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अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति योजना: केंद्र के दावों पर विभाग की आपत्ति
चंडीगढ़। अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति योजना का 2000 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किए जाने से दो लाख लाभार्थी विद्यार्थियों के कॉलेज छोड़ने के मामले में केंद्रीय दावे पर पंजाब के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने आपत्ति जताई है। विभाग ने कहा है कि 2021-22 में लाभार्थी विद्यार्थियों के पंजीकरण में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। साथ ही पांच राज्यों में शीर्ष प्रदर्शन करने के लिए केंद्र की ओर से पंजाब को सम्मानित भी किया गया था।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने दावा किया है कि 2017 में पंजाब में पीएमएसएस के तहत लगभग तीन लाख अनुसूचित छात्रों को लाभ हुआ। 2020 में यह संख्या गिरकर 1-1.25 लाख हो गई। जब हमने राज्य सरकार से पूछा तो उन्होंने कहा कि ये बच्चे पढ़ाई छोड़ चुके हैं। सांपला ने दावा किया है कि पंजाब सरकार द्वारा कॉलेजों को दिए जाने वाले 2000 करोड़ रुपये का बकाया भी कॉलेजों को नहीं दिया गया।
विभागीय सूत्रों के अनुसार विभाग के रिकॉर्ड में पीएमएसएस के तहत पंजीकृत छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है, जबकि 2021-22 में यह संख्या 1.95 लाख थी, 2020-21 में यह 1.76 लाख थी, 2019-20 में 2.04 लाख और 2018-19 में 2.30 लाख थी। विभाग के एक अधिकारी ने दावा किया कि छात्रों की संख्या कभी भी 1-1.25 लाख तक नहीं हुई है। शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए पंजाब पहला राज्य है जिसने अप्रैल में ही पीएमएसएस के तहत पंजीकरण के लिए अपना पोर्टल खोला है। सामाजिक न्याय विभाग के निदेशक राज बहादुर ने बताया कि पंजाब 2021-22 में इस योजना के तहत प्रदर्शन में पांच सर्वश्रेष्ठ राज्यों में से एक था।
सरकार करा रही जांच
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक बकाया राशि लगभग 1500 करोड़ रुपये थी, सरकार ने इसकी जांच शुरू कर दी है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि योजना के तहत कभी-कभी 3 लाख से अधिक नामांकन किए जाते थे, लेकिन वह संख्या सही नहीं थी। बाद में जांच में पाया गया कि कई कॉलेज फर्जी प्रवेश कराने में शामिल थे।
अब सीधे बैंक खातों में आ रहा पैसा
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि पूर्व की तुलना में वर्तमान डेटा अधिक विश्वसनीय है क्योंकि पैसा सीधे छात्रों के खातों में जा रहा है। ऐसी स्थिति में किसी भी गड़बड़ी होने की आशंका न के बराबर है।
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