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Rohtak News: जिम्मेदारियां बढ़ीं तो बबीता ने चुना स्वरोजगार
संवाद न्यूज एजेंसी, रोहतक
Updated Mon, 08 Dec 2025 01:49 AM IST
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13.. महिलाओं के लिए कंगन, चूड़ी सहित श्रृंगार की वस्तुएं दिखाती बबीता । संवाद
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रोहतक। जिम्मेदारियां इंसान को और मजबूत बना देती हैं। इसका उदाहरण हैं शहर के खेड़ी साध गांव निवासी बबीता। दरअसल बबीता के पति सुरेश की 2008 में बीमारी के चलते निधन हो गया था। वह मजदूरी करते थे। उनके निधन से बबीता पर दोहरी जिम्मेदारी आ गई। तब उन्होंने स्वरोजगार को चुना।
बबीता ने पहले बुटीक से घर का खर्च चलाया। इसके बाद धीरे-धीरे कपड़े के बैग बनाने शुरू कर दिए। सातवीं कक्षा पास बबीता की काम सीखने की लगन यहीं नहीं थमी। उन्होंने महिलाओं के शृंगार का सामान बनाने का प्रशिक्षण लिया।
इसके लिए वह महिला विकास स्वयं सहायता समूह की सदस्य बनीं। वे अब महिलाओं के शृंगार के कंगन, चूड़ियां, ब्रेसलेट व पाजेब आदि वस्तुएं बना रहीं हैं। प्रशासन के सहयोग से लगाई जा रही प्रदर्शनियों में भी वह हुनर दिखा रही हैं। इससे हर महीने वह आठ हजार रुपये तक आमदनी कर रही हैं।
वे बाजार से कच्चा सामान खरीदती हैं फिर उसे रेशमी धागों से डिजाइन बनाकर नया रूप-रंग देकर आकर्षक बनाती हैं। उनके तैयार किए डिजाइन व रंगों के प्रति ग्राहक आकर्षित होकर सामान की खरीदारी करते हैं।
उनके तैयार किए ब्रेसलेट बच्चे व किशोर खूब पसंद कर रहे हैं। गांव के अलावा, खरावड़, रोहतक, खरखौदा, रानीला, पिलाना व भिवानी आदि स्थानों पर भी उनके बनाए सजावटी समान की मांग होने लगी है।
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बबीता ने पहले बुटीक से घर का खर्च चलाया। इसके बाद धीरे-धीरे कपड़े के बैग बनाने शुरू कर दिए। सातवीं कक्षा पास बबीता की काम सीखने की लगन यहीं नहीं थमी। उन्होंने महिलाओं के शृंगार का सामान बनाने का प्रशिक्षण लिया।
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इसके लिए वह महिला विकास स्वयं सहायता समूह की सदस्य बनीं। वे अब महिलाओं के शृंगार के कंगन, चूड़ियां, ब्रेसलेट व पाजेब आदि वस्तुएं बना रहीं हैं। प्रशासन के सहयोग से लगाई जा रही प्रदर्शनियों में भी वह हुनर दिखा रही हैं। इससे हर महीने वह आठ हजार रुपये तक आमदनी कर रही हैं।
वे बाजार से कच्चा सामान खरीदती हैं फिर उसे रेशमी धागों से डिजाइन बनाकर नया रूप-रंग देकर आकर्षक बनाती हैं। उनके तैयार किए डिजाइन व रंगों के प्रति ग्राहक आकर्षित होकर सामान की खरीदारी करते हैं।
उनके तैयार किए ब्रेसलेट बच्चे व किशोर खूब पसंद कर रहे हैं। गांव के अलावा, खरावड़, रोहतक, खरखौदा, रानीला, पिलाना व भिवानी आदि स्थानों पर भी उनके बनाए सजावटी समान की मांग होने लगी है।