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Kaithal News: संतोख माजरा गांव में आजादी से पहले का है चर्च

संवाद न्यूज एजेंसी, कैथल Updated Sun, 21 Dec 2025 12:51 AM IST
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There is a pre-independence church in Santokh Majra village.
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संवाद न्यूज एजेंसी
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राजौंद/कैथल। संतोख माजरा गांव में 25 दिसंबर को क्रिसमस-डे के पर्व को लेकर चर्च सजाने का कार्य शुरू हो गया है। यह आजादी से पहले का चर्च है। करीब 200 साल पहले अंग्रेज शासकों ने इस गांव में विश्राम गृह बनवाया था।

गांव के पूर्व सरपंच और चर्च कमेटी के सचिव जोसफदास तथा पादरी आशीष एलफरेड ने बताया कि यह गांव लगभगदो शताब्दी पुराना है। गांव में पहले एक छोटा चर्च हुआ करता था, लेकिन 1953-54 में राजौंद-कोटड़ा मार्ग के पास वर्तमान चर्च की स्थापना की गई। पहले यह एक छोटा चर्च था, जो वर्तमान में कैथल जिले और क्षेत्र का सबसे बड़ा चर्च बन गया है। उन्होंने बताया कि चर्च के नाम 25 एकड़ जमीन है, जबकि पंचायत के पास 28 एकड़ कृषि भूमि है।
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पादरी आशीष एलफरेड ने बताया कि हर वर्ष क्रिसमस-डे धूमधाम से मनाया जाता है। विदेशों में रहने वाले ग्रामीण भी अपने पैतृक गांव लौटकर प्रार्थना में हिस्सा लेते हैं। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर कैरोल सिंगिंग और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बच्चों द्वारा घर-घर जाकर प्रार्थना और भगवान यीशु के जन्मदिन की बधाई देना इस पर्व की खास परंपरा है।

क्रिसमस पर होते हैं सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रम

क्रिसमस-डे को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। आसपास के असंध, कैथल और गांव बस्सी से भी बड़ी संख्या में लोग इस पर्व में शामिल होते हैं। क्रिसमस-डे की पूर्व संध्या पर चर्च में बच्चे रंगबिरंगी पोशाकें पहनकर सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।

उपलब्धि ः गांव को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से निर्मल पुरस्कार मिल चुका है और जल संरक्षण के लिए जिले में यह प्रथम पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।
दिल्ली से होता है संचालन

गांव के चर्च ऑफ नार्दर्न इंडिया (सीएनआई) के सचिव जोसेफ दास ने बताया कि चर्च का पूरा संचालन डायसेस ऑफ दिल्ली से होता है। वहीं से पादरी की नियुक्ति की जाती है, जो कि वैतनिक होते हैं। एक चर्च में तीन साल तक उनका कार्यकाल रहता है और उसके बाद तबादला कर दिया जाता है। पादरी के लिए गांव में एक कोठी बनाई गई है। साल में दो बार दिल्ली से प्रतिनिधिमंडल आकर यहां दौरा करता है और मुंबई स्थित सीनेट से भी समय-समय पर व्यवस्था की देखभाल के लिए टीम आती है।
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