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Panipat News: छठ महापर्व को लेकर सजने लगे घाट, तैयारियों में जुटे श्रद्धालु
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पानीपत। दिवाली के बाद लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की तैयारी शुरू हो गई है। नहाय-खाय के साथ ही छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। हिंदू पंचांगों में तिथियों की गणना में ऊपर-नीचे होने के चलते छठ मनाने में भी भ्रम या विभ्रांति की स्थिति बन जाती है। छठ पूजा का पावन महापर्व शनिवार 25 अक्तूबर को नहाय-खाय से शुरू हो रहा है।
छठ महापर्व को लेकर श्रद्धालुओं ने तैयारी शुरू कर दी है। दिल्ली पैरलल नहर समेत यमुना घाट सजने लगे हैं। घाटों की सफाई की जा रही है। वहीं, छठ महापर्व के लिए बाजारों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी हैं। छठ पूजा से पहले बुधवार को भी बाजारों में खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ी। शहर के प्रमुख बाजार हो या कस्बों की दुकानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। वहीं, वाहनों की लंबी लाइन लगी रही। जाम से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
तीन घाटों पर होगा छठ
पूर्वांचल महासंघ पानीपत के कोषाध्यक्ष कुमार चंदन ने बताया कि छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो जाती है। इस साल नहाय-खाय शनिवार 25 अक्तूबर के दिन होगा। पंचांग के अनुसार, नहाय खाय कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। विद्वानों के अनुसार आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के पहले दिन व्रत रखने वाली महिलाएं गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान-ध्यान करती है। फिर घरों में चावल, लौकी तथा चने की दाल बनाई जाती है। दाल-भात के सेवन के बाद लोग अगले दिन यानी 26 अक्तूबर को खरना की तैयारी में जुट जाएंगे। इस दिन प्रसाद ग्रहण कर छठी मइया का गीत गाकर छठ व्रती दो दिनों का निर्जला उपवास आरंभ करेंगे। तीसरे दिन 27 अक्तूबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 28 अक्तूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा का समापन किया जाएगा।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष में होता है छठ महापर्व
आस्था का महापर्व छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। छठ पूजा की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। इस कठिन व्रत को महिलाएं और पुरुष घर में खुशहाली और संतान की सलामती के लिए रखते हैं। इसे सूर्य षष्ठी, छठी और डाला छठ के नामों से भी जाना जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।
अस्ताचल और उदयगामी सूर्य को देते हैं अर्घ्य
छठ पूजा दीपावली से छह दिन बाद की जाती है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि सोमवार 27 अक्तूबर की सुबह 06:05 बजे शुरू होगी और इसका समापन मंगलवार 28 अक्तूबर की सुबह 08:00 बजे होगा। ऐसे में 27 अक्तूबर के दिन ही संध्याकाल का अर्घ्य दिया जाएगा जबकि सुबह का अर्घ्य अगले दिन 28 अक्तूबर को दिया जाएगा। डूबते सूर्य को शाम का अर्ध्य शाम 5:10 से 5:58 बजे तक देना बेहद शुभ होगा। छठ व्रती मंगलवार 28 अक्तूबर को उदीयमान सूर्य को प्रातःकालीन अर्घ्य अर्पण करेंगे। सुबह के अर्घ्य के लिए सुबह 5:33 से 6:30 बजे तक शुभ मुहूर्त बताया गया है।

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तीन घाटों पर होगा छठ
पूर्वांचल महासंघ पानीपत के कोषाध्यक्ष कुमार चंदन ने बताया कि छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो जाती है। इस साल नहाय-खाय शनिवार 25 अक्तूबर के दिन होगा। पंचांग के अनुसार, नहाय खाय कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। विद्वानों के अनुसार आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के पहले दिन व्रत रखने वाली महिलाएं गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान-ध्यान करती है। फिर घरों में चावल, लौकी तथा चने की दाल बनाई जाती है। दाल-भात के सेवन के बाद लोग अगले दिन यानी 26 अक्तूबर को खरना की तैयारी में जुट जाएंगे। इस दिन प्रसाद ग्रहण कर छठी मइया का गीत गाकर छठ व्रती दो दिनों का निर्जला उपवास आरंभ करेंगे। तीसरे दिन 27 अक्तूबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 28 अक्तूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा का समापन किया जाएगा।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष में होता है छठ महापर्व
आस्था का महापर्व छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। छठ पूजा की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। इस कठिन व्रत को महिलाएं और पुरुष घर में खुशहाली और संतान की सलामती के लिए रखते हैं। इसे सूर्य षष्ठी, छठी और डाला छठ के नामों से भी जाना जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।
अस्ताचल और उदयगामी सूर्य को देते हैं अर्घ्य
छठ पूजा दीपावली से छह दिन बाद की जाती है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि सोमवार 27 अक्तूबर की सुबह 06:05 बजे शुरू होगी और इसका समापन मंगलवार 28 अक्तूबर की सुबह 08:00 बजे होगा। ऐसे में 27 अक्तूबर के दिन ही संध्याकाल का अर्घ्य दिया जाएगा जबकि सुबह का अर्घ्य अगले दिन 28 अक्तूबर को दिया जाएगा। डूबते सूर्य को शाम का अर्ध्य शाम 5:10 से 5:58 बजे तक देना बेहद शुभ होगा। छठ व्रती मंगलवार 28 अक्तूबर को उदीयमान सूर्य को प्रातःकालीन अर्घ्य अर्पण करेंगे। सुबह के अर्घ्य के लिए सुबह 5:33 से 6:30 बजे तक शुभ मुहूर्त बताया गया है।