।
मंत्री बोले- बेरोजगारी भत्ते के भुगतान का ब्योरा नहीं है
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान के मुताबिक मनरेगा एक मांग आधारित मजदूरी रोजगार योजना है। इस अधिनियम के अनुसार प्रत्येक पात्र ग्रामीण परिवार को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की मजदूरी रोजगार प्राप्त करने का अधिकार है। यदि राज्य सरकार निर्धारित समयावधि के भीतर रोजगार प्रदान करने में विफल रहती है तो अधिनियम के तहत बेरोजगारी भत्ता भी दिया जाता है हालांकि पिछले पांच सालों के दौरान भुगतान का ब्योरा नहीं है।