{"_id":"693f16fa86be84f5160914f6","slug":"brainstorming-on-saving-the-maize-crop-kurukshetra-news-c-45-1-kur1007-146944-2025-12-15","type":"story","status":"publish","title_hn":"Kurukshetra News: मक्का की फसल को बचाने पर किया मंथन","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Kurukshetra News: मक्का की फसल को बचाने पर किया मंथन
विज्ञापन
कुरुक्षेत्र। कार्यशाला के दौरान मौजूद किसानों के साथ मुख्य अतिथि। विज्ञप्ति
विज्ञापन
शाहाबाद। रामनगर स्थित एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र के सभागार में क्रॉप लाइफ इंडिया की ओर से मक्का की फसल में फॉल आर्मीवर्म के सतत प्रबंधन के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में क्षेत्र के लगभग 100 मक्का उत्पादक किसानों के साथ विभिन्न कृषि कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसका मुख्य उद्देश्य फॉल आर्मीवर्म जैसे खतरनाक कीट से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए किसानों को वैज्ञानिक, सुरक्षित और दीर्घकालिक उपायों की जानकारी देना रहा।
मुख्य अतिथि हरियाणा बागवानी विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सत्येंद्र यादव रहे जबकि अध्यक्षता कृषि विभाग के उप-निदेशक डॉ. रमेश कुमार ने की। विशिष्ट अतिथियों में कृषि विभाग कुरुक्षेत्र के उप-निदेशक डॉ. कर्मचंद, कृषि वैज्ञानिक डॉ. महा सिंह, क्रॉप लाइफ इंडिया के सदस्य डॉ. सुशील पांडे और मैनेजर डॉ. सुरेंद्र कुमार शामिल रहे।
क्रॉप लाइफ इंडिया के सदस्य डॉ. सुशील पांडे ने एकीकृत कीट प्रबंधन पर जानकारी देते हुए बताया कि फॉल आर्मीवर्म के प्रभावी नियंत्रण के लिए कीटनाशक प्रतिरोध प्रबंधन, जैविक नियंत्रण, फेरोमोन ट्रैप और आवश्यकता आधारित रासायनिक उपायों का संतुलित उपयोग जरूरी है। उन्होंने किसानों से वैज्ञानिक अनुशंसाओं का पालन करने का आह्वान किया। मुख्य अतिथि डॉ. सत्येंद्र यादव ने कहा कि फॉल आर्मीवर्म मक्का की फसल के लिए अत्यंत घातक कीट है, जो प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों को नुकसान पहुंचाकर फसल की बढ़वार रोक देता है। उन्होंने फसल चक्र अपनाने और मौसम शुरू होने से पहले कीट प्रबंधन की ठोस योजना बनाने की सलाह दी।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. महा सिंह ने कीट की पहचान बताते हुए कहा कि फॉल आर्मीवर्म के सिर पर उल्टे वाई आकार की सफेद संरचना इसकी प्रमुख पहचान है। समय पर फेरोमोन ट्रैप लगाने और उचित कीटनाशकों के प्रयोग से इसके प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है। डॉ. कर्मचंद ने नियमित खेत निरीक्षण, बीज उपचार और फेरोमोन ट्रैप के उपयोग पर जोर दिया। वहीं अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. रमेश कुमार ने कहा कि लार्वा अवस्था में ही नियंत्रण उपाय अपनाने से इस कीट पर प्रभावी रोक संभव है। कार्यक्रम में विभिन्न गांवों से आए किसानों और प्रशासनिक अधिकारियों ने सक्रिय भागीदारी की।
Trending Videos
मुख्य अतिथि हरियाणा बागवानी विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सत्येंद्र यादव रहे जबकि अध्यक्षता कृषि विभाग के उप-निदेशक डॉ. रमेश कुमार ने की। विशिष्ट अतिथियों में कृषि विभाग कुरुक्षेत्र के उप-निदेशक डॉ. कर्मचंद, कृषि वैज्ञानिक डॉ. महा सिंह, क्रॉप लाइफ इंडिया के सदस्य डॉ. सुशील पांडे और मैनेजर डॉ. सुरेंद्र कुमार शामिल रहे।
विज्ञापन
विज्ञापन
क्रॉप लाइफ इंडिया के सदस्य डॉ. सुशील पांडे ने एकीकृत कीट प्रबंधन पर जानकारी देते हुए बताया कि फॉल आर्मीवर्म के प्रभावी नियंत्रण के लिए कीटनाशक प्रतिरोध प्रबंधन, जैविक नियंत्रण, फेरोमोन ट्रैप और आवश्यकता आधारित रासायनिक उपायों का संतुलित उपयोग जरूरी है। उन्होंने किसानों से वैज्ञानिक अनुशंसाओं का पालन करने का आह्वान किया। मुख्य अतिथि डॉ. सत्येंद्र यादव ने कहा कि फॉल आर्मीवर्म मक्का की फसल के लिए अत्यंत घातक कीट है, जो प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों को नुकसान पहुंचाकर फसल की बढ़वार रोक देता है। उन्होंने फसल चक्र अपनाने और मौसम शुरू होने से पहले कीट प्रबंधन की ठोस योजना बनाने की सलाह दी।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. महा सिंह ने कीट की पहचान बताते हुए कहा कि फॉल आर्मीवर्म के सिर पर उल्टे वाई आकार की सफेद संरचना इसकी प्रमुख पहचान है। समय पर फेरोमोन ट्रैप लगाने और उचित कीटनाशकों के प्रयोग से इसके प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है। डॉ. कर्मचंद ने नियमित खेत निरीक्षण, बीज उपचार और फेरोमोन ट्रैप के उपयोग पर जोर दिया। वहीं अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. रमेश कुमार ने कहा कि लार्वा अवस्था में ही नियंत्रण उपाय अपनाने से इस कीट पर प्रभावी रोक संभव है। कार्यक्रम में विभिन्न गांवों से आए किसानों और प्रशासनिक अधिकारियों ने सक्रिय भागीदारी की।

कुरुक्षेत्र। कार्यशाला के दौरान मौजूद किसानों के साथ मुख्य अतिथि। विज्ञप्ति