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Hisar News: खून में कमी, खतरे में जिंदगी, एनीमिया का फैलता दायरा
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हिसार। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में अनीमिया के बढ़ते मामले स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं। शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाली यह स्थिति न केवल कमजोरी और थकान बढ़ाती है, बल्कि गंभीर मामलों में दिल व दिमाग तक ऑक्सीजन पहुंचने में बाधा डालकर बड़े जोखिम पैदा कर सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि बदलती जीवनशैली, पोषण की कमी और नियमित स्वास्थ्य जांच से दूरी इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह बन रहे हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के ताजा आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में गर्भवती महिलाओं में अनीमिया की दर 56.45 प्रतिशत, जबकि किशोरियों में 62.26 प्रतिशत दर्ज की गई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और किशोरियों में यह खतरा कई गुना अधिक होता है, क्योंकि इन अवस्थाओं में शरीर को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। समय पर जांच और संतुलित खान-पान से इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
क्या है अनीमिया
अनीमिया तब होता है जब शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है। इससे खून अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाता। इसके कारण चक्कर आना, थकान, सिरदर्द, कमजोरी और सांस फूलना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए और विटामिन बी-12 की कमी इसका मुख्य कारण है। इसके अलावा किडनी-लीवर की बीमारियां और थैलेसीमिया जैसे अनुवांशिक रक्त विकार भी अनीमिया बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं।
महिलाओं और किशोरियों में खतरा अधिक
विशेषज्ञों के अनुसार अत्यधिक मासिक धर्म, गर्भावस्था और बढ़ी पोषण आवश्यकताएं महिलाओं में अनीमिया के खतरे को बढ़ाती हैं। वहीं, किशोरियों में आयरन की कमी से अनियमित मासिक धर्म होता है, जो आगे चलकर गर्भावस्था के दौरान जटिलताएं पैदा कर सकता है। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां नियमित रूप से लेने की सलाह देते हैं, ताकि हीमोग्लोबिन का स्तर संतुलित रहे।
अनीमिया के प्रमुख लक्षण
अनीमिया के शुरुआती संकेतों में पलक के अंदर पीलापन, जीभ का फीकापन या सूजन, होंठों के किनारों पर दरारें, लगातार थकान, चक्कर आना, सिरदर्द और दिल की धड़कन तेज होना शामिल हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ब्लड टेस्ट करवाना जरूरी है।
आयरन बढ़ाने के लिए आहार
आयरन की कमी पूरी करने के लिए विटामिन सी से भरपूर फल जैसे नींबू, संतरा, पपीता, आंवला और तरबूज अत्यंत लाभकारी हैं। इसके अलावा पालक, बथुआ, सरसों का साग, गाजर, लौकी, ज्वार, बाजरा, अनार, सेब, किशमिश और खजूर का सेवन आयरन स्तर बढ़ाने में मदद करता है।
हरी सब्जियों के साथ दूध या डेयरी उत्पादों का सेवन तुरंत न करें, क्योंकि दूध में मौजूद कैल्शियम आयरन के अवशोषण को कम करता है। इसलिए दोनों के सेवन में कम से कम दो घंटे का अंतर रखना चाहिए।
- डॉ. अनिल पंवार, नोडल अधिकारी, अनीमिया प्रोग्राम।
यदि अनीमिया के लक्षण नजर आएं तो अपने खान-पान में सुधार करें और समय रहते नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करवाएं। जागरूकता, संतुलित आहार और समय पर जांच से अनीमिया को काफी हद तक रोका जा सकता है, इसलिए किसी भी लक्षण को हल्के में न लें और समय पर उपचार करवाएं।
- डॉ. तरुण, उप सिविल सर्जन
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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के ताजा आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में गर्भवती महिलाओं में अनीमिया की दर 56.45 प्रतिशत, जबकि किशोरियों में 62.26 प्रतिशत दर्ज की गई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और किशोरियों में यह खतरा कई गुना अधिक होता है, क्योंकि इन अवस्थाओं में शरीर को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। समय पर जांच और संतुलित खान-पान से इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
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क्या है अनीमिया
अनीमिया तब होता है जब शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है। इससे खून अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाता। इसके कारण चक्कर आना, थकान, सिरदर्द, कमजोरी और सांस फूलना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए और विटामिन बी-12 की कमी इसका मुख्य कारण है। इसके अलावा किडनी-लीवर की बीमारियां और थैलेसीमिया जैसे अनुवांशिक रक्त विकार भी अनीमिया बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं।
महिलाओं और किशोरियों में खतरा अधिक
विशेषज्ञों के अनुसार अत्यधिक मासिक धर्म, गर्भावस्था और बढ़ी पोषण आवश्यकताएं महिलाओं में अनीमिया के खतरे को बढ़ाती हैं। वहीं, किशोरियों में आयरन की कमी से अनियमित मासिक धर्म होता है, जो आगे चलकर गर्भावस्था के दौरान जटिलताएं पैदा कर सकता है। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां नियमित रूप से लेने की सलाह देते हैं, ताकि हीमोग्लोबिन का स्तर संतुलित रहे।
अनीमिया के प्रमुख लक्षण
अनीमिया के शुरुआती संकेतों में पलक के अंदर पीलापन, जीभ का फीकापन या सूजन, होंठों के किनारों पर दरारें, लगातार थकान, चक्कर आना, सिरदर्द और दिल की धड़कन तेज होना शामिल हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ब्लड टेस्ट करवाना जरूरी है।
आयरन बढ़ाने के लिए आहार
आयरन की कमी पूरी करने के लिए विटामिन सी से भरपूर फल जैसे नींबू, संतरा, पपीता, आंवला और तरबूज अत्यंत लाभकारी हैं। इसके अलावा पालक, बथुआ, सरसों का साग, गाजर, लौकी, ज्वार, बाजरा, अनार, सेब, किशमिश और खजूर का सेवन आयरन स्तर बढ़ाने में मदद करता है।
हरी सब्जियों के साथ दूध या डेयरी उत्पादों का सेवन तुरंत न करें, क्योंकि दूध में मौजूद कैल्शियम आयरन के अवशोषण को कम करता है। इसलिए दोनों के सेवन में कम से कम दो घंटे का अंतर रखना चाहिए।
- डॉ. अनिल पंवार, नोडल अधिकारी, अनीमिया प्रोग्राम।
यदि अनीमिया के लक्षण नजर आएं तो अपने खान-पान में सुधार करें और समय रहते नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करवाएं। जागरूकता, संतुलित आहार और समय पर जांच से अनीमिया को काफी हद तक रोका जा सकता है, इसलिए किसी भी लक्षण को हल्के में न लें और समय पर उपचार करवाएं।
- डॉ. तरुण, उप सिविल सर्जन