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विलुप्त हो रही देश से लोक संस्कृति व शिल्प कला: जीवंत कर रहा अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव; गदगद हो रहे पर्यटक

संवाद न्यूज एजेंसी, कुरुक्षेत्र (हरियाणा) Published by: नवीन दलाल Updated Thu, 20 Nov 2025 08:33 AM IST
सार

सरस और शिल्प मेले में विभिन्न राज्यों से पहुंचे शिल्पकारों की हाथों की अनोखी कारीगरी से ब्रह्मसरोवर के तट सजे हुए हैं। इस महोत्सव के सरस और शिल्प मेले में इन शिल्पकारों की हाथ की कला को देखकर महोत्सव में आने वाला प्रत्येक पर्यटक आश्चर्यचकित हो रहा है।

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Folk culture and crafts are disappearing from country International Geeta Mahotsav bringing them back to life
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव - फोटो : संवाद
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विस्तार
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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पवित्र ब्रह्मसरोवर पर विलुप्त हो रही लोक संस्कृति एवं शिल्पकला को जीवंत कर रहा है। महोत्सव में विभिन्न राज्यों के कलाकार अपने-अपने राज्य की लोक कला व शिल्प कला को यहां बखूबी प्रदर्शित कर रहे हैं। जहां शिल्पकला से पूरा ब्रह्मसरोवर सजा हुआ है वहीं कलाकारों द्वारा दी जा रही प्रस्तुतियों की गूंज भी दूर तक जा रही है।

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कलाकारों द्वारा उत्तराखंड के छपेली, पंजाब के गटका, हिमाचल प्रदेश के गद्दी नाटी, राजस्थान के बहरुपिए, पंजाब के बाजीगर, राजस्थान के लहंगा नृत्य की प्रस्तुतियों से ब्रह्मसरोवर के घाट गूंज रहे हैं। ऐसे में लोक संस्कृति एवं शिल्प कला के अनोखे संगम को देख पर्यटक भी गदगद हो रहे हैं।
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बुधवार को भी पांचवें दिन भी विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की लोक कला के जमकर रंग बिखेरे। सुबह से शाम तक इन कलाकारों के साथ पर्यटक भी झूमते रहे। कहीं पंजाब के कलाकार तो कहीं हिमाचप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के कलाकार धूम मचाते रहे, जिसके चलते ब्रह्मसरोवर के तट लघु भारत के रूप में दिखाई दिए। सुबह से शाम तक पवित्र ब्रह्मसरोवर देश के विभिन्न राज्यों की लोक कला व शिल्पकला से सराबोर रहा।

कोई कलाकारों संग थिरक रहा तो कोई सेल्फी ले रहा
महोत्सव में जहां कलाकार अपनी-अपनी लोक कलाओं का जादू बिखेर रहे हैं वहीं पर्यटक भी कहीं उनके साथ झूम रहे हैं तो कहीं सेल्फी ले रहे हैं। यहां तक कि विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं को पर्यटक अपने-अपने मोबाइल में भी कैद कर रहे हैं तो इन्हें सोशल मीडिया के जरिए देश-दुनिया के कौने-कौने तक पहुंचा यादगार पल बना रहे हैं।

वर्तमान में प्राचीन कला को जिंदा रखना बड़ी चुनौती
पंजाब से आए कलकार गुरकीरत सिंह, जम्मू से आई ईशा ने बताया कि प्राचीन लोक कला को बचाए रखना बड़ी चुनौती है। बदलते वर्तमान दौर में प्राचीन संस्कृति से दर्शकों को जोड़ना आसान नहीं है लेकिन गीता महोत्सव जैसे मंच मिलने से यह चुनौती कम हुई है। यहां प्रस्तुत की जा रही लोक संस्कृति एक-दूसरे राज्यों तक पहुंच रही है। इससे हर राज्य की लोक संस्कृति का विस्तार पूरे देश तक किए जाने का मौका मिल रहा है। विदेशों की धरती पर भी कलाकार अपनी इस कला को प्रदर्शित करने के प्रयासों में रहते हैं। वेशभूषा से लेकर संगीत, नृत्य, गीत, सभ्यता व संस्कृति सब कुछ यहां प्रदर्शित करने का मौका मिल रहा है।

हस्तशिल्प कला बदल रही ब्रह्मसरोवर की फिजा का रंग
सरस और शिल्प मेले में विभिन्न राज्यों से पहुंचे शिल्पकारों की हाथों की अनोखी कारीगरी से ब्रह्मसरोवर के तट सजे हुए हैं। इस महोत्सव के सरस और शिल्प मेले में इन शिल्पकारों की हाथ की कला को देखकर महोत्सव में आने वाला प्रत्येक पर्यटक आश्चर्यचकित हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के मेले में आए शिल्पकारों ने बताया कि वे अपने साथ सुंदर-सुंदर घर की सज्जा सजावट का सामान अपने साथ लेकर आए हैं।

शिल्पकारों सिराज, अख्तर, रंजन जैन बताते हैं कि यहां अपनी कला का प्रदर्शन कर अदभुत अनुभव होता है। वे अपने साथ बांस से बने घर की सज्जा सजावट का सामान फ्रूट बास्केट, फ्लावर पोर्ट, दीवार सिनरी, कप प्लेट, वॉल हैंगिंग, टेबल लैम्प, बांस से बनी पानी की बोतल इत्यादि सामान लेकर आए है। यह सब सामान वे असम में बांस से बनाते है तथा इस सामान को बनाने के लिए कई लोग काम करते है।

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