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High Court:ये कैसी याचिका... विधवाओं के लिए करवाचौथ की कर दी मांग... हाईकोर्ट ने सिखाया सबक, ठोक दिया जुर्माना

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: अंकेश ठाकुर Updated Fri, 24 Jan 2025 11:32 AM IST
सार

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक ऐसी याचिका लगा दी गई, जिसमें विधवाओं के लिए भी करवाचौथ की मांग कर दी गई। याची ने करवाचौथ को उत्सव घोषित करने और इसे विधवा, तलाकशुदा या सहमति संबंध में रहने वाली महिलाओं के लिए भी अनिवार्य बनाने की अजीब मांग कर दी।

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Punjab Haryana High Court imposes fine on petitioner demanding Karva Chauth for widows
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मान्यता यह है कि करवाचौथ सुहागिनों का पर्व है। सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं। दिनभर बिना कुछ खाए और पिए निर्जला उपवास रखती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने वाला और प्यार-विश्वास, सुख बढ़ाने वाला पर्व है।

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वहीं, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक ऐसी याचिका लगा दी गई, जिसमें विधवाओं के लिए भी करवाचौथ की मांग कर दी गई। याची ने करवाचौथ को उत्सव घोषित करने और इसे विधवा, तलाकशुदा या सहमति संबंध में रहने वाली महिलाओं के लिए भी अनिवार्य बनाने की अजीब मांग कर दी। इस याचिका को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज तो किया ही वहीं याची को सबक सिखाते हुए उसपर जुर्माना भी ठोक दिया। अदालत ने याची पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।
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दंड के प्रावधान की भी की थी मांग 
याचिका दाखिल करते हुए पंचकूला निवासी नरेंद्र कुमार मल्होत्रा ने हाईकोर्ट से अपील की कि करवाचौथ को उत्सव घोषित किया जाए। याची ने हाईकोर्ट से अपील की कि केंद्र सरकार को आदेश दिया जाए कि विधवा, तलाकशुदा या सहमति संबंध में रहने वाली महिलाओं को इसमें शामिल किया जाए। समाज का कोई भी वर्ग यदि इसका विरोध करता है तो इसे अपराध मानते हुए दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए। 

याची ने हमारा बहुत कीमती समय बर्बाद किया- हाईकोर्ट
याची ने कहा कि इसके लिए कानून बनाने का केंद्र सरकार को आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक सामाजिक मुद्दा है, जिसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। कानून बनाना विधायिका का काम है, न्यायपालिका का नहीं। हमारा काम केवल कानून में को भेद-भाव, त्रुटि, अन्याय आदि की स्थिति में नागरिकों के सांविधानिक अधिकारों की रक्षा करना है। याची ने हमारा बहुत कीमती समय बर्बाद किया है, इसके लिए उसे जुर्माना अदा करना होगा। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याची पर 1 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। जुर्माने की राशि याची को पीजीआई पुअर पेशेंट रिलीफ फंड में जमा करवानी होगी।

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