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जीवन में वाणी का बड़ा महत्व, घर को बना देती है स्वर्ग : सत्यप्रकाश
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रोडी बाजार स्थित एसएस जैन सभा सिरसा में प्रवचन करते जैन संत सत्यप्रकाश महाराज।

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सिरसा। दूसरों को अपने वश में करने का एक ही सूत्र है वाणी में माधुर्य और मिठास। जितना हम मीठा बोलेंगे दूसरे उतने ही हमारे बनते जाएंगे। जीवन में वाणी का बड़ा महत्व है। वाणी ही घर को स्वर्ग भी बना सकती है और घर को नर्क भी बना सकता है। ये बात ज्योतिषाचार्य सत्यप्रकाश मुनि ने प्रवचनों के दौरान कहीं।
जैन संत पंजाब नेशनल वाली गली में स्थित एसएस जैन सभा में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। जैन मुनि ने कहा कि मधुर वाणी से पशु तक प्रभावित हो जाते हैं तो इंसान कितना प्रभावित होगा। बोली गई वाणी से दुश्मन भी बना सकता है और मित्र भी बना सकता है। हमें वाणी पर संयम रखना चाहिए क्योंकि वाणी का संयम हमें शांति सुख देता है।
उन्होंने कहा कि आज हमारी हालत है कि हम मीठा खूब खाते हैं पर मीठा नहीं बोलते। इस जीभ को वश में रखने के लिए 32 दांत रूपी दो होंठ रूपी पहरेदार रखे हैं। इस जीभ के कोई हड्डी नहीं होती, लेकिन लोगों की हड्डियां तुड़वा देती है। मौन के फायदे बताते हुए उन्होंने कहा कि हम जितना मौन रहते हैं उतना ही हमारी इज्जत बढ़ेगी क्योंकि ज्यादा बोलने वाले का अपमान ही होता है।
इस अवसर पर समर्थ मुनि महाराज ने कहा कि जब व्यक्ति दुखी होता है तब सोचता है मुझे दुख क्यों आया। एक बात निश्चित है कि कोई किसी को दुख नहीं दे सकता। हमारे कर्म अशुभ हो, तभी हम दुखी हो सकते हैं। इस दौरान मनोहर लाल जैन, नितिन जैन, मोहित जैन, लक्की जैन, डब्बू जैन, कृष्ण लाल गुप्ता, रमेश जैन, बिमल जैन, पप्पी जैन, चंद्र यश जैन आदि मौजूद रहे।
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जैन संत पंजाब नेशनल वाली गली में स्थित एसएस जैन सभा में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। जैन मुनि ने कहा कि मधुर वाणी से पशु तक प्रभावित हो जाते हैं तो इंसान कितना प्रभावित होगा। बोली गई वाणी से दुश्मन भी बना सकता है और मित्र भी बना सकता है। हमें वाणी पर संयम रखना चाहिए क्योंकि वाणी का संयम हमें शांति सुख देता है।
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उन्होंने कहा कि आज हमारी हालत है कि हम मीठा खूब खाते हैं पर मीठा नहीं बोलते। इस जीभ को वश में रखने के लिए 32 दांत रूपी दो होंठ रूपी पहरेदार रखे हैं। इस जीभ के कोई हड्डी नहीं होती, लेकिन लोगों की हड्डियां तुड़वा देती है। मौन के फायदे बताते हुए उन्होंने कहा कि हम जितना मौन रहते हैं उतना ही हमारी इज्जत बढ़ेगी क्योंकि ज्यादा बोलने वाले का अपमान ही होता है।
इस अवसर पर समर्थ मुनि महाराज ने कहा कि जब व्यक्ति दुखी होता है तब सोचता है मुझे दुख क्यों आया। एक बात निश्चित है कि कोई किसी को दुख नहीं दे सकता। हमारे कर्म अशुभ हो, तभी हम दुखी हो सकते हैं। इस दौरान मनोहर लाल जैन, नितिन जैन, मोहित जैन, लक्की जैन, डब्बू जैन, कृष्ण लाल गुप्ता, रमेश जैन, बिमल जैन, पप्पी जैन, चंद्र यश जैन आदि मौजूद रहे।