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Rohtak PGI: 55 प्रतिशत फैकल्टी से चलाया जा रहा काम, बढ़ी मरीजों की संख्या, संस्थान में नहीं बढ़े चिकित्सक
विकास सैनी, अमर उजाला ब्यूरो, रोहतक
Published by: भूपेंद्र सिंह
Updated Thu, 16 Mar 2023 10:34 PM IST
सार
पिछले एक दशक में मरीजों की संख्या बढ़ी है, लेकिन संस्थान में चिकित्सक नहीं बढ़े। पुराने स्वीकृत पदों में से भी 45 प्रतिशत पद रिक्त हैं। शोध कार्य व नए चिकित्सक तैयार करने के लिए शिक्षकों की संख्या लगभग आधी है।
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PGIMS की OPD में अपनी बारी का इंतजार करते मरीज और परिजन।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
हरियाणा का सबसे बड़ा चिकित्सा संस्थान पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (पीजीआईएमएस) खुद वेंटिलेटर पर नजर आ रहा है। यहां मरीजों की जांच, शोध कार्य और नए चिकित्सक तैयार करने के लिए शिक्षकों की संख्या लगभग आधी है।
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हालांकि बढ़ती मरीजों की संख्या व एमबीबीएस विद्यार्थियों के हिसाब से वर्तमान चिकित्सकों से लगभग तीन गुणा अधिक फैकल्टी की जरूरत है। संस्थान में फिलहाल करीब 55 प्रतिशत फैकल्टी से ही काम चलाया जा रहा है। 412 पदों में से 236 पर ही चिकित्सक हैं। यानी 45 प्रतिशत पद रिक्त पड़ेे हैं। कुछ पद ऐसे भी हैं, जिनकी अब तक योग्यता की निर्धारित नहीं हुई है।
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ऐसे में चिकित्सकों पर भी करीब तीन गुणा अधिक कार्यभार बना हुआ है। यही नहीं, मरीजों को भी इलाज के लिए घंटों फर्श पर बैठकर इंतजार करना पड़ता है। कुछ तो अपनी बारी के इंतजार में सो तक जाते हैं। हालात ये हैं कि इलाज के लिए या तो लोग घरों से अल सुबह निकलते हैं या फिर ओपीडी खुलने से पहले ही लाइन लगाए नजर आते हैं।
बायें पैर में करीब छह माह पूर्व हुए सड़क हादसे के दौरान फ्रैक्चर आया था। इसके बाद से पीजीआई में इलाज चल रहा है। यहां ओपीडी में दिखाने के लिए सुबह नौ बजे घर से चला था। पीजीआई में 11 बजे पहुंचकर अपनी बारी के लिए परिजनों ने स्ट्रेचर लाइन में लगाया था। अब दोपहर हो गई है। अब तक स्ट्रेचर पर ही लेटा हूं। नंबर नहीं आया है। मरीजों की भीड़ ज्यादा है। इस कारण नंबर आने में समय लग रहा है। - विकास, नारा, पानीपत।
तबीयत कई दिन से खराब है। इसलिए पीजीआईएमएस आई हूं। सुबह आठ बजे घर से निकली थी। ओपीडी में दस बजे पहुंचने के बाद से डाॅक्टर के कमरे के बाहर लाइन में खड़ी हूं। अब तक नंबर ही नहीं आया है। मरीजों की भीड़ है। मेरा तो यहां दम घुटने को हो गया। अब पता नहीं कितनी देर में नंबर आएगा, कब तक लाइन में खड़े रह कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ेगा। - सुदर्शन, झज्जर।
किडनी पर सूजन की शिकायत है। इस कारण काफी समय से परेशान हूं। इलाज के लिए सुबह 11 बजे पीजीआई की ओपीडी पहुंची थी। इसके बाद से लाइन में ही खड़ी हूं। थक गई तो थोड़ी साइड में आकर बैठ गई। नंबर बोलेंगे तो चली जाऊंगी। कार्ड जमा करा रखा है। मरीजों की भीड़ ज्यादा है। डॉक्टर कम हैं। इसलिए लाइन धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रही है। - किरण, तेज कॉलोनी, रोहतक
गले में गांठ हैं। अब तो बाहर से ही दिखने लगी हैं। इनका इलाज कराने सुबह सात बजे घर से निकला था। पिछले ढाई घंटे से लाइन में खड़ा था। थक गया तो साइड में आ बैठा। अपनी जगह अपने रिश्तेदार को खड़ा किया है। नंबर आएगा तो वह बुला लेगा। थक गया। अब खड़ा रहना मुश्किल है। मरीजों की भीड़ काफी है। पता नहीं इस भीड़ में और कितनी देर बाद नंबर आएगा। - कृष्ण, रेवाड़ी
