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Kurukshetra News: मजदूर अधिकार दिवस पर कुरुक्षेत्र में गरजे मजदूर, लेबर कोड्स और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ किया जोरदार प्रदर्शन
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कुरुक्षेत्र। प्रदर्शन करते भिन्न संगठनों के कर्मचारी। संवाद
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कुरुक्षेत्र। मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के आह्वान पर अखिल भारतीय मजदूर अधिकार दिवस के अवसर पर रविवार को मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया। मजदूर संगठनों ने देवीलाल पार्क से लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निवास तक जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र व प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों, चार श्रम संहिताओं, मनरेगा में बदलाव और निर्माण व सफाई कर्मचारियों की उपेक्षा के खिलाफ प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में जन संघर्ष मंच हरियाणा, निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन, मनरेगा मजदूर यूनियन, मनरेगा मजदूर एकता मंच, हरियाणा ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन और मजदूर संघर्ष संगठन से जुड़े सैकड़ों मजदूरों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री की ओर से ड्यूटी मजिस्ट्रेट अजय कुमार को कर्मचारियों ने ज्ञापन सौंपा। कर्मचारियों ने राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया और मांगों को जल्द पूरा न करने पर बड़ा आंदोलन करने का अल्टीमेटम दिया।
इससे पूर्व देवीलाल पार्क पिपली में आयोजित सभा की अध्यक्षता जन संघर्ष मंच हरियाणा के राज्य प्रधान कॉमरेड फूल सिंह ने की जबकि संचालन मासा की केंद्रीय कोऑर्डिनेटर टीम के सदस्य कॉमरेड सोमनाथ ने किया। सभा को सुरेश कुमार (महासचिव, निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन), नरेश कुमार (राज्य प्रधान, मनरेगा मजदूर यूनियन), कॉमरेड पाल सिंह, डॉ. सुनीता त्यागी, मंच महासचिव सुदेश कुमारी, रीना (ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन) और प्रवेंद्र (मजदूर संघर्ष संगठन) ने संबोधित किया।
कर्मचारियों का कहना है कि मजदूर वर्ग ने समाज का निर्माण किया है लेकिन आज वही वर्ग बदतर हालात में जीने को मजबूर है। एक ओर पूंजीपतियों की संपत्ति तेजी से बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर मजदूरों का शोषण, बेरोजगारी और असुरक्षा बढ़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने मजदूरों के संघर्ष से हासिल श्रम कानूनों को खत्म कर चार मजदूर विरोधी श्रम संहिताएं लागू कर दी हैं। सफाई कर्मचारियों को स्थायी न किए जाने और सुरक्षित कार्य-परिस्थितियां न मिलने पर भी गहरा रोष जताया गया। ज्ञापन में ग्रामीण आवास योजना की बकाया किश्तें जारी करने और गरीब बस्तियों में नशे के कारोबार पर रोक की मांग की गई। मजदूर नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि 15 दिनों में मांगों का समाधान नहीं हुआ तो राज्यभर में आंदोलन तेज किया जाएगा। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं सहित सैकड़ों श्रमिक शामिल हुए।
मनरेगा को अधिनियम से योजना बनाने के लिए रोष
मनरेगा को अधिनियम से योजना बनाने के फैसले को मजदूरों के कानूनी अधिकारों पर हमला बताया। कर्मचारियों का कहना है कि इससे ग्रामीण मजदूर अधिकारधारी से लाभार्थी बन जाएंगे और सरकार की जवाबदेही खत्म हो जाएगी। निर्माण श्रमिकों के लिए बीओसीडब्ल्यू बोर्ड की जटिल प्रक्रियाओं, पोर्टल बंद होने और लाभ की वसूली को भी मजदूर विरोधी कदम हैं।
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प्रदर्शन में जन संघर्ष मंच हरियाणा, निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन, मनरेगा मजदूर यूनियन, मनरेगा मजदूर एकता मंच, हरियाणा ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन और मजदूर संघर्ष संगठन से जुड़े सैकड़ों मजदूरों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री की ओर से ड्यूटी मजिस्ट्रेट अजय कुमार को कर्मचारियों ने ज्ञापन सौंपा। कर्मचारियों ने राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया और मांगों को जल्द पूरा न करने पर बड़ा आंदोलन करने का अल्टीमेटम दिया।
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इससे पूर्व देवीलाल पार्क पिपली में आयोजित सभा की अध्यक्षता जन संघर्ष मंच हरियाणा के राज्य प्रधान कॉमरेड फूल सिंह ने की जबकि संचालन मासा की केंद्रीय कोऑर्डिनेटर टीम के सदस्य कॉमरेड सोमनाथ ने किया। सभा को सुरेश कुमार (महासचिव, निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन), नरेश कुमार (राज्य प्रधान, मनरेगा मजदूर यूनियन), कॉमरेड पाल सिंह, डॉ. सुनीता त्यागी, मंच महासचिव सुदेश कुमारी, रीना (ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन) और प्रवेंद्र (मजदूर संघर्ष संगठन) ने संबोधित किया।
कर्मचारियों का कहना है कि मजदूर वर्ग ने समाज का निर्माण किया है लेकिन आज वही वर्ग बदतर हालात में जीने को मजबूर है। एक ओर पूंजीपतियों की संपत्ति तेजी से बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर मजदूरों का शोषण, बेरोजगारी और असुरक्षा बढ़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने मजदूरों के संघर्ष से हासिल श्रम कानूनों को खत्म कर चार मजदूर विरोधी श्रम संहिताएं लागू कर दी हैं। सफाई कर्मचारियों को स्थायी न किए जाने और सुरक्षित कार्य-परिस्थितियां न मिलने पर भी गहरा रोष जताया गया। ज्ञापन में ग्रामीण आवास योजना की बकाया किश्तें जारी करने और गरीब बस्तियों में नशे के कारोबार पर रोक की मांग की गई। मजदूर नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि 15 दिनों में मांगों का समाधान नहीं हुआ तो राज्यभर में आंदोलन तेज किया जाएगा। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं सहित सैकड़ों श्रमिक शामिल हुए।
मनरेगा को अधिनियम से योजना बनाने के लिए रोष
मनरेगा को अधिनियम से योजना बनाने के फैसले को मजदूरों के कानूनी अधिकारों पर हमला बताया। कर्मचारियों का कहना है कि इससे ग्रामीण मजदूर अधिकारधारी से लाभार्थी बन जाएंगे और सरकार की जवाबदेही खत्म हो जाएगी। निर्माण श्रमिकों के लिए बीओसीडब्ल्यू बोर्ड की जटिल प्रक्रियाओं, पोर्टल बंद होने और लाभ की वसूली को भी मजदूर विरोधी कदम हैं।

कुरुक्षेत्र। प्रदर्शन करते भिन्न संगठनों के कर्मचारी। संवाद