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देश के लिए कुर्बानी: भारत माता की जय के नारों से गूंजा गांव जाजनवाला, नायक अमरजीत का अंतिम संस्कार, हर आंख नम
संवाद न्यूज एजेंसी, नरवाना
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Tue, 04 Nov 2025 08:35 PM IST
सार
अमरजीत पुत्र रमेश कुमार का जन्म 11 मार्च 1996 को हुआ था। बचपन से ही उनमें देशभक्ति का जज्बा कूट-कूटकर भरा था। स्कूल के दिनों में एनसीसी कैडर से जुड़ने के बाद ही उन्होंने सैनिक बनने का संकल्प लिया।
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नायक अमरजीत का अंतिम संस्कार
- फोटो : संवाद
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विस्तार
नरवाना उपमंडल के गांव जाजनवाला का लाल अमरजीत अपने कर्तव्य का पालन करते हुए देश पर कुर्बान हो गया। राइफल की सफाई के दौरान चली गोली से घायल हुए अमरजीत ने इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। जैसे ही यह खबर गांव पहुंची, पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। हर कोई स्तब्ध था, किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि उनका लाडला बेटा अब लौटकर नहीं आएगा।
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एनसीसी से शुरू हुआ था सैनिक बनने का सफर
परिवार के अनुसार, अमरजीत पुत्र रमेश कुमार का जन्म 11 मार्च 1996 को हुआ था। बचपन से ही उनमें देशभक्ति का जज्बा कूट-कूटकर भरा था। स्कूल के दिनों में एनसीसी कैडर से जुड़ने के बाद ही उन्होंने सैनिक बनने का संकल्प लिया। 12वीं पास करने के बाद आईटीआई की पढ़ाई पूरी की और 23 सितंबर 2015 को भारतीय सेना में भर्ती होकर अपने जीवन का सपना साकार किया। वर्तमान में वे 7 जाट बटालियन में पोस्ट नायक के पद पर तैनात थे और जम्मू-कश्मीर के पूंछ सेक्टर में देश की सेवा कर रहे थे। अमरजीत का परिवार एक साधारण किसान परिवार है। पिता रमेश कुमार खेती करते हैं। बड़े भाई बलिंद्र निजी अस्पताल में कार्यरत हैं, जबकि बहन कविता का विवाह हो चुका है। बहनोई रामदिया भी भारतीय सेना में हैं। तीनों भाई-बहनों में अमरजीत सबसे छोटे और परिवार के सबसे प्यारे थे।
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अब दो दिन बाद बात होगी और फिर आई शहादत की खबर
करीब एक माह पहले ही अमरजीत घर आए थे। उन्होंने परिवार से कहा था कि दिल्ली से आर्मी की डाक लेने आए हैं, इसलिए थोड़े समय के लिए मिलने आ गए। उस एक दिन में उन्होंने अपनी सात महीने की बेटी को भी पहली बार गोद में उठाया था। परिवार ने तब क्या जाना था कि यह उनकी आखिरी मुलाकात होगी। घटना से दो दिन पहले अमरजीत ने घर पर फोन किया था और कहा था अब दो दिन तक मोबाइल जमा रहेंगे, फिर बात करेंगे। लेकिन दो दिन बाद आई सूचना ने सबको तोड़ दिया। सेना की तरफ से उन्हें बताया गया कि राइफल की सफाई के दौरान दुर्घटनावश गोली चल गई और अमरजीत गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
युवाओं को सेना भर्ती की देते थे प्रेरणा
अमरजीत न केवल एक सैनिक थे, बल्कि गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा भी थे। उनके ताऊ के बेटे टेकराम ने बताया, जब भी अमरजीत गांव आते, तो फौज में जाने की तैयारी कर रहे युवाओं को दौड़, डाइट और एक्सरसाइज के टिप्स देते थे। कहते थे मेहनत करो, फौज में जाने का सपना जरूर पूरा होगा।
सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई
मंगलवार को शहीद अमरजीत का पार्थिव शरीर जब सेना के जवानों द्वारा गांव लाया गया, तो वातावरण ‘भारत माता की जय’ और ‘अमर शहीद अमरजीत अमर रहें’ के नारों से गूंज उठा। एसडीएम जगदीश चंद्र, डीएसपी कमलदीप राणा और नायब तहसीलदार रणवीर सिंह सहित कई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। एसडीएम ने शहीद को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और परिवार को सांत्वना दी। उन्होंने कहा-अमरजीत जैसे वीर जवानों की वजह से ही देश की सीमाएं सुरक्षित हैं। उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। शहीद अमरजीत का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। पिता रमेश कुमार ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से बेटे को मुखाग्नि दी। पूरे गांव ने मौन धारण कर अपने वीर सपूत को अंतिम विदाई दी।
परिवार का गर्व और दर्द
शहीद की पत्नी प्रियंका और माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल था, पर गर्व भी था कि उनके बेटे ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए। गांववासियों ने कहा, अमरजीत हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे- एक सच्चे सैनिक, एक सच्चे देशभक्त के रूप में।
शहीद अमरजीत का परिचय
- नाम–अमरजीत पुत्र रमेश कुमार
- गांव–जाजनवाला (नरवाना उपमंडल)
- जन्म–11 मार्च 1996
- सेना में भर्ती: 23 सितंबर 2015
- बटालियन–7 जाट रेजिमेंट
- पद–पोस्ट नायक
- .तैनाती स्थान– पूंछ सेक्टर, जम्मू-कश्मीर
- परिवार– पत्नी प्रियंका, सात माह की बेटी, माता-पिता, एक भाई व एक बहन