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Kaithal News: बाहर से आए लोग कर रहे काम, सत्यापन नहीं
संवाद न्यूज एजेंसी, कैथल
Updated Sun, 21 Dec 2025 12:54 AM IST
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संवाद न्यूज एजेंसी
कैथल। जिले में दूसरे राज्यों से आकर काम कर रहे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है—कोई उद्योगों में नौकरी कर रहा है, तो कोई रेहड़ी-फड़ी या अन्य छोटा व्यवसाय चला रहा है। लेकिन इन लोगों की पुलिस सत्यापन को लेकर प्रशासन के पास कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। पुलिस समय-समय पर मकान मालिकों व नियोक्ताओं को वेरिफिकेशन करवाने के निर्देश तो जारी करती है, लेकिन ज्यादातर लोग इस प्रक्रिया का पालन नहीं करते।
शहर के सामाजिक संगठनों व जागरूक नागरिकों ने मांग उठाई है कि प्रवासियों के सत्यापन अनिवार्य रूप से करवाए जाएं। उनका कहना है कि किराएदारों और रेहड़ी-फड़ी लगाने वाले कई लोगों के बारे में सही जानकारी नहीं होती—न यह पता होता है कि वे कहां से आए हैं और न ही उनकी पहचान पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज होती है। ऐसी स्थिति में सुरक्षा जोखिम बढ़ जाते हैं।
दिल्ली में हाल ही हुए वाहन धमाके के बाद जिला पुलिस सतर्क मोड पर रही। शहर के प्रमुख चौकों पर निगरानी बढ़ाई गई और वाहनों की चेकिंग भी तेज कर दी गई है। बावजूद इसके कई बार संदेह की वजह से लोगों में डर का माहौल भी पैदा हो जाता है।
पुलिस के हैं पहले से निर्देश ः थाना प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं कि कॉलोनियों व सोसाइटियों में रहने वाले संदिग्ध व्यक्तियों की जानकारी एकत्रित की जाए। इसमें किराएदारों, नए आए लोगों, असामाजिक गतिविधियों में लिप्त लोगों और संदिग्ध हरकत करने वालों का रिकॉर्ड जुटाना शामिल है।
गौरतलब है कि मकानों के किराएदारों की पुलिस वेरिफिकेशन, पहचान पत्र और पिछले रिकॉर्ड की जांच अनिवार्य की गई है। इसके अलावा कंपनियों, होटलों, गेस्ट हाउस और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले लोगों की भी वेरिफिकेशन कराने के निर्देश जारी किए गए हैं।
ये कहते हैं शहरवासी
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समाजसेवी प्रवेश बंसल ने बताया कि कुछ दिन पहले उनके घर के पास जम्मू नंबर की एक संदिग्ध कार खड़ी मिली थी। सूचना देने पर पुलिस मौके पर पहुंची। बाद में पता चला कि वह कार सामान बेचने वाले व्यक्ति द्वारा खड़ी की गई थी। बंसल ने कहा कि ऐसे मामलों में गंभीर खतरे की आशंका रहती है।
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अशोक भारती ने कहा कि दूसरे राज्यों से आकर बसे लोगों का सत्यापन बेहद जरूरी है। इससे ऐसे लोगों में भी यह भय रहेगा कि पुलिस के पास उनका रिकॉर्ड है और किसी संदिग्ध गतिविधि की स्थिति में पुलिस शीघ्रता से पहचान कर सकेगी।
किराए पर घर देने से पहले मकान मालिक अपने किराएदार का पूरा नाम, पता और मोबाइल नंबर दर्ज करें। इसके बाद स्थानीय पुलिस से वेरिफिकेशन अवश्य करवाएं। यदि किसी किराएदार या नौकर की वेरिफिकेशन नहीं करवाई गई और वह किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल पाया गया, तो मकान मालिक के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। -उपासना, पुलिस अधीक्षक।
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कैथल। जिले में दूसरे राज्यों से आकर काम कर रहे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है—कोई उद्योगों में नौकरी कर रहा है, तो कोई रेहड़ी-फड़ी या अन्य छोटा व्यवसाय चला रहा है। लेकिन इन लोगों की पुलिस सत्यापन को लेकर प्रशासन के पास कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। पुलिस समय-समय पर मकान मालिकों व नियोक्ताओं को वेरिफिकेशन करवाने के निर्देश तो जारी करती है, लेकिन ज्यादातर लोग इस प्रक्रिया का पालन नहीं करते।
शहर के सामाजिक संगठनों व जागरूक नागरिकों ने मांग उठाई है कि प्रवासियों के सत्यापन अनिवार्य रूप से करवाए जाएं। उनका कहना है कि किराएदारों और रेहड़ी-फड़ी लगाने वाले कई लोगों के बारे में सही जानकारी नहीं होती—न यह पता होता है कि वे कहां से आए हैं और न ही उनकी पहचान पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज होती है। ऐसी स्थिति में सुरक्षा जोखिम बढ़ जाते हैं।
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दिल्ली में हाल ही हुए वाहन धमाके के बाद जिला पुलिस सतर्क मोड पर रही। शहर के प्रमुख चौकों पर निगरानी बढ़ाई गई और वाहनों की चेकिंग भी तेज कर दी गई है। बावजूद इसके कई बार संदेह की वजह से लोगों में डर का माहौल भी पैदा हो जाता है।
पुलिस के हैं पहले से निर्देश ः थाना प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं कि कॉलोनियों व सोसाइटियों में रहने वाले संदिग्ध व्यक्तियों की जानकारी एकत्रित की जाए। इसमें किराएदारों, नए आए लोगों, असामाजिक गतिविधियों में लिप्त लोगों और संदिग्ध हरकत करने वालों का रिकॉर्ड जुटाना शामिल है।
गौरतलब है कि मकानों के किराएदारों की पुलिस वेरिफिकेशन, पहचान पत्र और पिछले रिकॉर्ड की जांच अनिवार्य की गई है। इसके अलावा कंपनियों, होटलों, गेस्ट हाउस और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले लोगों की भी वेरिफिकेशन कराने के निर्देश जारी किए गए हैं।
ये कहते हैं शहरवासी
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समाजसेवी प्रवेश बंसल ने बताया कि कुछ दिन पहले उनके घर के पास जम्मू नंबर की एक संदिग्ध कार खड़ी मिली थी। सूचना देने पर पुलिस मौके पर पहुंची। बाद में पता चला कि वह कार सामान बेचने वाले व्यक्ति द्वारा खड़ी की गई थी। बंसल ने कहा कि ऐसे मामलों में गंभीर खतरे की आशंका रहती है।
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अशोक भारती ने कहा कि दूसरे राज्यों से आकर बसे लोगों का सत्यापन बेहद जरूरी है। इससे ऐसे लोगों में भी यह भय रहेगा कि पुलिस के पास उनका रिकॉर्ड है और किसी संदिग्ध गतिविधि की स्थिति में पुलिस शीघ्रता से पहचान कर सकेगी।
किराए पर घर देने से पहले मकान मालिक अपने किराएदार का पूरा नाम, पता और मोबाइल नंबर दर्ज करें। इसके बाद स्थानीय पुलिस से वेरिफिकेशन अवश्य करवाएं। यदि किसी किराएदार या नौकर की वेरिफिकेशन नहीं करवाई गई और वह किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल पाया गया, तो मकान मालिक के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। -उपासना, पुलिस अधीक्षक।