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सरकारी जमीन घोटाला: नायब तहसीलदार, सरपंच सहित 13 को सात साल की सजा, कोर्ट ने सुनाया फैसला
माई सिटी रिपोर्टर, करनाल
Published by: शाहिल शर्मा
Updated Sat, 20 Dec 2025 09:32 PM IST
सार
बहुचर्चित सरकारी भूमि घोटाले में 12 साल बाद अदालत ने नायब तहसीलदार समेत 13 दोषियों 7 वर्ष की साधारण कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में अतिरिक्त कैद भी भुगतनी होगी।
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सरकारी जमीन घोटाले में कोर्ट का फैसला
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मॉडल गांव अरजाहेड़ी के बहुचर्चित सरकारी भूमि घोटाले में 12 साल बाद अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए नायब तहसीलदार समेत 13 दोषियों को 5 से 7 वर्ष की साधारण कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक दोषी पर 40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। दोषियों में तत्कालीन सरपंच, सरपंच प्रतिनिधि, बीडीपीओ, नायब तहसीलदार, नंबरदार, दस्तावेज लेखक, प्रॉपर्टी डीलर और निजी व्यक्ति भी शामिल हैं। अदालत ने आदेश दिया कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी और जांच व ट्रायल के दौरान जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित किया जाएगा।
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जुर्माना अदा न करने की स्थिति में अतिरिक्त कैद भी भुगतनी होगी। कोर्ट ने कहा कि साजिश पंचायत स्तर से लेकर राजस्व और दस्तावेजी प्रक्रिया से जुड़े लोगों की मिलीभगत से रची गई थी। इस मामले में जिन 13 लोगों को दोषी ठहराया गया उनमें जय सिंह, ईश्वरी देवी, हरीश कुमार, कुलजीत सिंह डाहिया, करमबीर उर्फ करमवीर, राजेंद्र पाल, ईश्वर सिंह पुत्र दीप चंद, करम सिंह, जसपाल, डालेल सिंह, देश राज, ईश्वर सिंह नंबरदार और राज कुमार उर्फ राजू के नाम शामिल हैं।
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दोषियों पर सरकारी जमीन हड़पने, फर्जी दस्तावेज बनाने और रिकॉर्ड में हेरा-फेरी करने के आरोप सिद्ध होने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट खुशबू गोयल की अदालत ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि सरकारी जमीन से जुड़े घोटाले विकास को बाधित करते हैं। आम लोगों और निवेशकों का भरोसा तोड़ते हैं और समाज में अराजकता को जन्म देते हैं। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि ऐसे अपराधों पर कठोर दंड ही प्रभावी रोक साबित हो सकता है। कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी दोषियों से कुल 5 लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।
अदालत ने इसे राज्य को हुए नुकसान की आंशिक भरपाई के रूप में माना है। सजा के वारंट तुरंत तैयार करने और दोषियों को फैसले की प्रति निशुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए गए। पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमृतपाल सिंह ने बताया कि इस पूरे मामले में कुल 16 लोगों में से दो आरोपियों रामप्रसाद और नानकी देवी की मृत्यु हो चुकी है, जबकि एक आरोपी पृक्षित फरार है जिसे पीओ घोषित किया जा चुका है। शेष 13 दोषियों को अदालत ने सजा सुनाई है।
ये था पूरा घोटाला
अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार करनाल के मॉडल गांव अरजाहेड़ी गांव में सरकारी जमीन को निजी बताकर उस पर अवैध कब्जा कराने की साजिश रची गई थी। इसके लिए फर्जी आवंटन पत्र तैयार किए गए, झूठे खरीद-फरोख्त के दस्तावेज बनाए गए और सरकारी रिकॉर्ड में अवैध तरीके से बदलाव किए गए। जांच में यह साफ हुआ कि यह कोई साधारण गलती नहीं, बल्कि सुनियोजित आपराधिक साजिश थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि देश में भूमि घोटाले लगातार बढ़ती गंभीर समस्या है। सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ और फर्जीवाड़े के जरिए जमीन हड़पना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर भी सीधा हमला है।
अदालत ने इसे राज्य को हुए नुकसान की आंशिक भरपाई के रूप में माना है। सजा के वारंट तुरंत तैयार करने और दोषियों को फैसले की प्रति निशुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए गए। पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमृतपाल सिंह ने बताया कि इस पूरे मामले में कुल 16 लोगों में से दो आरोपियों रामप्रसाद और नानकी देवी की मृत्यु हो चुकी है, जबकि एक आरोपी पृक्षित फरार है जिसे पीओ घोषित किया जा चुका है। शेष 13 दोषियों को अदालत ने सजा सुनाई है।
ये था पूरा घोटाला
अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार करनाल के मॉडल गांव अरजाहेड़ी गांव में सरकारी जमीन को निजी बताकर उस पर अवैध कब्जा कराने की साजिश रची गई थी। इसके लिए फर्जी आवंटन पत्र तैयार किए गए, झूठे खरीद-फरोख्त के दस्तावेज बनाए गए और सरकारी रिकॉर्ड में अवैध तरीके से बदलाव किए गए। जांच में यह साफ हुआ कि यह कोई साधारण गलती नहीं, बल्कि सुनियोजित आपराधिक साजिश थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि देश में भूमि घोटाले लगातार बढ़ती गंभीर समस्या है। सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ और फर्जीवाड़े के जरिए जमीन हड़पना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर भी सीधा हमला है।