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Rewari News: साहबी बैराज में दूषित पानी छोड़ने के मामले की कल होगी एनजीटी में सुनवाई
संवाद न्यूज एजेंसी, रेवाड़ी
Updated Sat, 05 Jul 2025 11:35 PM IST
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फोटो: 06धारूहेड़ा स्थित साहबी बैराज में भरा दूषित पानी। संंवाद
संवाद न्यूज एजेंसी
धारूहेड़ा। साहबी बैराज में 10 वर्षों से लगातार दूषित पानी छोड़ने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में मामला अंतिम दौर में पहुंच गया है। इस मामले की अंतिम सुनवाई 7 जुलाई को होगी।
गांव खरखड़ा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश यादव ने साहबी बैराज में दूषित पानी छोड़ने को लेकर एनजीटी में याचिका (याचिका संख्या 627/2022) दायर की थी। उन्होंने बताया कि सभी सुनवाइयों में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्वीकार किया है कि पब्लिक हेल्थ विभाग द्वारा साहबी बैराज में छोड़ा जा रहा पानी प्रदूषित है।
यह पानी अब जमीन में पहुंचकर भूजल को दूषित बना चुका है, जिससे क्षेत्र के गांवों में गंभीर बीमारियों के मामले बढ़ने लगे हैं। खेती की उर्वरता पर भी बुरा असर पड़ा है।
प्रकाश यादव ने बताया कि यदि 7 जुलाई को आने वाला फैसला प्रशासन के पक्ष में गया तो वे सुप्रीम कोर्ट की शरण लेंगे। उन्होंने कहा कि इस गंभीर समस्या पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
सीएम ने दूषित पानी को लेकर कही थी यह बात
जब 15 जून को सीएम रेवाड़ी में आए थे तब उन्होंने बताया था कि बैराज में जिन कंपनियों का दूषित पानी आता है, उसके समाधान के लिए सरकार ने एक व्यापक योजना बनाई है। इसके तहत इस क्षेत्र में एसटीपी लगाए जाएंगे और पानी को शुद्ध करके बैराज में छोड़ा जाएगा और उस पानी को कृषि के लिए उपयोग किया जाएगा। कुछ दिनों पहले रेवाड़ी और भिवाड़ी प्रशासन की बातचीत भी हुई थी। बताया गया था कि पानी को रोकने को लेकर परियोजना पर कार्य चल रहा है।
रिपोर्ट में हुआ था यह खुलासा
एनजीटी में सुनवाई के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया की रिपोर्ट में बताया गया था कि घरेलू सीवरेज के मुकाबले औद्योगिक अपशिष्ट में सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) और बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) के स्तर 9 गुना तक अधिक थे। औद्योगिक प्रदूषण से प्रभावित 5 मुख्य स्थानों पर जल की गुणवत्ता गंभीर रूप से खराब पाई गई है। एसटीपी के आउटलेट्स पर पानी की गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में असफल रही।
साहबी बैराज को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की थी योजना
साहबी बैराज में पहली बार 2017 में 66 दिन तक नहरी पानी से 20 हजार 274 फीट पानी भरा गया था। 2018 में बैराज में 24 हजार 42 फीट तक पानी भरा गया था। यमुना का भी अतिरिक्त पानी बैराज में पहुंचाया गया था। तत्कालीन सीएम मनोहर लाल ने कहा था कि पर्यटकों के लिए इसे रमणीक स्थल बनाया जाएगा, जिसमें रेस्टोरेंट व ठहरने के लिए हट्स भी बनाए जाएंगे। बोटिंग के बाद फूड कोर्ट, एडवेंचर कैंप की गतिविधियां शुरू की जाएंगी। साहबी क्षेत्र के कई किलोमीटर में फैले बैराज में नेचर ट्रेल भी विकसित किया जाएगा। सरकार की योजना 18 किलोमीटर तक ट्रेल बनाने की थी, ताकि एक बेहतर पर्यटक स्थल बनाया जा सके। इसके लिए रेवाड़ी, बावल और धारूहेड़ा के दूषित पानी को ट्रीट करके बैराज में डालने की बात कही गई थी, लेकिन वर्तमान में एसटीपी का पानी बिना साफ किए ही बैराज में डाला जा रहा है।