शुगर की दिक्कत है। पिछले कुछ दिनों से परेशानी ज्यादा है। इसलिए सुबह घर से पीजीआई के चली थी। यहां 11 बजे पहुंचनी थी। इसके बाद काफी देर लाइन में खड़ी रही। बाद में पता लगा कि डॉक्टर ही नहीं है। कमरा खाली है। अब सारे मरीज परेशान हैं। एक कमरे से दूसरे कमरे में चक्कर लगा रहे हैं। कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है। अब कहां जाएं। क्या करें। - प्रियंका, जींद।
एमबीबीएस की सीटें हुईं 250
पीजीआईएमएस में एमबीबीएस की सीटें बढ़कर 250 पहुंच गई है। इन विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। इस कारण वर्तमान शिक्षकों को ही अतिरिक्त कक्षा लेनी पड़ रही है। ओपीडी में भी मरीजों के साथ ही विद्यार्थियों की भी पढ़ाई चलती रहती है। कक्षा में सभी विद्यार्थियों के लिए एक साथ बैठना मुश्किल है। इसकी वजह 250 विद्यार्थियों के एक साथ बैठकर पढ़ने की व्यवस्था नहीं होना है।
संस्थान में चिकित्सकों की कमी के संबंध में सरकार को फाइल भेजी गई है। इसके अलावा कुछ जूनियर डॉक्टरों के पद हम अपने स्तर पर भी भर रहे हैं। इसके लिए साक्षात्कार लिए जा रहे हैं, जल्द ही सभी पद भर जाएंगे। पर्याप्त संसाधनों में बेहतर व्यवस्था बनाते हुए मरीजों को उपचार मुहैया कराया जा रहा है। -डॉ. एसएस लोहचब, निदेशक, पीजीआईएमएस
आंकड़ों से समझें पदों की स्थिति
| विभाग | स्वीकृत | भरे | रिक्त |
| एनेस्थिसियोलॉजी | 54 | 37 | 17 |
| एनॉटमी | 13 | 11 | 02 |
| बायोकेमेस्ट्री | 12 | 10 | 02 |
| बायोटेक्नोलॉजी मॉलिक्यूलर मेडिसिन | 12 | 03 | 09 |
| बायो फिजिक्स | 01 | 00 | 01 |
| इम्यूनोहेमेटोलॉजजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग | 03 | 00 | 03 |
| बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी | 07 | 01 | 06 |
| कार्डिएक एनेस्थिसियोलॉजी | 02 | 02 | 00 |
| कार्डिएक सर्जरी | 02 | 01 | 01 |
| कॉर्डियोलॉजी | 04 | 01 | 03 |
| चेस्ट एंड टीबी | 05 | 02 | 03 |
| डीएनए लैब | 02 | 00 | 02 |
| एंडोक्रिनोलॉजी | 01 | 00 | 01 |
| ईएनटी | 06 | 05 | 01 |
| फोरेंसिक मेडिसिन | 06 | 05 | 01 |
| गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी | 02 | 00 | 02 |
| हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन | 04 | 00 | 04 |
| मेडिसिन | 25 | 11 | 14 |
| इमरजेंसी मेडिसिन | 04 | 00 | 04 |
| मेडिकल ऑन्कोलॉजी | 01 | 00 | 01 |
| इम्यूनोलॉजी | 01 | 00 | 01 |
| माइक्रोबायोलॉजी | 10 | 07 | 03 |
| नेफ्रोलॉजी | 02 | 00 | 02 |
| न्यूरोलॉजी | 02 | 00 | 02 |
| न्यूरो सर्जरी | 06 | 04 | 02 |
| न्यूक्लियर मेडिसिन | 01 | 01 | 00 |
| नियोनेटोलॉजी | 26 | 22 | 04 |
| नेत्र विभाग मेडिकल | 12 | 08 | 04 |
| नेत्र विभाग (नॉन मेडिकल) | 02 | 00 | 02 |
| हड्डी रोग | 14 | 09 | 05 |
| पीडियाट्रिक्स पल्मनरी एंड इंटेनसिव केयर | 02 | 00 | 02 |
| पीडियाट्रिक सर्जरी | 03 | 02 | 01 |
| पीडियाट्रिक्स | 10 | 08 | 02 |
| पल्मनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन | 04 | 01 | 03 |
| पैथोलॉजी | 14 | 12 | 02 |
| फार्माकोलॉजी | 12 | 09 | 03 |
| फिजियोलॉजी | 14 | 09 | 05 |
| साइकेट्री | 07 | 04 | 03 |
| नशा मुक्ति केंद्र (एसडीडीटीसी) | 03 | 03 | 00 |
| रेडियो डायग्नोसिस | 11 | 01 | 10 |
| रेडियोथैरेपी | 12 | 08 | 04 |
| कम्यूनिटी मेडिसिन | 09 | 08 | 01 |
| स्किन एंड वीडी | 04 | 02 | 02 |
| सर्जरी | 26 | 09 | 17 |
| सर्जिकल गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी | 01 | 00 | 01 |
| सर्जिकल ऑन्कोलॉजी | 02 | 01 | 01 |
| स्पोर्ट्स मेडिसिन | 03 | 02 | 01 |
| यूरोलॉजी | 02 | 02 | 00 |
| कॉलेज ऑफ फार्मेसी | 11 | 05 | 06 |
| कॉलेज ऑफ फिजियोथैरेपी | 09 | 09 | 00 |
| रीहेब्लिटेशन सेंटर ऑफ साइकेट्री क्लीनिक साइकोलॉजी | 01 | 00 | 01 |
| साइकेट्रिक सोशल वर्क | 01 | 01 | 00 |
| क्लीनिकल साइकोलॉजी सेंटर ऑफ एक्सिलेंस | 02 | 00 | 02 |
| साइकेट्रिक सोशल वर्क सेंटर ऑफ एक्सिलेंस | 02 | 00 | 02 |
| कुल | 412 | 236 | 176 |