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Sirsa News: हैंडबाल कोच बनकर खिलाड़ियों की नई पाैध तैयार करना चाहती है मनीषा भाटिया
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अभ्यास करतीं मनीषा भाटिया।
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सिरसा। जिले के गांव खैरेकां की रहने वाली मनीषा भाटिया आज हैंडबाल के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुकी हैं और लगातार नाम कमा रही हैं। उनके खेल में सफलता के पीछे उनके पिता, बलबीर कुमार भाटिया का अथक समर्थन और प्रेरणा है। मनीषा कहती हैं कि माता-पिता ने हमेशा मुझे अपने सपनों को साकार करने की स्वतंत्रता दी। उनका सहयोग मेरे लिए सबसे बड़ी ताकत रहा है। उनका सपना है कि भविष्य में हैंडबाल की कोच बनें और अपनी खुद की एक टीम तैयार करें।
मनीषा ने अपनी खेल यात्रा 2013 में छठी कक्षा में पढ़ाई के साथ हैंडबाल खेलना शुरू किया था। शुरुआती दिनों से ही उनका खेल के प्रति झुकाव और उत्साह था, और उन्होंने लगातार मेहनत के साथ खुद को साबित किया। मनीषा ने बीए, बीपीएड की पढ़ाई के साथ-साथ हैंडबाल में एनआईएस डिप्लोमा और चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा से योग में पीजी डिप्लोमा भी किया है।
नेशनल तक खेली हैं मनीषा
मनीषा ने अब तक दो सीनियर नेशनल हैंडबाल प्रतियोगिताओं में भाग लिया है, जिसमें 15 राज्यों के साथ प्रतिस्पर्धा करके अपने खेल कौशल का लोहा मनवाया है। उनके खेल सफर में कोच अशोक जांडू और सुभाष कुमार भाटिया का विशेष योगदान रहा है, जिन्होंने उन्हें तकनीकी और मानसिक दृष्टि से मजबूत किया।
मनीषा को कोच बनने की प्रेरणा अपने चाचा, सुभाष कुमार भाटिया से मिली, जो स्वयं एक सफल कोच हैं। 2020 से युवा क्लब खैरेकां का भी उन्हें पूरा सहयोग प्राप्त हो रहा है। मनीषा का सपना है कि वह भविष्य में हैंडबाल की कोच बनें और अपनी खुद की एक टीम तैयार करें। उनका उद्देश्य है कि वे लड़कियों को खेलों के प्रति प्रेरित करें, उन्हें समर्थन दें और उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं। खेल के अलावा मनीषा को डांस, ड्राइंग, टीचिंग और लीडरशिप का भी शौक है।
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मनीषा ने अपनी खेल यात्रा 2013 में छठी कक्षा में पढ़ाई के साथ हैंडबाल खेलना शुरू किया था। शुरुआती दिनों से ही उनका खेल के प्रति झुकाव और उत्साह था, और उन्होंने लगातार मेहनत के साथ खुद को साबित किया। मनीषा ने बीए, बीपीएड की पढ़ाई के साथ-साथ हैंडबाल में एनआईएस डिप्लोमा और चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा से योग में पीजी डिप्लोमा भी किया है।
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नेशनल तक खेली हैं मनीषा
मनीषा ने अब तक दो सीनियर नेशनल हैंडबाल प्रतियोगिताओं में भाग लिया है, जिसमें 15 राज्यों के साथ प्रतिस्पर्धा करके अपने खेल कौशल का लोहा मनवाया है। उनके खेल सफर में कोच अशोक जांडू और सुभाष कुमार भाटिया का विशेष योगदान रहा है, जिन्होंने उन्हें तकनीकी और मानसिक दृष्टि से मजबूत किया।
मनीषा को कोच बनने की प्रेरणा अपने चाचा, सुभाष कुमार भाटिया से मिली, जो स्वयं एक सफल कोच हैं। 2020 से युवा क्लब खैरेकां का भी उन्हें पूरा सहयोग प्राप्त हो रहा है। मनीषा का सपना है कि वह भविष्य में हैंडबाल की कोच बनें और अपनी खुद की एक टीम तैयार करें। उनका उद्देश्य है कि वे लड़कियों को खेलों के प्रति प्रेरित करें, उन्हें समर्थन दें और उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं। खेल के अलावा मनीषा को डांस, ड्राइंग, टीचिंग और लीडरशिप का भी शौक है।