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Kurukshetra News: कागजों में कैद साइक्लिंग वेलोड्रम, सड़कों पर जोखिम उठाने को मजबूर खिलाड़ी
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कुरुक्षेत्र। पिहोवा हाईवे पर अभ्यास करते खिलाड़ी। स्वयं
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कुरुक्षेत्र। पिछले करीब एक दशक से फाइलों के बीच घूम रहा साइक्लिंग वेलोड्रम आज तक धरातल पर नहीं उतर पाया है। कभी चर्चाओं में तेजी आती है, तो कभी मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। वेलोड्रम न बनने के कारण खिलाड़ियों को अपनी जान जोखिम में डालकर व्यस्त सड़कों पर वाहनों के बीच अभ्यास करना पड़ रहा है जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
जिले में दो साइक्लिंग नर्सरी और एक अकादमी है जिसमें 75 खिलाड़ी अभ्यासरत हैं। इसी के साथ जिले में करीब 40 राष्ट्रीय और छह अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं जोकि सड़कों पर अभ्यास करने को विवश हैं। प्रतियोगिताओं का आयोजन भी पंजाब और अन्य राज्यों या फिर खेल मैदान के उबड़-खाबड़ ट्रैक पर ही करना पड़ रहा है। ऐसे में तेज रफ्तार में साइक्लिस्ट को गिरने का खतरा बना रहता है। वेलोड्रम की कमी के चलते न केवल नियमित अभ्यास प्रभावित हो रहा है बल्कि राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं और ट्रायल के लिए भी खिलाड़ियों के लिए बाहर जाना मजबूरी बन गई है। खिलाड़ियों का कहना है कि वेलोड्रम का निर्माण जल्द होना चाहिए।
बॉक्स
वेलोड्रम निर्माण के लिए वर्ष 2015 में पहले उमरी और फिर दयालपुर पंचायत ने इसके लिए जमीन देने के प्रस्ताव पास किए। इसके बाद थानेसर के तत्कालीन विधायक सुभाष सुधा ने गांव पलवल और फिर द्रोणाचार्य स्टेडियम के पास जमीन पर वेलोड्रम बनाने का प्रयास किया लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। बाद में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय परिसर में जगह तय कर फाइलें तैयार की गईं। तत्कालीन खेल मंत्री अनिल विज ने भी इसमें रुचि दिखाते हुए जल्द निर्माण के निर्देश दिए लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ पाया। 2019 के बाद खेल मंत्री बदलने के साथ फाइलों का चंडीगढ़ आना-जाना जारी रहा। आखिरकार मई 2023 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद की बैठक में किरमिच रोड के साथ लगती पांच एकड़ से अधिक जमीन खेल विभाग को सौंपने का प्रस्ताव पास हुआ। जमीन सौंपे जाने के करीब दो साल बाद भी निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
दस्तावेजी कार्य अंतिम चरण में
जिला खेल अधिकारी मनोज कुमार का कहना है कि साइक्लिंग वेलोड्रम के निर्माण से जुड़े दस्तावेजी कार्य अंतिम चरण में हैं और प्रक्रिया पूरी होते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
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जिले में दो साइक्लिंग नर्सरी और एक अकादमी है जिसमें 75 खिलाड़ी अभ्यासरत हैं। इसी के साथ जिले में करीब 40 राष्ट्रीय और छह अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं जोकि सड़कों पर अभ्यास करने को विवश हैं। प्रतियोगिताओं का आयोजन भी पंजाब और अन्य राज्यों या फिर खेल मैदान के उबड़-खाबड़ ट्रैक पर ही करना पड़ रहा है। ऐसे में तेज रफ्तार में साइक्लिस्ट को गिरने का खतरा बना रहता है। वेलोड्रम की कमी के चलते न केवल नियमित अभ्यास प्रभावित हो रहा है बल्कि राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं और ट्रायल के लिए भी खिलाड़ियों के लिए बाहर जाना मजबूरी बन गई है। खिलाड़ियों का कहना है कि वेलोड्रम का निर्माण जल्द होना चाहिए।
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वेलोड्रम निर्माण के लिए वर्ष 2015 में पहले उमरी और फिर दयालपुर पंचायत ने इसके लिए जमीन देने के प्रस्ताव पास किए। इसके बाद थानेसर के तत्कालीन विधायक सुभाष सुधा ने गांव पलवल और फिर द्रोणाचार्य स्टेडियम के पास जमीन पर वेलोड्रम बनाने का प्रयास किया लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। बाद में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय परिसर में जगह तय कर फाइलें तैयार की गईं। तत्कालीन खेल मंत्री अनिल विज ने भी इसमें रुचि दिखाते हुए जल्द निर्माण के निर्देश दिए लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ पाया। 2019 के बाद खेल मंत्री बदलने के साथ फाइलों का चंडीगढ़ आना-जाना जारी रहा। आखिरकार मई 2023 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद की बैठक में किरमिच रोड के साथ लगती पांच एकड़ से अधिक जमीन खेल विभाग को सौंपने का प्रस्ताव पास हुआ। जमीन सौंपे जाने के करीब दो साल बाद भी निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
दस्तावेजी कार्य अंतिम चरण में
जिला खेल अधिकारी मनोज कुमार का कहना है कि साइक्लिंग वेलोड्रम के निर्माण से जुड़े दस्तावेजी कार्य अंतिम चरण में हैं और प्रक्रिया पूरी होते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।