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Kurukshetra News: सांझी उत्सव में लोक सांस्कृतिक प्रदर्शनी बनेगी आकर्षण का केंद्र
संवाद न्यूज एजेंसी, कुरुक्षेत्र
Updated Sun, 14 Sep 2025 01:20 AM IST
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संवाद न्यूज एजेंसी
कुरुक्षेत्र। वर्तमान दौर में लोक सांस्कृतिक परंपराएं धीरे-धीरे समाप्ति की ओर अग्रसर हैं। इस दौर में विरासत हेरिटेइन ऑस्ट्रेलिया लोक सांस्कृतिक परंपराओं को जीवंत करने और युवा पीढ़ी से जोडऩे के लिए विशेष प्रयास कर रहा है। इसी कडी में 21 सितंबर से एक अक्टूबर तक पांचवा सांझी उत्सव का आयोजन विरासत जीटी रोड मसाना में किया जाएगा। वहीं पर लोक सांस्कृतिक विषय-वस्तुओं की प्रदर्शनी आने वाले दर्शकों व प्रतिभागियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगी। यह जानकारी विरासत सांझी उत्सव के निदेशक अभिनव पूनिया ने दी।
उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में खेती-बाड़ी की पुरातन वस्तुएं, हरियाणा के परिवहन के साधनों में बैलगाडिय़ां, रेहडू, ठोकर, बैलगाड़ी के साथ-साथ पुरातन रियासतों के बाट, सौ साल पहले पानी देने के लिए प्रयोग की जाने वाली चडस व ढ़ेकली, पुराने समय में प्रयोग किए जाने वाले कांसे व पीतल के बर्तन, कुएं से पानी निकालने के लिए प्रयोग किए जाने वाले डोल, अनाज मापने के लिए प्रयोग किए जाने वाले माप, दूध बिलोने के लिए प्रयोग की जाने वाली रई, पुरानी पीतल की बाल्टियां, पुराने चरखे, विदाई के समय लडक़ी को दी जाने वाली लोक पारंपरिक फुलझड़ी, मिट्टी व लुगदी से बने बोहिए भी प्रदर्शित किए जाएंगे।
अभिनव पूनिया ने बताया कि उत्सव में भाग लेने वाले एवं प्रदर्शनी का अवलोकन करने वाले विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के छात्रों को जहां लोक सांस्कृतिक परंपराओं से जोडऩे के लिए सांझी से संबंधित जानकारी दी जाएगी वहीं पर दूसरी ओर पुरातन विषय-वस्तुओं की लोक सांस्कृतिक प्रदर्शनी उनके लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगी। अभिनव पूनिया ने बताया कि सांझी उत्सव के प्रति महिलाओं में विशेष उत्साह है। विरासत सांझी उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी विशेष आकर्षण का केंद्र होगा।

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उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में खेती-बाड़ी की पुरातन वस्तुएं, हरियाणा के परिवहन के साधनों में बैलगाडिय़ां, रेहडू, ठोकर, बैलगाड़ी के साथ-साथ पुरातन रियासतों के बाट, सौ साल पहले पानी देने के लिए प्रयोग की जाने वाली चडस व ढ़ेकली, पुराने समय में प्रयोग किए जाने वाले कांसे व पीतल के बर्तन, कुएं से पानी निकालने के लिए प्रयोग किए जाने वाले डोल, अनाज मापने के लिए प्रयोग किए जाने वाले माप, दूध बिलोने के लिए प्रयोग की जाने वाली रई, पुरानी पीतल की बाल्टियां, पुराने चरखे, विदाई के समय लडक़ी को दी जाने वाली लोक पारंपरिक फुलझड़ी, मिट्टी व लुगदी से बने बोहिए भी प्रदर्शित किए जाएंगे।
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अभिनव पूनिया ने बताया कि उत्सव में भाग लेने वाले एवं प्रदर्शनी का अवलोकन करने वाले विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के छात्रों को जहां लोक सांस्कृतिक परंपराओं से जोडऩे के लिए सांझी से संबंधित जानकारी दी जाएगी वहीं पर दूसरी ओर पुरातन विषय-वस्तुओं की लोक सांस्कृतिक प्रदर्शनी उनके लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगी। अभिनव पूनिया ने बताया कि सांझी उत्सव के प्रति महिलाओं में विशेष उत्साह है। विरासत सांझी उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी विशेष आकर्षण का केंद्र होगा।