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Rohtak: शहीद पायलट लोकेंद्र सिंह का हुआ अंतिम संस्कार, पत्नी ने जयहिंद कहकर दी विदाई, बड़े भाई ने दी मुखाग्नि

माई सिटी रिपोर्टर रोहतक Published by: शाहिल शर्मा Updated Thu, 10 Jul 2025 11:00 PM IST
सार

शहीद को मुखाग्नि लोकेंद्र के भाई ज्ञानेंद्र ने एक माह के भतीजे को गोद में लेकर दी। वायुसेना की गाजियाबाद, नजफगढ़ व सूरतगढ़ से आई टुकड़ियों ने हवाई फायर कर सलामी दी।

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Last rites of martyred pilot Lokendra Singh Sindhu performed in Rohtak
शहीद के भाई ने दी मुखाग्नि - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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शहीद पायलट स्क्वाड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह सिंधू का बुधवार शाम को अंतिम संस्कार किया गया। संस्कार से पहले बेटे के शव को देखकर मां अनीता भावुक हुईं तो पिता जोगेंद्र बोले, रो मत तिरंगे में लिपटकर आया है म्हारा लाल। हर किसी का बेटा यूं बाप का नाम रोशन नहीं करता। साथ ही एक माह के बेटे अभिव्युदित्त के संग पत्नी डॉ. सुरभि ने पहले तिरंगे को चूमा, फिर जय हिंद बोलकर पति को अंतिम विदाई दी। इसके बाद रामबाग श्मशान घाट में पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
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शहीद को मुखाग्नि लोकेंद्र के भाई ज्ञानेंद्र ने एक माह के भतीजे को गोद में लेकर दी। वायुसेना की गाजियाबाद, नजफगढ़ व सूरतगढ़ से आई टुकड़ियों ने हवाई फायर कर सलामी दी। जिला प्रशासन की ओर से उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह ने शहीद की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। करीब साढ़े छह बजे शहीद पायलट लोकेंद्र सिंह सिंधू का शव वायु सेना की टुकड़ी लेकर रोहतक पहुंची। घर पर पहुंचते ही परिजनों ने गर्व के साथ विदाई दी। 
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बहन अंशी उर्फ अंजली बोली, रॉकी (शहीद लोकेंद्र का घर का नाम) जाते-जाते अपनी निशानी बेटे के तौर पर दे गया। बेटे को सेना में भेजेंगे। फूल मालाएं अर्पित कर परिवार के श्रद्धांजलि देने के बाद पार्थिव देह को दो किलोमीटर दूर श्मशान में ले जाया गया, जहां वायुसेना ने शहीद की पत्नी डॉ. सुरभि को तिरंगा सौंपा। इसके बाद भाई ज्ञानेंद्र सिंह ने भतीजे अभिव्युदित्त को गोद में लेकर मुखाग्नि दी। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सतीश नांदल, रोहतक के एसडीएम आशीष कुमार, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजवीर सिंह व जिला सैनिक बोर्ड की सचिव गौरिका सुहाग ने भी पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि दी। सेना की टुकड़ी ने हवा में फायरिंग कर शहीद को अंतिम सलामी भी दी। अंतिम यात्रा में शहीद लोकेंद्र सिंह सिंधू अमर रहे के नारे गूंजते रहे। अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।

Last rites of martyred pilot Lokendra Singh Sindhu performed in Rohtak
शहीद की मां - फोटो : अमर उजाला

"केंद्र सरकार बदले पुराने जहाज"

राजस्थान के चूरू में एक दिन पहले लड़ाकू विमान जगुआर के क्रैश होने पर शहीद हुए रोहतक के पायलट लोकेन्दर सिंह सिंधू के भाई ज्ञानेंद्र सिंह सिंधू का कहना है कि उसका पूरा परिवार सेना में है। दादा ब्रिटिश सेना में सैनिक रहे। बहन वायुसेना से रिटायर हो चुकी हैं, जबकि बहनोई अभी विंग कमांडर हैं। परिवार को भारतीय सेना पर गर्व है। शहीद लोकेंद्र के बेटे को बड़ा होने पर सेना में भेजेंगे। केंद्र सरकार से अपील है कि पुराने हो चुके विमानों को बदला जाए। ज्ञानेन्द्र वीरवार को देव कॉलोनी में मीडिया से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि बुधवार को जैसे ही पता चला कि वायुसेना का फाइटर विमान क्रैश हुआ है तो उसने अपने जीजा से संपर्क किया क्योंकि उनके छोटे भाई लोकेन्दर सिंह राजस्थान के सूरतगढ़ में तैनात थे। थोड़ी देर बाद पता चल गया कि लोकेन्दर ही दूसरे पायलट को प्रशिक्षण दे रहे थे। लड़ाकू विमान जगुआर क्रैश होने से दोनों पायलटों की मौत हो गई। थोड़ी देर बाद घर पर वायुसेना से फोन भी आ गया।

Last rites of martyred pilot Lokendra Singh Sindhu performed in Rohtak
शहीद की बहन - फोटो : अमर उजाला
ज्ञानेंद्र ने बताया कि उनके भाई सफल पायलट थे। उड़ान के दौरान जहाज काफी नीचे आ गया था और गांव के ऊपर से उड़ रहा था। नीचे ज्यादा आने के कारण ऊपर की तरफ नहीं जा सका। न ही दोनों पायलट निकल सके और विमान हादसे का शिकार हो गए। शहीद होने से पहले लोकेन्दर ने पूरे गांव को हादसे से बचा लिया।

पहले प्रयास में पास की थी एनडीए की परीक्षा

भाई ने बताया कि लोकेन्दर सिंह सिंधू ने शुरू से ही वायुसेना में पायलट बनने का सपना देखा था। 2010 में 12वीं पास करने के बाद एनडीए की परीक्षा पहले ही प्रयास में पास की। तीन साल बंगलूरू और एक साल हैदराबाद में प्रशिक्षण लिया। 2015 में उनको कमीशन मिला। 10 साल की नौकरी हो गई थी। एक साल पहले ही सूरतगढ़ में तैनाती मिली थी।

दादा बोले- बेहद शांत स्वभाव का था लोकेंद्र

पोते को याद करते हुए दादा बलवान सिंह सिंधू ने बताया कि लोकेन्दर बेहद शांत स्वभाव का था। बचपन में उनके साथ मेले में जाता था। कभी ज्यादा पैसे खर्च नहीं किए। एक बार किसी ने उन्हें हॉकी की स्टिक मार दी। मैंने कहा, उल्टा मारकर जवाब क्यों नहीं दिया। बोला- दादा मारने से क्या हो जाता। मैं किसी के साथ झगड़ा नहीं कर सकता। पोते को याद करते-करते दादा भावुक हो उठे।
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