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धारूहेड़ा। साहबी बैराज में 10 वर्षों से लगातार दूषित पानी छोड़ने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में मामला अंतिम दौर में पहुंच गया है। इस मामले की अंतिम सुनवाई 7 जुलाई को होगी।
गांव खरखड़ा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश यादव ने साहबी बैराज में दूषित पानी छोड़ने को लेकर एनजीटी में याचिका (याचिका संख्या 627/2022) दायर की थी। उन्होंने बताया कि सभी सुनवाइयों में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्वीकार किया है कि पब्लिक हेल्थ विभाग द्वारा साहबी बैराज में छोड़ा जा रहा पानी प्रदूषित है।
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यह पानी अब जमीन में पहुंचकर भूजल को दूषित बना चुका है, जिससे क्षेत्र के गांवों में गंभीर बीमारियों के मामले बढ़ने लगे हैं। खेती की उर्वरता पर भी बुरा असर पड़ा है।
प्रकाश यादव ने बताया कि यदि 7 जुलाई को आने वाला फैसला प्रशासन के पक्ष में गया तो वे सुप्रीम कोर्ट की शरण लेंगे। उन्होंने कहा कि इस गंभीर समस्या पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
सीएम ने दूषित पानी को लेकर कही थी यह बात
जब 15 जून को सीएम रेवाड़ी में आए थे तब उन्होंने बताया था कि बैराज में जिन कंपनियों का दूषित पानी आता है, उसके समाधान के लिए सरकार ने एक व्यापक योजना बनाई है। इसके तहत इस क्षेत्र में एसटीपी लगाए जाएंगे और पानी को शुद्ध करके बैराज में छोड़ा जाएगा और उस पानी को कृषि के लिए उपयोग किया जाएगा। कुछ दिनों पहले रेवाड़ी और भिवाड़ी प्रशासन की बातचीत भी हुई थी। बताया गया था कि पानी को रोकने को लेकर परियोजना पर कार्य चल रहा है।
रिपोर्ट में हुआ था यह खुलासा
एनजीटी में सुनवाई के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया की रिपोर्ट में बताया गया था कि घरेलू सीवरेज के मुकाबले औद्योगिक अपशिष्ट में सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) और बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) के स्तर 9 गुना तक अधिक थे। औद्योगिक प्रदूषण से प्रभावित 5 मुख्य स्थानों पर जल की गुणवत्ता गंभीर रूप से खराब पाई गई है। एसटीपी के आउटलेट्स पर पानी की गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में असफल रही।
साहबी बैराज को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की थी योजना
साहबी बैराज में पहली बार 2017 में 66 दिन तक नहरी पानी से 20 हजार 274 फीट पानी भरा गया था। 2018 में बैराज में 24 हजार 42 फीट तक पानी भरा गया था। यमुना का भी अतिरिक्त पानी बैराज में पहुंचाया गया था। तत्कालीन सीएम मनोहर लाल ने कहा था कि पर्यटकों के लिए इसे रमणीक स्थल बनाया जाएगा, जिसमें रेस्टोरेंट व ठहरने के लिए हट्स भी बनाए जाएंगे। बोटिंग के बाद फूड कोर्ट, एडवेंचर कैंप की गतिविधियां शुरू की जाएंगी। साहबी क्षेत्र के कई किलोमीटर में फैले बैराज में नेचर ट्रेल भी विकसित किया जाएगा। सरकार की योजना 18 किलोमीटर तक ट्रेल बनाने की थी, ताकि एक बेहतर पर्यटक स्थल बनाया जा सके। इसके लिए रेवाड़ी, बावल और धारूहेड़ा के दूषित पानी को ट्रीट करके बैराज में डालने की बात कही गई थी, लेकिन वर्तमान में एसटीपी का पानी बिना साफ किए ही बैराज में डाला जा रहा है।